पटना में वीआइपी नंबर लेनेवालों का क्रेज

नंबर का खेल : 0001 नंबर लेने के लिए 15 से ज्यादा आवेदन तीस दिनों से पेंडिंग पटना : पटना में हर किसी को वीआइपी नंबर चाहिए. कितने तो ऐसे हैं जिन्हें वीवीआइपी नंबर चाहिए. कोई 0001 का नंबर चाहता है, तो कोई 0786 चाहता है. कोई 1111 तो कोई 2222 का इच्छुक है. परिवहन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 3, 2017 8:11 AM
नंबर का खेल : 0001 नंबर लेने के लिए 15 से ज्यादा आवेदन तीस दिनों से पेंडिंग
पटना : पटना में हर किसी को वीआइपी नंबर चाहिए. कितने तो ऐसे हैं जिन्हें वीवीआइपी नंबर चाहिए. कोई 0001 का नंबर चाहता है, तो कोई 0786 चाहता है. कोई 1111 तो कोई 2222 का इच्छुक है. परिवहन कार्यालय द्वारा अब तक पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर वीआइपी नंबर दिये जाते हैं. इनके नंबरों की सूची तैयार करने के साथ ही परिवहन विभाग ने एक निर्धारित मूल्य तय किये हैं. इसके तहत नंबर 0001 के लिए सबसे ज्यादा 25 हजार रुपये मूल्य निर्धारित हैं.
इसके बाद के आकर्षक नंबर के लिए 15,000 फिर 10,000 से लेकर पांच हजार तक के मूल्य निर्धारित किये गये हैं. पटना के डीटीओ ऑफिस में इसके लिए लंबित आवेदनों की संख्या सैंकड़ो में है. केवल 0001 नंबर के लिए 15 से ज्यादा आवेदन पेंडिंग पड़े हैं. ज्यादातर रसूखदार बिजनेसमैन और बड़े नेताजी इस लाइन में हैं. जबकि, इस नंबर के लिए 25 हजार रुपये एक्सट्रा खर्च करने पड़ते हैं. बाकी अन्य नंबरों के लिए भी इसी तरह आवेदन आये हुए हैं. सीरीज में नंबर आते ही वह अलॉट किये जाते हैं.
30 दिनों तक ही मिलता है च्वाइस नंबर के लिए वक्त
विभाग के मुताबिक वाहन खरीदने के 30 दिन के भीतर वाहन का रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होता है. यदि आपको च्वाइस नंबर लेना है, तो इसके लिए रजिस्ट्रेशन के वक्त ही एक अतिरिक्त आवेदन च्वाइस नंबर के लिए देना होता है. यदि च्वाइस नंबर मिल गया तो 30 दिनों के अंदर उसे लगाना होता है. आवेदन नहीं देने पर यह नंबर किसी
वाहन को नहीं दिया जाता है. आरक्षित किये जाने वाले आकर्षित नंबर में यदि 30 दिनों में रजिस्ट्रेशन नहीं कराया गया, तो यह आरक्षण निरस्त कर किसी अन्य व्यक्ति को आवंटित किया जा सकता है. बशर्ते उस व्यक्ति ने भी शुल्क के साथ इसके लिए आवेदन किया हो.
पटना : वाहनों पर आड़े-तिरछे, रंग-बिरंगे नंबर प्लेट शहर की सुरक्षा पर खतरा है. स्टाइलिश अक्षरों व अंकों में लिखे इन नंबर प्लेट को पढ़ना काफी मुश्किल है. इस तरह के नंबर प्लेट को कैच करने में एएनपीआर कैमरे भी मात खा जाती है. हाल में पुलिस ने खुसरूपुर थाने के हाइवे पर लूट करनेवाले गिरोह के सदस्यों के पास से एक अपाची और एक पल्सर बाइक बरामद की है. उन दोनों ही बाइकों में हिंदी के अंकों में नंबर लिखे गये हैं. शहर की सुरक्षा को लेकर बॉर्डर व अंदर विभिन्न जगहों पर 11 एएनपीआर और 180 सीसीटीवी कैमरे लगाये गये हैं.
बहुत से ग्राहक वीवीआइपी नंबर चाहते हैं. इसके लिए अावेदन की प्रक्रिया काफी सरल है. यदि हमारे पास नंबर उपलब्ध होता है तो अतिरिक्त राशि देने के बाद अलॉट कर दिया जाता है. कोई भी व्यक्ति हमारे पूछताछ केंद्र पर संपर्क कर सकते हैं.
अजय कुमार ठाकुर, डीटीओ

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