खेत व किसानों की खुशहाली के लिए 103564 करोड़ कर्ज की जरूरत
खेत व किसानों की खुशहाली के लिए तमाम योजनाएं बनायी जा रही हैं. इसे धरातल पर उतारने के लिए ऋण की जरूरत पड़ेगी. इस साल 2024-25 में खेत व खेतिहरों को समृद्ध करने के लिए 10356448 लाख रुपये कर्ज की जरूरत का आकलन किया गया है.
– इस साल खेती-किसानी को समृद्ध करने के लिए ऋण का किया गया आकलन – फसल उत्पादन से लेकर जल संसाधन व पशुपालन को मजबूत करने के लिए कर्ज की आवश्यकता मनोज कुमार, पटना खेत व किसानों की खुशहाली के लिए तमाम योजनाएं बनायी जा रही हैं. इसे धरातल पर उतारने के लिए ऋण की जरूरत पड़ेगी. इस साल 2024-25 में खेत व खेतिहरों को समृद्ध करने के लिए 10356448 लाख (एक लाख तीन हजार पांच सौ चौंसठ करोड़ अड़तालीस लाख रुपये) रुपये कर्ज की जरूरत का आकलन किया गया है. इस कर्ज को कृषि से जुड़े तमाम जरूरतों पर खर्च किया जायेगा. ऋण की इस राशि का फसल उत्पादन, जल संसाधन, फार्म मशीनीकरण, पौधरोपण व बागवानी, वानिकी, बंजर भूमि विकास में खर्च करने का प्रस्ताव है. डेयरी, कुक्कुट पालन, भेड़, बकरी, सूअर पालन, एकीकृत कृषि प्रणाली व बैलगाड़ी व बैल पर खर्च का प्रस्ताव है. इस राशि का लाभ प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से किसानों को मिलेगा. बीते वर्ष 2023-24 में कृषि से जुड़ी तमाम चीजों पर 7882327 लाख रुपये ऋण का आकलन किया गया था. प्रति व्यक्ति कम आय के कारण ऋण की जरूरत कृषि रोड मैप की रिपोर्ट में ऋण की प्रासंगिकता को स्पष्ट किया गया है. इसमें कहा गया कि राज्य में प्रति व्यक्ति आय कम है. 96.96 फीसदी छोटे और सीमांत किसान हैं. इससे स्पष्ट होता है कि किसान ऋण लेकर खेती-किसानी का काम करते हैं. इस कारण खेती के उत्पादन के साथ-साथ निवेश गतिविधियों के संचालन के लिए संस्थागत ऋण की आवश्यकता है. सात वर्षों में कृषि ऋण में गिरावट बीते सात वर्षों में कृषि ऋण में गिरावट देखी गयी है. रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्ष 2021-22 के दौरान कृषि ऋण की हिस्सेदारी 38.4 फीसदी थी. जबकि राष्ट्रीय स्तर पर हिस्सेदारी 42.9 फीसदी थी. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि इस साल कुल भूमि के मात्र 9.6 फीसदी हिस्से के लिए फसल ऋण उपलब्ध कराया गया था.
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