छह माह में 600 मजदूर बढ़े, पर सफाई बदहाल
लापरवाही. नगर निगम की जांच की प्रक्रिया हो चुकी है फेल, फील्ड में नहीं जाते हैं अधिकारी पटना : निगम चाहे जो भी दावा कर ले, लेकिन शहर की सफाई है कि सुधरने का नाम नहीं ले रही है. नगर आयुक्त अभिषेक सिंह से लेकर निगम के आला अधिकारी शहर की सफाई को लेकर बड़े-बड़े […]
लापरवाही. नगर निगम की जांच की प्रक्रिया हो चुकी है फेल, फील्ड में नहीं जाते हैं अधिकारी
पटना : निगम चाहे जो भी दावा कर ले, लेकिन शहर की सफाई है कि सुधरने का नाम नहीं ले रही है. नगर आयुक्त अभिषेक सिंह से लेकर निगम के आला अधिकारी शहर की सफाई को लेकर बड़े-बड़े बयान देते रहते हैं.
वहीं दूसरी तरफ आंकड़े बता रहे हैं कि सफाई में सुधार के लिए निगम ने लगातार मजदूरों की संख्या में इजाफा किया है. निगम के अनुसार बीते छह माह में निगम ने 600 से अधिक सफाई मजदूरों की संख्या बढ़ायी है. शहर के 32 वार्ड ऐसे हैं जहां केंद्रीय मानक से अधिक सफाई मजदूर काम कर रहे हैं. इसके अलावा अभी भी 34 वार्डों में मजदूर बढ़ाने की कवायद हो रही है. बावजूद इसके अभी तक शहर की सफाई में कोई सुधार नहीं हो रहा है. पूरे शहर में कचरा पसरा हुआ है.
दो से तीन बार सफाई करने का दावा
वहीं दूसरी तरफ निगम की ओर से दावा किया जाता है कि मुख्य सड़कों की सफाई भी दिन में कई बार की जा रही है. निगम बोरिंग व बोरिंग कैनाल रोड, गांधी मैदान के चारों तरफ, अशोक राजपथ से लेकर अन्य कई प्रमुख सड़कों पर दिन में तीन बार सफाई करने का रोस्टर बनाया गया है.
इसके अलावा कागजों में कई अन्य सड़कों पर दिन में दो बार सफाई हो रही है. मगर सुबह को छोड़ कर अन्य किसी समय सड़क पर सफाई मजदूर नहीं दिखते. अगर कहीं सफाई होती भी दिखती है, तो मजदूर सड़क पर खड़ी गाड़ियों व जाम का लाभ उठाते हुए बस खानापूर्ति कर के चले जाते हैं.
नहीं है कोई मॉनीटरिंग सिस्टम : निगम मुख्यालय स्तर से सफाई को लेकर मॉनीटरिंग सिस्टम पूरी तरफ फेल है. काम की व्यस्तता में भले ही नगर आयुक्त कभी-कभार सफाई का निरीक्षण करते हों, लेकिन निगम मुख्यालय के अन्य अधिकारी शायद ही कभी जांच के लिए जाते हैं.
हालांकि नगर आयुक्त स्तर पर पहले से निगम मुख्यालय के अधिकारियों को पूरे शहर का इलाका बांट कर सप्ताह में दो से तीन दिन जांच करने की ड्यूटी लगायी गयी है.
कंट्रोल रूम से भी नहीं होती जांच : सफाई में मॉनीटरिंग के लिए तात्कालिक नगर आयुक्त जय सिंह ने एक नया सिस्टम निकाला था. इसमें शहर के सौ से अधिक कचरा प्वाइंटों को चिह्नित कर वहां से आसपास के लोगों का फोन नंबर निगम कंट्रोल रूम में रखा गया था.
इसके बाद निगम में कंट्रोल रूम में बैठा कर्मी पहले सफाई निरीक्षक से फोन पर अमुक कचरा प्वाइंट पर कचरा उठाव के बारे में पूछता. इसके बाद संबंधित कचरा प्वाइंट के आसपास के लोगों से इसकी पुष्टि की जाती थी. तब नगर आयुक्त प्रतिदिन इसकी रिपोर्ट लेते थे. इससे गलत जानकारी देनेवाले पर निगम स्तर से तत्काल कार्रवाई की जाती थी. पर अब कंट्रोल रूम से भी कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही है.
32 वार्डों में जरूरत से अधिक हैं मजदूर : शहर के 32 वार्डों में मानक से अधिक मजदूर हैं. सबसे अधिक आंकड़ा है वार्ड 28 का जहां मानक से 53 मजदूर अधिक हैं. इसके अलावा वार्ड 21 में 28, वार्ड 9 में 32, वार्ड 39 में 25 अधिक मजदूर हैं. इसके अलावा वार्ड 33,35,38,37,40,38,63,65,68,16,66,69,68,25 व अन्य वार्डों में मानक से अधिक मजदूर रखे गये हैं.
पटना : चाहे प्रमंडलीय आयुक्त का निर्देश हो या नगर निगम का अपना प्रयास. बोरिंग रोड व बोरिंग कैनाल रोड में सड़क के बीच खाली वाहन पार्किंग वाली जगह पर लगे स्ट्रीट फूड व वेंडर की दुकानें नहीं हट रही हैं. आगे से निगम दुकानों को हटाने का काम कर रहा है और पीछे से दुकानें फिर से सज जा रही हैं. बुधवार को भी निगम की टीम ने बोरिंग रोड व बोरिंग कैनाल रोड से अवैध दुकानों को हटाने का काम किया.
दोपहर तक हड़ताली चौराहा से लेकर बोरिंग रोड चौराहा और आगे राजापुर सब्जी मंडी तक अवैध दुकानों को हटाने का काम किया गया. इस दौरान तीन मुर्गा जाली, तीन ठेले, एक गुमटी और 18 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया था, लेकिन दो से तीन घंटे के भीतर सारी दुकानें फिर से लग गयीं और शाम होते-होते पहले की जैसे दुकानें सज गयीं. धीरे-धीरे ग्राहकों की भीड़ भी बढ़ गयी.
पहले भी चलाया गया अभियान, लेकिन नहीं पड़ा कोई असर
इसके पहले भी नगर निगम की ओर से बोरिंग रोड व बोरिंग कैनाल रोड पर व्यापक अभियान चलाया गया था. बीते माह लगभग सात दिनों तक लगातार नगर निगम की ओर से अतिक्रमण हटाने का काम किया गया था.
प्रमंडलीय आयुक्त के निर्देश पर नूतन राजधानी अंचल के कार्यपालक पदाधिकारी से लेकर पथ निर्माण विभाग की कमेटी बनी थी. इसके बावजूद दस दिनों बाद इसका असर खत्म हो गया और फिर से दुकानें सजने लगीं. इधर, निगम के अधिकारी भी मान रहे हैं कि इस तरह के अभियान का कोई असर नहीं पड़ने वाला, लेकिन आगे अतिक्रमण हटाया जायेगा.
पटना. शहर में अगर मांस-मछली का स्स्थायी दुकान खोलना है तो दुकानदारों को खुद कई व्यवस्थाएं करनी होगी. मांस व मछली दुकानदारों को दुकान से निकलने वाला कचरा अपशिष्ट के निष्पादन की व्यवस्था बनानी होगी. इसके साथ ही सफाई पर भी विशेष ध्यान देना होगा, तभी नगर निगम की ओर से मांस दुकानों का लाइसेंस जारी होगा. गौरतलब है कि नगर निगम अवैध मांस-मछली के दुकानों पर लगातार अभियान चला रहा है. इस दौरान दुकान का समान जब्त करने के साथ जुर्माना भी लगाया जा रहा है.
आर्य कुमार रोड व अन्य इलाकों में चला अभियान : बुधवार को नगर निगम के बांकीपुर अंचल ने आर्य कुमार रोड, मछुआ टोली, अशोक राजपथ व बारी पथ इलाके में मांस व मछली का बिक्री करने वाले दुकानों के खिलाफ अभियान चलाया. इस दौरान कई समान जल जब्त किये गये.
नगर निगम ने ठेला व मुर्गा जाली भी जब्त किया. इस दौरान 11 हजार रुपये की वसूली की गयी. इसके अलावा मंगलवार को भी 16 हजार रुपये जुर्माना लगाया गया. अंचल के कार्यपालक पदाधिकारी अब्दुल हमीद ने बताया कि आगे भी इस तरह का अभियान जारी रहेगा, ताकि दुकानदार कानून का पालन करें.