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बिहार : निजी टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेजों की जांच पर रोक
सुनवाई. हाइकोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा, किस प्रकार हटाये जा सकते हैं एनसीटीइ के चेयरमैन पटना : पटना उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय अध्यापक प्रशिक्षण परिषद एनसीटीइ के चेयरमैन की कार्यशैली से नाराजगी जतायी है. कोर्ट ने एनसीटीइ की जांच टीम को असंवैधानिक करार देते हुए प्राइवेट टीचर्स ट्रेनिंग की चल रही जांच को तत्काल […]
सुनवाई. हाइकोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा, किस प्रकार हटाये जा सकते हैं एनसीटीइ के चेयरमैन
पटना : पटना उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय अध्यापक प्रशिक्षण परिषद एनसीटीइ के चेयरमैन की कार्यशैली से नाराजगी जतायी है. कोर्ट ने एनसीटीइ की जांच टीम को असंवैधानिक करार देते हुए प्राइवेट टीचर्स ट्रेनिंग की चल रही जांच को तत्काल प्रभाव से रोक लगा दिया है. साथ ही अगली सुनवाई में केंद्र सरकार से यह बताने का निर्देश दिया कि एनसीटीइ के चेयरमैन को किस प्रकार पद से हटाया जा सकता है.
जस्टिस चक्रधारीशरण सिंह की एकलपीठ ने डॉ बीआर आंबेडकर कॉलेज ऑफ एजुकेशन एवं अन्य की ओर से दायर रिट याचिका पर बुधवार को सुनवाई करते हुए उक्त निर्देश दिया. एकलपीठ ने पूर्व की सुनवाई में यह इंगित किया था कि यदि एनसीटीइ ने 18 मई, 2017 को पारित न्यायादेश के आलोक में तय मानदंड के अनुसार निजी टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेजों का निरीक्षण नहीं किया है तब उसके खिलाफ प्रथम दृष्टया अवमानना का मामला बनेगा.
पिछली सुनवाई में भी एनसीटीइ की ओर से अदालत को बताया गया था कि 26 जून, 2017 तक 33 संस्थानों की जांच अदालती आदेश के आलोक में की जा चुकी है. अदालत ने जानना चाहा कि 26 जून के बाद किसके आदेश पर जांच कार्य को रोका गया है. एनसीटीइ की ओर से बताया गया की अब तक करीब 64 संस्थानों की जांच की जा चुकी है. अदालत को बताया गया कि जांच कमेटी द्वारा जो रिपोर्ट दी गयी है उसमें सभी में पाजिटिव पाये जाने के बाद स्क्रूटनी कमेटी द्वारा जांच कमेटी पर सवाल उठाते हुए एक्सपर्ट को शामिल किये जाने की जरूरत बतायी.
अदालत ने सवाल खड़ा किया था की जांच कमेटी के सदस्यों का मनोनयन जब उनके द्वारा ही किया गया है फिर वे जांच कमेटी पर अविश्वास और उनकी काबिलियत पर उंगली कैसे उठा सकते हैं. अदालत ने एनसीटीइ की उक्त दलीलों को खारिज करते हुए स्पष्ट किया था कि अदालती आदेश के आलोक में जांच कार्य पूरा नहीं किये जाने के फलस्वरूप एनसीटीइ के चेयरमैन ही अवमानना के लिए दोषी समझे जायेंगे. उनके विरुद्ध ही अवमानना का मामला चलाया जायेगा.
पर्चा लीक मामले में सुनवाई 11 अगस्त को
पटना. पटना हाइकोर्ट में बहुचर्चित पर्चा लीक मामले में अभियुक्त बनाये गये गुजरात प्रिंटिंग प्रेस के डायरेक्टर विनीत कुमार की ओर से दायर औपबंधिक जमानत याचिका पर बुधवार को सुनवाई टल गयी. अब इस मामले की सुनवाई 11 अगस्त को होगी.
जस्टिस पीके झा की एकलपीठ के समक्ष बुधवार को सुनवाई होनी थी. बिहार कर्मचारी चयन आयोग बीएसएससी की इंटर स्तरीय पदों के लिए प्रारंभिक परीक्षा में प्रश्नपत्र और उसके उत्तर लीक होने के मामले में अहम सबूत मिलने के बाद सरकार ने परीक्षा रद्द कर दी थी. मामले की जांच में जुटी विशेष जांच टीम ने आयोग के अध्यक्ष तथा वरिष्ठ आइएएस अधिकारी सुधीर कुमार, सचिव परमेश्वर राम तथा आयोग के डाटा इंट्री ऑपरेटर नितिरंजन प्रताप को गिरफ्तार किया था. मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद एसएसपी की अगुआई में जांच दल का गठन किया गया और छापेमारी की गयी.
पॉलीथिन पर पाबंदी : चार सप्ताह में मांगा जवाब
पटना उच्च न्यायालय ने सूबे में पॉलीथिन से पर्यावरण को होने वाले नुकसान पर राज्य सरकार व प्रदूषण नियंत्रण पर्षद द्वारा ठोस कार्रवाई नहीं किये जाने पर नाराजगी व्यक्त की है. पॉलीथिन पर पाबंदी लगाने को लेकर कई गयी कार्रवाई के बारे स्थिति स्पष्ट करते हुए चार सप्ताह में जवाब देने का निर्देश दिया है. चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन एवं जस्टिस डॉ अनिल कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने उमाशंकर सिंह की ओर से दायर लोकहित याचिका पर बुधवार को सुनवाई करते हुए उक्त निर्देश दिया.
सुपर स्पेशियलिटी अस्पतालों में बहाली क्यों नहीं
पटना उच्च न्यायालय ने राजधानी के गार्डिनर रोड अस्पताल को अति विशिष्ट अस्पताल का दर्जा मिलने के बावजूद एक भी स्पेशलिस्ट चिकित्सक की बहाली नहीं होने पर नाराजगी जाहिर की है. कोर्ट ने राज्य सरकार से चार सप्ताह के भीतर स्थिति स्पष्ट करते हुए जवाब देने का निर्देश दिया है. मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन एवं जस्टिस डॉ अनिल कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने कुमार शैलेंद्र की ओर से दायर की गयी लोकहित याचिका पर बुधवार को सुनवाई करते हुए उक्त निर्देश दिया.
खराब पड़े नलकूपों को चालू कराने में कैसी बाधा
पटना उच्च न्यायालय ने सूबे में बंद पड़े नलकूपों से आमजनों को हो रही दिक्कतों पर गंभीरता दिखाते हुए राज्य सरकार की सारी दलीलों को खारिज कर दिया. कोर्ट ने सरकार से स्पष्ट पूछा कि इन नलकूपों को चालू करने में क्या बाधा आ रही है, कौन है जो नलकूपों को चालू कराने की राह में रोड़ा बन रहा है.
साथ ही साथ अदालत ने सरकार से यह भी बताने का निर्देश दिया की कब तक खराब पड़े नलकूप को चालू करा दिया जायेगा. चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन एवं जस्टिस डॉ अनिल कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने विकासचंद्र उर्फ गुड्डू बाबा की ओर से दायर लोकहित याचिका पर बुधवार को सुनवाई करते हुए उक्त निर्देश दिया.
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