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अल्पसंख्यकों को अत्याचार निवारण एक्ट में करें शामिल

पटना : ऑल इंडिया युनाइटेड मुस्लिम मोर्चा ने अल्पसंख्यकों को अत्याचार निवारण एक्ट में शामिल करने की मांग की है. मोरचा ने नोटबंदी व शराबबंदी की तर्ज पर दंगाबंदी कानून लागू करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों पर दबाव बनाने के लिए आंदोलन चलाने की घोषणा की है. गुरुवार को आशियाना दीघा रोड स्थित […]

पटना : ऑल इंडिया युनाइटेड मुस्लिम मोर्चा ने अल्पसंख्यकों को अत्याचार निवारण एक्ट में शामिल करने की मांग की है. मोरचा ने नोटबंदी व शराबबंदी की तर्ज पर दंगाबंदी कानून लागू करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों पर दबाव बनाने के लिए आंदोलन चलाने की घोषणा की है.
गुरुवार को आशियाना दीघा रोड स्थित जकात भवन में आयोजित समाज बचाओ कांफ्रेंस के दौरान एआईयूएमएम के राष्ट्री अध्यक्ष व पूर्व सांसद डा एम एजाज अली ने कहा कि संसद में कानून बनाने के बजाये अत्याचार निवारण अधिनियम में दंगा को शामिल किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि एससी, एसटी एक्ट के तहत दलितों और आदिवासियों पर होने वाले अत्याचार पर कार्रवाई होती है जिसके चलते इस अधिनियम के खिलाफ कोई दुस्साहस नहीं कर पाता.
इस अधिनियम में अल्पसंख्यकों को भी जोड़ा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि आज के भयावह माहौल में अल्पसंख्यकों के दिलों से डर निकालने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि जब तक शांति नहीं कायम होती तब तक समाज में तरक्की नहीं हो सकती.
दंगों से देश को भी हुआ है नुकसान
कांफ्रेंस की अध्यक्षता करते हुए स्वामी शशिकांत जी ने कहा कि पिछले 70 सालों में साम्प्रदायिक दंगों के कारण अल्पसंख्यकों का जितना नुकसान हुआ है उतना ही नुकसान देश का हुआ है.
उन्होंने कहा कि देश के नुकसान के खात्मे के लिए दंगाबंदी जरूर किया जाना चाहिए. इस अवसर पर मोर्चा के प्रवक्ता कमाल अशरफ ने कहा कि अगर सरकार ने दंगाबंदी के लिए कानून में संशोधन नहीं किया तो मोर्चा देश्वयापी आंदोलन शुरू करेगा. इर्शादुल हक ने कहा कि दंगाबंदी का फैसला राज्य सरकार भी ले सकती है.
राजद से अलग होने के बाद सीएम नीतीश कुमार को इस बात के लिए आमादा किया जा सकता है कि वह राज्य के अत्याचार निवारण अधिनियम में दलितों के साथ अल्पसंख्यकों को भी शामिल करें.

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