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बिहार में अस्पतालों का हाल : बड़े हादसे की आशंका, एक बेड पर 3-3 बच्चे, ऑक्सीजन की भी कमी
उप्र के गोरखपुर में बीआरडी मेडिकल कॉलेज में गत गुरुवार से शुक्रवार के बीच ऑक्सीजन की कमी के कारण 32 बच्चों की मौत ने पूरे देश में चिकित्सा व्यवस्था पर प्रश्न चिह्न लगा दिया है. हर जगह अस्पताल में जीवनरक्षक उपकरणों और दवाओं सहित अन्य व्यवस्थाओं की समीक्षा शुरू हो गयी है. ऐसी घटना दोबारा […]
उप्र के गोरखपुर में बीआरडी मेडिकल कॉलेज में गत गुरुवार से शुक्रवार के बीच ऑक्सीजन की कमी के कारण 32 बच्चों की मौत ने पूरे देश में चिकित्सा व्यवस्था पर प्रश्न चिह्न लगा दिया है. हर जगह अस्पताल में जीवनरक्षक उपकरणों और दवाओं सहित अन्य व्यवस्थाओं की समीक्षा शुरू हो गयी है. ऐसी घटना दोबारा किसी सरकारी या निजी अस्पताल में न हो, इसके लिए शासन-प्रशासन भी सक्रिय हो गया है.
लेकिन प्रभात खबर ने जब बिहार के विभिन्न जिलों में पड़ताल की, तो यहां भी गोरखपुर जैसी ही लापरवाही सामने आयी. कहीं दो-दो महीने से ऑक्सीजन सप्लायर का भुगतान नहीं हुआ है, तो कहीं जीवनरक्षक उपकरण खराब हैं. अस्पतालों में अनेक प्रशासनिक लापरवाही सामने आयीं, जो कभी भी किसी बड़ी अनहोनी का कारण बन सकती हैं. पढ़िए एक रिपोर्ट.
कंपनी के पास बजट नहीं पहुंच पाया है
सूबे के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच के शिशु वार्ड में ऑक्सीजन की कमी है. गंभीर नवजात का इलाज हो इसके लिए शिशु वार्ड में 24 बेडों का अलग से एनआइसीयू बन कर तैयार है, लेकिन ऑक्सीजन पाइपलाइन की व्यवस्था नहीं होने के चलते एनआइसीयू शुरू नहीं हो पा रहा है. बीएमआइसीएल को बिजली सप्लाइ और पाइपलाइन लगानी है, लेकिन कंपनी के पास बजट नहीं पहुंच पाया है. ऐसे में एनआइसीयू उद्घाटन का इंतजार कर रहा है. नतीजा पुराने आइसीयू में नवजात की संख्या बढ़ गयी है और एक बेड पर तीन बच्चों का उपचार किया जा रहा है. ऐसे में जब ऑक्सीजन की कमी होती है, तो छोटा सिलिंडर लाना पड़ता है. यह स्थिति स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग, टाटा और हथुआ वार्ड में भी है.
सीवान: आठ वार्मर मशीनों में नहीं है ऑक्सीजन की व्यवस्था
सदर अस्पताल के स्पेशल न्यू बर्न केयर यूनिट में नवजात बच्चों के इलाज के लिए 11 रेडिएंट वार्मर मशीनें लगायी गयी हैं, लेकिन इनमें से आठ मशीनों में ऑक्सीजन की व्यवस्था नहीं है. कहने के लिए पांच ऑक्सीजन कांसट्रेटर मशीनें लगी हैं, लेकिन तीन ऑक्सीजन कांसट्रेटर मशीनें काम नहीं करती हैं. एक तरह से देखा जाये, तो 11 में तीन मशीनें ही पूर्ण रूप से काम करने लायक हैं. इनको चलाने के लिए चार डॉक्टरों व करीब एक दर्जन एएनएम की ड्यूटी लगायी है. जरूरत पड़ने पर कभी न तो एनएनएम मिलती हैं और न डॉक्टर. शनिवार को अपराह्न सवा दो बजे सिसवन रेफरल अस्पताल से एक नवजात बच्चा रेफर होकर आया. उस समय मौजूद एसएनसीयू में एनएनएम की ड्यूटी खत्म हो गयी थी. दो बजे से जिस डॉक्टर और एएनएम की ड्यूटी थी, वे नहीं आये थे. काफी देर तक महिला ने इंतजार किया, तो अस्पताल प्रबंधक ने दूसरे डॉक्टर को बुला कर इलाज कराया. आये दिन ऐसे मामले देखने को मिलते हैं. जिस डॉक्टर की ड्यूटी थी, उन्होंने छुट्टी का आवेदन दे दिया था. लेकिन उनकी जगह कौन डॉक्टर आयेगा, इसकी व्यवस्था नहीं की गयी थी.
आइजीआइएमएस
ऑक्सीजन पाइपलाइन तक नहीं
आइजीआइएमएस के जनरल वार्ड में अभी तक ऑक्सीजन पाइप लाइन की व्यवस्था तक नहीं गयी है. यहां कागजों पर ही सभी वार्ड में ऑक्सीजन पाइप लाइन बिछाने की बात चल रही है. जबकि आइजीआइएमएस के जनरल वार्ड में 500 से अधिक बेड हैं जहां मरीज भरती रहते हैं. जनरल वार्ड में खासकर बच्चा वार्ड, हड्डी, सामान्य औषधि विभाग, सांस रोग विभाग, यूरोलॉजी विभाग, कैंसर आदि कुछ ऐसे वार्ड हैं जहां ऑक्सीजन की काफी जरूरत पड़ती है. यहां मरीजों को छोटे सिलिंडर से ऑक्सीजन की सप्लाई की जा रही है. बड़ी बात तो यह है कि मरीज के परिजन सिलिंडर के लिए इधर-अधर भटकते रहते हैं. अगर समय पर टेक्निशियन नहीं मिला तो मरीज को ऑक्सीजन भी नहीं मिल पाती है.
सारण:ऑक्सीजन सप्लायर को नहीं हुआ भुगतान
सदर अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी नहीं है लेकिन ऑक्सीजन की आपूर्ति करने वाले को दो माह से बकाया राशि का भुगतान नहीं हुआ है. ऑक्सीजन की आपूर्ति करने वाले को प्रत्येक तीन माह पर राशि का भुगतान किया जाता है. सदर अस्पताल में प्रतिदिन करीब पंद्रह वैसे मरीज भर्ती कराये जाते हैं, जिन्हें ऑक्सीजन की देने की जरूरत होती है. एसएनसीयू में पाइप लाइन से ऑक्सीजन की आपूर्ति की जाती है और इसके लिए आठ बेड पर पाइप लाइन से ऑक्सीजन की आपूर्ति की सुविधा है. सदर अस्पताल के आपातकालीन कक्ष में छह बेड हैं, जिस पर पाइपलाइन से ऑक्सीजन चढ़ाने की व्यवस्था है. आइसीयू में चार बेड हैं और यहां भी पाइपलाइन से ऑक्सीजन की आपूर्ति की जाती है.
बक्सर
सिलिंडर रिफिल होने के लिए भेजा है
सदर अस्पताल में कुल 58 ऑक्सीजन सिलिंडर एवं चार इलेक्ट्रीक ऑक्सीजन मशीनें मौजूद हैं. सदर अस्पताल में पहले की अपेक्षा जीवन रक्षक संसाधनों में कमी हुई है, जिसके कारण आइएसओ की सुविधा भी इस अस्पताल की छिन चुकी है. सदर अस्पताल के सभी वार्डों में ऑक्सीजन सिलिंडर पर्याप्त होने के साथ स्टोर में भी सात सिलिंडर अभी सुरक्षित रखे गये हैं. इसके साथ ही इलेक्ट्रिक संचालित तीन यूनिटें भी मौजूद हैं. सदर अस्पताल के लिए कुल 32 एवं एसएनसीयू के लिए कुल 26 सिलिंडर हैं, जिसमें 26 सिलिंडर रिफिल होने के लिए पटना भेजे गये हैं.
गोपालगंज: दो मशीनों के भरोसे इमरजेंसी
सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में महज दो ऑक्सीजन कांसेट्रेटर मशीन के भरोसे ही ऑक्सीजन की व्यवस्था की गयी है. इस मशीन में नियमानुसार एक बार में एक ही मरीज को जोड़ा जा सकता है, लेकिन इमरजेंसी वार्ड में इस मशीन में एक साथ दो-तीन मरीज भी जोड़े जाते हैं. जो व्यवस्था है उसी के बीच मरीजों को ऑक्सीजन उपलब्ध कराया जाता है. वार्ड में मशीन कम करने पर कई बार परेशानी होती है और अगर मरीज की संख्या बढ़ती है, तो उपलब्ध ऑक्सीजन सिलिंडर का उपयोग किया जाता है. वहीं, सिलिंडर उपलब्ध नहीं होने पर परेशानी बढ़ जाती है.
सिलिंडर खाली है या भरा,किसी को पता नहीं
गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन के अभाव में 33 बच्चों की मौत के बाद बिहार के अस्पतालों में न सिर्फ ऑक्सीजन को लेकर बल्कि जीवन रक्षक संसाधनों को लेकर हडकंप मच गया .यह बात तब देखने को मिली जब इसकी पड़ताल करने प्रभात खबर प्रतिनिधि अस्पताल पहुंचे. हर वार्ड में पड़ताल करने पर ऑक्सीजन सिलिंडर का नजारा कुछ ऐसा दिखा . मेल मेडिकल और सर्जिकल में उपस्थित परिचारिका ने बताया कि मेरे वार्ड में कुल छह छोटा सिलिंडर है जबकि पड़ताल करने पर मात्र दो सिलिंडर ही पाया गया वह भी खाली है या भरा हुआ इसका जवाब उनके पास नहीं था.वहीं लेबर रूम की परिचारिका ने बताया कि लेबर रूम में छह सिलिंडर है .साथ ही साथ उसमें सेंट्रलाइज ऑक्सीजन लाइन भी लगा हुआ है.
गोरखपुर की घटना के बाद बड़े अस्पतालों को किया गया अलर्ट
गोरखपुर में ऑक्सीजन सप्लाई बंद होने की घटना से बच्चों की हुई सामूहिक मौत के बाद राज्य के बड़े अस्पताल को अलर्ट कर दिया गया है. विभाग ने पीएमसीएच, एनएमसीएच और डीएमसीएच दरंभगा, एसकेएमसीएच मुजफ्फरपुर, एएनएमसीएच गया सहित बड़े अस्पतालों में इमरजेंसी सहित ऑक्सीजन बहाली पर संजीदगी से नजर रखी जा रही है. गया व मुजफ्फरपुर के मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में इस मौसम में एइएस पीड़ित बच्चों की संख्या में वृद्धि को देखते हुए वहां विशेष निगरानी रखी जा रही है. विभाग के निर्देश के बाद शनिवार को पीएमसीएच के शिशु रोग विभाग में सेंट्रलाइज्ड ऑक्सीजन सप्लाइ पाइप लाइन में तत्काल 30 और प्वाइंट बढ़ाने के लिए विभागाध्यक्ष ने अधीक्षक को पत्र भेजा है. इधर इमरजेंसी में रखे एक्सपायर ऑक्सीजन सिलेंडर को तत्काल हटा दिया गया. पीएमसीएच के लिए अतिरक्ति डेढ़ सौ ऑक्सीजन के सिलेंडर को सुरक्षित रखा गया है.
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