बिहार में बाढ़ : झकझोर देने वाली त्रासदी से दो चार हो रहे हैं लोग, फिर भी उम्मीद अभी जिंदा है
आशुतोष कुमार पांडेय @ पटना पटना : बिहार का बाढ़ग्रस्त इलाका. जितनी दूर तक नजर जाये, हर ओर बस अथाह बाढ़ का पानी. इस बीच भूख की भड़कती आग को बुझाने के लिए एक गाड़ी पहुंचती है. गाड़ी से कुछ पैकेट दिये जाने लगते हैं. पथरायी आंखों और भूख से पीठ से जाकर मिल चुके […]
आशुतोष कुमार पांडेय @ पटना
पटना : बिहार का बाढ़ग्रस्त इलाका. जितनी दूर तक नजर जाये, हर ओर बस अथाह बाढ़ का पानी. इस बीच भूख की भड़कती आग को बुझाने के लिए एक गाड़ी पहुंचती है. गाड़ी से कुछ पैकेट दिये जाने लगते हैं. पथरायी आंखों और भूख से पीठ से जाकर मिल चुके पेट लिए बाढ़ पीड़ितों का झुंड गाड़ी के पास पहुंचता है. सबको सामग्री लेने की जल्दी है. उसी में एक ऐसी महिला भी है, जिसके बच्चों का दो दिन से अता-पता नहीं है. उसे भी चूरा गुड़ का पैकेट मिलता है, लेकिन धक्का-मुक्की में जमीन पर गिर जाता है. आंचल में मिट्टी से सने चूड़ा लिए वह टीवी के कैमरे पर कातर स्वर में कहती है. हमारा कोई नहीं है मालिक, हमारा कोई नहीं है. हमारा बच्चा कहां है, पता नहीं चल रहा है मालिक. यह दृश्य बिहार के सीमांचल के इलाके का है, जहां एक मां की फरियाद बाढ़ की भयावह गर्जना में कहीं गुम सी हो जा रही है. जी हां, बिहार में विपदा और आपदा का सबसे भीषण प्रवेश बाढ़ के जरिये होता है. सीमांचल के जिलों से लेकर उत्तर बिहार के कई जिलों में चारों ओर सिर्फ और सिर्फ पानी है. जहां तक नजर जाये, चारों ओर मौसमी संमदर सा दिखने वाला नजारा है.
अपनों के खोने का दर्द
बाढ़में अबतक आंकड़ों के हिसाब से 61 लोगों की जान जा चुकी है. राहत-बचाव कार्य जारी है. एनडीआरएफ और सेना के जवान दिन-रात मेहनत कर रहे हैं. शहरों में बैठे लोग टीवी चैनलों से चिपके हुए हैं. टीवी स्क्रीन पर चारों ओर दिखता अथाह जल. भूख से बिलबिलाते जहां-तहां फंसे बच्चे-बूढ़े और महिलाएं. रोते हुए, छाती पीटते हुए, अपनों के खोने का दर्द बयां करते हुए. गोद में बच्चों को लिए हुए. ऐसा लगता है, मात्र पांच दिनों में बाढ़ने सबको कुपोषण का शिकार बनादिया है.सबकेचेहरेबीमारजैसे दिखनेलगे हैं. कैमरे की जद में डूबे हुए गांव, वहां के लोगों का दर्द, डूबती हुई उनकी जिंदगी, सबकुछ दिख रहा है. कहीं-कहीं बड़ा खतरनाक सा मंजर है, जहां के दर्जनों लोग बाढ़ में बह चुके हैं. रात में डराती आवाजें, बाढ़ के पानी तैरती फूली हुई इंसानी लाशें, एक भयावह दृश्य पैदा करती हैं. कैमरे उधर दोबारा घूमते हैं. कई इलाकों में लोग गुस्से में हैं, उन तक कुछ नहीं पहुंचा है, वह कैमरे के सामने कह रहे हैं, कोई पूछने नहीं आया है. बाढ़ के साथबेबस हुई जिंदगी जोर-जोर से बोलकर व्यवस्था के खिलाफ आक्रोश दिखारही है.
उम्मीद की उंगली जिंदा हैं लोग
बाढ़ ने बिहार में तबाही के तांडव का वह दृश्य पैदा किया है, जिससे आम जिंदगी रोजाना मौत की खौफनाक हंसी से दो चार हो रही है. लोगों की दुनिया लूट रही है. बाढ़ के पानी में अपने को मौत के मुंह में जाते हुए देखना और खुद बचे रहना, उन परिवारों के लिए दर्द का पहाड़ है, जो इस त्रासदी में अपना सबकुछ गंवा देते हैं. लोग अचानक ही किसी से पूछ बैठते हैं, तुमने मेरे बच्चे को देखा. कई जगहों पर टीवी चैनलों के कैमरे देखकर झल्लाते लोगों के अंतर्मन में चल रही जद्दोजहद को समझा जा सकता है. उनकी आंखें आसमान में टिकी हुई हैं. स्कूल की छत, ऊंचे स्थान और सामुदायिक भवनों में चल रहे लंगर इनके लिए सबसे बड़े राहत के केंद्र हैं. बाढ़ की विभीषिका को देखने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार हवाई सर्वेक्षण कर रहे हैं. लोगों ने भी उम्मीद की उंगली थाम रखी है, कुछ भो हो डटे रहना है, राहत आज नहीं तो कलमिलेगी जरूर.
अबतक 61 लोगों की मौत
आपदा प्रबंधन विभाग की मानें तो प्रदेश के 13 जिले – किशनगंज, अररिया, पूर्णिया, कटिहार, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, दरभंगा, मधुबनी, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, शिवहर, सुपौल एवं मधेपुरा बाढ़ से प्रभावित हैं. बाढ़ के कारण अररिया में सबसे अधिक 20 लोगों की मौत हुई है. पश्चिमी चंपारण में 9, किशनगंज में 8, सीतामढ़ी में 5, मधेपुरा में 4, पूर्वी चंपारण, दरभंगा एवं मधुबनी में 3-3 और शिवहर में एक व्यक्ति की मौत हुई है. बाढ़ के कारण इन 13 जिलों के 98 प्रखंड और 1070 पंचायत प्रभावित हुए हैं.कुल 69.41 लाख आबादी प्रभावित हुई है. बाढ़ में घिरे लोगों को सुरक्षित निकालने का काम युद्ध स्तर पर किया जा रहा है. अब तक 2,48,140 लोगों को बाढ़ प्रभावित इलाकों से सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया है. 343 राहत शिविरों में 93,149 लोग शरण लिए हुए हैं. बाढ़ प्रभावित इलाकों में युद्ध स्तर पर राहत बचाव के लिए एनडीआरएफ की 22 टीम जिसमें 949 जवान एवं 100 नौका, एसडीआरएफ की 15 टीम जिसमें 421 जवान और 82 नौका, सेना की चार टुकड़ियों के कुल 300 जवान को 40 नौकाओं के साथ हैं. अभी तक 61 लोग काल के गाल में समा चुके हैं. बिहार में बाढ़ की विभीषिका को देखने के बाद अदम गोंडवी की वह कविता बरबस याद आती है. विकट बाढ़ की करुण कहानी नदियों का संन्यास लिखा है, बूढ़े बरगद के वल्कल पर सदियों का इतिहास लिखा है.
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