पटना : जदयू में पार्टी दो गुटों में बंट गयी है. एक ओर पार्टी के वरिष्ठ नेता शरद यादव हैं, तो दूसरी ओर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार. शरद यादव ने घोषणा की है कि पार्टी मैंने बनायी है, मैं क्यों बाहर जाऊं? वहीं दूसरी ओर, पार्टी की कमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हाथ में है, वह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं. जब-जब शरद यादव पार्टी के खिलाफ गतिविधियों में शामिल हुए हैं, तब-तब पार्टी ने उन्हें इसका अहसास भी कराया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ बागी तेवर दिखाने को लेकर अपने ही वरिष्ठ नेता शरद यादव को पार्टी ने राज्यसभा में संसदीय दल के नेता के पद से हटा दिया. उनका साथ देने के लिए पार्टी के दलित नेता रमई राम को भी निकाला जा चुका है. राज्यसभा सांसद अली अनवर पर भी कार्रवाई की गयी. यही नहीं, शरद यादव की यात्रा में शामिल होने के कारण 21 नेताओं को पार्टी से निकाला भी जा चुका है.
विपक्षी दलों के साथ एनडीए से नाराज चल रहे नेताओं को कर रहे एकजुट
शरद यादव खुद को और मजबूत करने के लिए शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं. आज दिल्ली में कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में ‘साझी विरासत बचाओ’ के जरिये वह अपना शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं. वह एनडीए से नाराज चल रहे सभी नेताओं और संगठनों को एकजुट करने में जुट गये हैं. साझा विरासत में शामिल होने के लिए उन्होंने यूपीए में शामिल 17 विपक्षी दलों के नेताओं को न्योता भेजा है. ‘साझा विरासत बचाओ’ सम्मेलन के लिए शरद यादव ने बीआर आंबेडकर के पड़पोते प्रकाश अंबेडकर को भी न्योता भेजा है. वहीं, एनडीए से नाराज चल रहे महाराष्ट्र के किसान नेता राजू शेट्टी को भी शरद यादव ने आमंत्रित किया है.
पटना में भी दिखायेंगे अपनी शक्ति
वहीं दूसरी ओर, दिल्ली में शक्ति प्रदर्शन के बाद शरद यादव का अगला ठिकाना पटना होगा. वह 19 अगस्त को पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में ‘जन अदालत सम्मेलन’ आयोजित कर रहे हैं. दिल्ली में शक्ति प्रदर्शन के बाद पटना में शक्ति प्रदर्शन कर वह बिहार की राजनीति में अपनी धमक दिखाना चाहते हैं. तीन दिनों के बिहार दौरे पर आये शरद यादव को राजद कार्यकर्ताओं और नेताओं का भरपूर सहयोग मिला. इसलिए पार्टी के प्रधान महासचिव सह प्रवक्ता केसी त्यागी ने उन्हें राजद से दूरी बनाने का आग्रह किया है. उन्होंने आग्रह किया है कि 27 अगस्त को राजद की रैली में शामिल होने से परहेज करें.