देश में 3270 डॉल्फिन बिहार में हैं 1214
पटना: विलुप्त हो रही डॉल्फिन को बचाना ही हमारा मकसद होना चाहिए, तभी नदी की बॉयोडायवर्सिटी बचायी जा सकती है. नदी की बॉयोडायवर्सिटी के संतुलन को बनाये रखने में डॉल्फिन मुख्य भूमिका में होती है. रिसर्च और बॉयोडायवर्सिटी पर काम करने के कारण ही बिहार में डॉल्फिन की संख्या 1214 पर पहुंच गयी है. ये […]
पटना: विलुप्त हो रही डॉल्फिन को बचाना ही हमारा मकसद होना चाहिए, तभी नदी की बॉयोडायवर्सिटी बचायी जा सकती है. नदी की बॉयोडायवर्सिटी के संतुलन को बनाये रखने में डॉल्फिन मुख्य भूमिका में होती है.
रिसर्च और बॉयोडायवर्सिटी पर काम करने के कारण ही बिहार में डॉल्फिन की संख्या 1214 पर पहुंच गयी है. ये बातें बॉयोडायवर्सिटी के कई मुद्दों पर होटल मौर्या में आयोजित दो दिवसीय वर्कशॉप के पहले दिन विशेषज्ञों के बीच से निकल कर सामने आयीं. पहले दिन शुक्रवार को नदी की बदलती दशा और दिशा पर विचार किये गये. इस मौके पर देश-विदेश के कई एक्सपर्ट मौजूद थे. नदी बॉयोडायवर्सिटी के विशेषज्ञ पीआर सिन्हा ने बताया कि गंगा में लगातार डॉल्फिन की संख्या बढ़ रही है. एक समय था, जब यह विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गया था, लेकिन अब इस पर काफी काम होने से डॉल्फिन की संख्या बढ़ रही है.
बांग्लादेश, नेपाल, भारत में बहनेवाली गंगा और ब्रrापुत्र की बात करें तो इनमें अभी 3270 डॉल्फिन हैं. इनमें से 1214 डॉल्फिन बिहार की गंगा में मौजूद हैं. इसमें भी सबसे ज्यादा साहेबगंज जिले में है. विशेषज्ञ डा. संदीप बेहरा ने बताया कि उत्तर प्रदेश में गंगा नदी में डॉल्फिन की स्थिति अब भी सही नहीं है. गंगा नदी की सफाई करने के बाद ही इसे बचाया जा सकता है. आयोजक पटना विवि के जियोलॉजी डिपार्टमेंट के आरके सिन्हा ने बताया कि गंगा में गंदगी होने के कारण डॉल्फिन का खाना ही खत्म हो रहा है. हालांकि, अब इसमें काफी सुधार हुआ है.