नीतीश ने कहा, ताकत है तो तोड़ लें जदयू, नहीं तो जायेगी सदस्यता
पटना: जदयू के बागी सांसद शरद यादव और सांसद अली अनवर अंसारी की राज्यसभा की सदस्यता जायेगी. इसके संकेत पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दे दिये हैं. रवींद्र भवन में आयोजित पार्टी की राष्ट्रीय परिषद और खुले अधिवेशन में नीतीश कुमार ने दोनों सांसदों पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि […]
By Prabhat Khabar Digital Desk |
August 20, 2017 8:19 AM
पटना: जदयू के बागी सांसद शरद यादव और सांसद अली अनवर अंसारी की राज्यसभा की सदस्यता जायेगी. इसके संकेत पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दे दिये हैं. रवींद्र भवन में आयोजित पार्टी की राष्ट्रीय परिषद और खुले अधिवेशन में नीतीश कुमार ने दोनों सांसदों पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि पार्टी को तोड़ने की बात कहने वालों में हिम्मत है, तो तोड़ कर दिखाएं, नहीं तो उनकी सदस्यता जायेगी. पार्टी तोड़ने के लिए दो तिहाई सांसदों और दो तिहाई विधायकों को तोड़ना होगा. अगर वे ऐसा कर लेते हैं तो कुछ नहीं कहना है, लेकिन अगर ऐसा नहीं कर सकते हैं, तो उनकी सदस्यता तो जायेगी. राजद के दम पर पार्टी को तोड़ने का अगर मंसूबा रखते हैं तो इसमें वे सफल नहीं हो पायेंगे. मुख्यमंत्री ने कहा कि जदयू एकजुट है.
जदयू के दो लोकसभा सांसद, नौ में से सात राज्यसभा सांसद, सभी 71 विधायक और सभी 30 विधान पार्षद एकजुट हैं. कोई उनके साथ नहीं हैं. शरद यादव का नाम लिये बगैर उन्होंने कहा कि लोकतंत्र लोकराज से चलता है, लेकिन वे ही इसे भूल गये और भ्रष्टाचार में लिप्त व परिवारवाद के साथ हो गये. जदयू में प्रतिबद्धता है और कोई पार्टी छोड़ कर नहीं जा रहा है, लेकिन कुछ लोगों की मानसिकता ऐसी होती है. वे स्वतंत्र हैं. जो करना है वे करें, पार्टी को कोई असर नहीं होने वाला है, वैसे भी उन्होंने पार्टी का स्वेच्छा से परित्याग कर दिया है. 2004 में जब वे लोकसभा चुनाव हार गये तो जॉर्ज फर्नांडीस से कह कर उन्हें राज्यसभा भिजवाया था.
वे अब कहते हैं कि 2013 में एनडीए से हटने के पक्ष में नहीं थे, तो उस समय क्यों नहीं बोले. जब वे ही पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे अौर दिल्ली में ही बैठक हुई थी तो ऐसा करने से क्यों नहीं रोका था? बाद में इस तरह की बात का कोई मायने नहीं रह जाता है. सांसद अली अनवर पर उन्होंने कहा कि वे तो महान हैं. भाजपा के वोट पर ही वे राज्यसभा पहुंचे थे. एक बार नहीं दो-दो बार उन्हें राज्यसभा भेज दिया और अब वे ही उपदेश दे रहे हैं. उन्हें लज्जा नाम की कोई चीज ही नहीं है. अब तो पार्टी के लोग भी मजाक उड़ाते हैं कि उन्हें आदमी की पहचान करनी ही नहीं आती. मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ लोग साझी विरासत की बात कर रहे हैं, लेकिन आज कल साझा एक ही चीज चल रही है और वह है परिवारवाद. हमें बहुमत परिवारवाद या भ्रष्टाचार के लिए नहीं मिला था.
किसी की कृपा से राजनीति में नहीं, न ही मुख्यमंत्री
सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि वो किसी की कृपा से राजनीति में नहीं हैं, न ही किसी की कृपा पर मुख्यमंत्री हैं. उनके मन में न तो किसी के लिए कृपा का भाव है और न ही कभी वे किसी की कृपा पर रहेंगे. बिहार की जनता ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाया है. जदयू की राजनीति में अलग पहचान है. जदयू का अपना जनाधार है. लोग भ्रम में न रहें कि जदयू की ताकत नहीं है. उन्होंने कहा कि महागठबंधन की सरकार में क्या-क्या नहीं कहा गया. परिस्थिति के मुख्यमंत्री हैं, इनका आधार नहीं है, कृपा पर हैं, मुख्यमंत्री बने रहेंगे. इससे बड़ा अपमान की बात क्या हो सकती थी. वे किसी की कृपा पर नहीं रहना चाहते हैं. जिस प्रकार टिप्पणी मिली थी, क्या उसी के लिए मेंडेट मिला था. सब कुछ बरदाश्त करते रहे, लेकिन एक सीमा तक ही बरदाश्त किया जा सकता है. महागठबंधन से अलग होने का फैसला बिहार के हित में लिया. नोटबंदी, सर्जिकल स्ट्राइक का देश के लिए समर्थन किया. बेनामी संपत्ति पर चोट करने की मांग की और जब बेनामी संपत्ति सामने आ रही थी तो कैसे चुप रह सकते थे.
किसी के कुकर्म छुपाने के लिए नहीं मिला था जनादेश
मुख्यमंत्री ने कहा कि तेजस्वी प्रसाद यादव अपने ऊपर लगे आरोपों पर इस्तीफा दे देते तो ऊंचाइयों पर चले जाते, लेकिन उनके सामने जवाब देने के लिए कुछ नहीं था. ऐसे में क्या हम उनके साथ बैठे रहते और पीछे-पीछे चलते? अपनी पहचान मिटा देते और खासियत भूल जाते? ऐसा नहीं हो सकता है. इसलिए इस्तीफा दे दिया और जो ऑफर मिला उसे पार्टी के नेताओं के कहने पर स्वीकार किया. उन्होंने कहा कि महागठबंधन को जनादेश सरकार चलाने, सुशासन और कानून व्यवस्था बहाल रखने के लिए मिला था, न कि किसी के परिवार के भ्रष्टाचार या कुकर्म को छिपाने के लिए. न ही कोई गड़बड़ी हो उस पर परदा डालने के लिए मेंडेट मिला था. जनादेश किसी के पिछल्लगू बन कर सबकुछ झेलने के लिए नहीं मिला था. बार-बार कहते हैं कि राजद लारजेस्ट पार्टी है. राजद का वोट ही ट्रांसफर नहीं होने के कारण कई जदयू के प्रत्याशियों की हार हुई थी. उन्होंने कहा कि मेंडेट हमारे बिना ही मिला था क्या? हमलोग भी मेंडेट के भागीदार हैं. राजद सुप्रीमो अब कहते हैं कि शराबबंदी के खिलाफ थे, तो फिर मानव श्रृंखला में साथ क्यों खड़े थे? उनमें संकल्प और कमिटमेंट की कमी है.
वोट के लिए नहीं, संकल्पके लिए करते हैं काम
सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि वे वोट के लिए नहीं संकल्प के लिए काम करते हैं. बिहार के लोग सरकार बनाने और चलाने का मौका देते हैं तो किसी में फर्क कैसे कर सकते हैं? वोट के लिए काम नहीं करते हैं. मन में किसी प्रकार का कोई विभेद नहीं है. गांधी, लोहिया, जेपी के विचारों पर तो चलते ही हैं, धार्मिक भावनाओं की भी कद्र करते हैं. वहीं कुछ लोग वोट के मालिक बन कर राज करना चाहते हैं. वे जनता को वोटर के रूप में देखते हैं. वैसे लोग समाज या देश का भला नहीं कर सकते हैं. ऐसे लोगों को गुमान और घमंड बहुत है. 2010 का चुनाव याद नहीं है कि लोजपा साथ ही लेकिन 22 सीटें ही आयी थी, जबकि लोजपा एनडीए मेें तो क्या होगा? उन्होंने कहा कि वे जनता को मालिक समझते हैं और सेवक के रूप में काम करते हैं. वे केंद्र में मंत्री भी रह चुके हैं और अब मुख्यमंत्री हैं. आज तक कभी ऐसा अहसास नहीं हुआ कि हम सत्ता में हैं. जनता ने काम करने की जिम्मेदारी दी है, काम करना है. हमारा परिवार का कुछ नहीं है. सब कुछ बिहार का है.