बीएसएससी पर्चा लीक : लीक की सूचना 29 जनवरी को, कार्रवाई पांच फरवरी से

पटना : बिहार कर्मचारी चयन आयोग (बीएसएससी) के प्रश्नपत्र लीक मामले की जांच में कई पहलू सामने आ रहे हैं, जो जांच प्रक्रिया पर प्रश्न उठाते हैं. इस प्रतियोगिता परीक्षा का प्रश्नपत्र और उत्तर 29 जनवरी को ही वायरल हो गया था. हालांकि अभी तक प्रश्नपत्र हकीकत रूप में सामने नहीं आया है और न […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 21, 2017 7:25 AM
पटना : बिहार कर्मचारी चयन आयोग (बीएसएससी) के प्रश्नपत्र लीक मामले की जांच में कई पहलू सामने आ रहे हैं, जो जांच प्रक्रिया पर प्रश्न उठाते हैं. इस प्रतियोगिता परीक्षा का प्रश्नपत्र और उत्तर 29 जनवरी को ही वायरल हो गया था.
हालांकि अभी तक प्रश्नपत्र हकीकत रूप में सामने नहीं आया है और न ही यह पता चल पाया है कि यह सबसे पहले किस प्वाइंट से ऑउट हुआ है. ऑउट होने के बाद यह पहुंचा किसके पास और इसे हल किसने किया. केस डायरी में एक अखबार के सब-एडिटर का धारा- 164 के तहत लिया गया बयान भी संलग्न है. इसके अनुसार 29 जनवरी को वायरल प्रश्नपत्र की सूचना व्हाट्स एप मैसेज कर उन्होंने एसएसपी को दी. परंतु इस मामले में सिर्फ बीएसएससी के तत्कालीन सचिव परमेश्वर राम के बयान को आधार बनाकर इसकी जांच नहीं की गयी.
इसके बाद 5 फरवरी को (दूसरी परीक्षा तारीख) प्रश्नपत्र और उत्तर फिर से वायरल हुआ. इस बार 29 जनवरी और 5 फरवरी की परीक्षा के सभी प्रश्नपत्र एवं उत्तर का मिलान किया गया, तो सभी सही पाये गये. तब जाकर 6 फरवरी को एसआइटी ने इस मामले की जांच शुरू की.
जांच के बाद भी कई सवालों से नहीं उठा पर्दा
अब सवाल यह उठता है कि जब पुलिस को 29 जनवरी को ही पेपर लीक होने का सबूत मिल गया था, तो इसका मिलान क्यों नहीं किया गया. जब मिलान किया गया, तो पहली बार में प्रश्न-पत्र लीक होने की बात साबित क्यों नहीं हुई.
इसके बाद जब 5 फरवरी को मामला फिर सुर्खियों में आया, तब दोनों दिनों का प्रश्न या उत्तर कैसे मिल गया. जो प्रश्न-पत्र 29 जनवरी को आउट हुआ, वह कहां है. यह सबसे पहले किसके पास से और कैसे ऑउट हुआ. अगर व्हाट्स एप पर यह मिला है, तो सबसे पहले किसने इसकी फोटो लेकर किस व्यक्ति को व्हाट्स एप किया. जांच में अभी तक यह बात स्पष्ट रूप से सामने क्यों नहीं आ पायी है. इन सवालों से अभी तक पर्दा नहीं उठा है और ये उलझन बनकर मौजूद हैं.
जांच शुरू होने में क्यों देरी
सबसे अहम सवाल है कि आखिर 29 जनवरी को पेपर लीक की जानकारी मिलने के बाद 6 फरवरी से जांच क्यों शुरू की गयी. दर्ज बयान के मुताबिक जब बाजार में सभी चीजें मौजूद थी, तो इनका मिलान क्यों नहीं किया गया.
इस मामले में कुछ आधिकारिक सूत्र तो यह भी बताते हैं कि जांच की प्रक्रिया किसी खास मकसद से देर से शुरू की गयी. इस मामले में जिस तरह से आनन-फानन में जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है, वह भी कई सवाल उठाता है.

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