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देर से शादी किया तो हो सकता है ब्रेस्ट कैंसर

इस्ट ऑन्कोलॉजी ग्रुप के पांचवें वार्षिक सम्मेलन 2017 का हुआ समापन पटना : अगर आप देर से शादी कर रहे हैं या फिर अधिक जंक फूड खा रहे हैं, तो सावधान हो जायें. क्योंकि, इस स्थिति में कभी भी ब्रेस्ट कैंसर हो सकता है. प्रदेश में अब बच्चेदानी के मुंह के बजाय स्तन कैंसर के […]

इस्ट ऑन्कोलॉजी ग्रुप के पांचवें वार्षिक सम्मेलन 2017 का
हुआ समापन
पटना : अगर आप देर से शादी कर रहे हैं या फिर अधिक जंक फूड खा रहे हैं, तो सावधान हो जायें. क्योंकि, इस स्थिति में कभी भी ब्रेस्ट कैंसर हो सकता है. प्रदेश में अब बच्चेदानी के मुंह के बजाय स्तन कैंसर के मरीज अधिक आ रहे हैं. स्तन कैंसर का मुख्य कारण देर से शादी, मां न बनने की समस्या, थायरॉइड और जंक फूड है. ऐसे में महिलाओं को समय पर शादी करनी चाहिए, साथ ही जंक फूड के सेवन से परहेज करना चाहिए. ये बातें दिल्ली से आये डॉ स्वरूपा मित्रा ने इस्ट ऑन्कोलॉजी ग्रुप की पांचवी वार्षिक सम्मेलन 2017 के समापन समारोह में रविवार को कहीं. डॉ स्वरूपा ने कहा कि स्तन कैंसर के सबसे अधिक मरीज 30 से 40 वर्ष साल के बीच के हैं. अगर शुरुआत से सावधानी बरती जाये व 18 से 26 साल की उम्र में शादी हो जाये, तो यह बीमारी कम होने की उम्मीद रहती है.
पीरियड के 7वें दिन करा लें जांच
धनबाद से आये डॉ समरीज हजरा ने बताया कि युवतियों को पीरियड के सातवें दिन स्तन चेक करना चाहिए, स्तन में गांठ बन रही होगी, तो इसे पकड़ा जा सकता है. वहीं, डॉ संगीता पंकज ने सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिये जागरूकता कार्यक्रम चलाने व विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम गठित करने को कहा. उन्होंने बताया कि यह ह्यूमन पपल्लिलोमा वायरस (एचपीवी) से होता है. इससे बचाव के लिये महिलाओं को एचपीवी वैक्सीन लगवानी चाहिए.
कहीं फेफड़े का कैंसर तो नहीं
डॉ यूपी शाही ने बताया कि सांस लेने में परेशानी, सीने में दर्द और थूक या कफ के साथ खून आना फेफड़े के कैंसर का संकेत हो सकता है. आमतौर पर टीबी के भी यही लक्षण होते हैं, ऐसे में मरीज जानकारी के अभाव में कई बार टीबी का इलाज शुरू करवा देते हैं. दो से तीन महीने तक टीबी की दवा खाने के बाद भी हालत में सुधार न होने पर जब उन्हें विशेषज्ञों के पास भेजा जाता है, तब पता चलता है कि उन्हें टीबी नहीं कैंसर है. मौके पर ग्रुप के सचिव डॉ राजेश कुमार सिंह, डॉ मनीष मंडल, डॉ अमरेंद्र कुमार सहित कई डॉक्टर मौजूद थे.
चार साल के बच्चे भी हो रहे गठिया के शिकार
पटना. प्रदेश में इन दिनों गठिया रोग से ग्रसित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. करीब एक प्रतिशत आबादी इस बीमारी से परेशान है.
इतना ही नहीं अब चार साल तक के बच्चों में भी इस रोग के लक्षण दिखने लगे हैं. रविवार को ग्लोबल आर्थोपेडिक्स फोरम की ओर से गठिया रोग पर आयोजित एक सेमिनार मे हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ अमूल्या सिंह ने ये बात कही.
कार्यक्रम का उद्घाटन आइएमए के डॉ सहजानंद प्रसाद ने किया. मौके पर मौजूद आइडीए के सचिव डॉ अमलेश कुमार ने कहा कि कम्र उम में जिन बच्चों को गठिया हो रहा है, उनमें अधिकांश जेनेटिक लक्षण हैं. इस मौके पर वेस्टर्न पटना क्लब के अध्यक्ष डॉ कृष्णा कुमार, डॉ मनीषा सिंह, डॉ एसएस झा आिद मौजूद थे.

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