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सृजन घोटाला : बिहार के डीजीपी का दावा, 2003 से ही संस्था को प्राप्त होने लगी थी सरकारी राशि

पटना : बिहार के पुलिस महानिदेशक पीके ठाकुर ने आज कहा कि भागलपुर जिला में सरकारी खातों से जालसाजी एवं षडयंत्रपूर्ण तरीके से 870.88 करोड़ रुपये की राशि का अवैध हस्तांतरण सृजन संस्था को किए जाने के मामले में अब तक 11 मामले दर्ज किए और 18 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. अपर पुलिस […]

पटना : बिहार के पुलिस महानिदेशक पीके ठाकुर ने आज कहा कि भागलपुर जिला में सरकारी खातों से जालसाजी एवं षडयंत्रपूर्ण तरीके से 870.88 करोड़ रुपये की राशि का अवैध हस्तांतरण सृजन संस्था को किए जाने के मामले में अब तक 11 मामले दर्ज किए और 18 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. अपर पुलिस महानिदेशक एसके सिंघल के साथ आज पत्रकार सम्मेलन में ठाकुर ने बताया कि एक सरकारी चेक के गत 04 अगस्त को बाउंस होने के बाद उक्त मामला प्रकाश में आया. जिला पदाधिकारी, भागलपुर द्वारा विशेष टीम गठित कर जांच करायी गयी, जिससे यह उजागर हुआ कि सरकारी राशि का गबन सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड के माध्यम से किया जा रहा है.

डीजीपी पीके ठाकुर ने कहा कि इस संबंध में गत 7 अगस्त को भागलपुर जिला के कोतवाली (तिलकामांझी) थाना में मामला दर्ज कर जांच प्रारंभ किया गया. उन्होंने बताया कि भागलपुर जिलांतर्गत सरकारी बैंक खातों से सरकारी राशि का हस्तान्तरण अवैध तरीके से सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड के खातों में सरकारी पदाधिकारी एवं कर्मी, बैंक आफ बड़ौदा एवं इण्डियन बैंक के पदाधिकारी और कर्मियों के षडयंत्र एवं सहयोग से करने के साक्ष्य प्रकाश में आने लगे.

पीके ठाकुर ने बताया कि मामले की गंभीरता एवं सरकारी राशि के भारी मात्रा में संभावित गबन को देखते हुए आर्थिक अपराध इकाई के पुलिस महानिरीक्षक के नेतृत्व में जांच दल को गत 09 अगस्त को विशेष विमान से भागलपुर भेजा गया. भागलपुर जिला में सरकारी खातों से जालसाजी एवं षडयंत्रपूर्ण तरीके से राशि की निकासी एवं दुरुपयोग के संबंध में दर्ज कांडों के अनुसंधान के क्रम में पाया गया कि यह मामला काफी लंबी अवधि से चल रहा था. इसका अनुसंधान विस्तारपूर्वक शुरू किया गया पर अवधि लंबी होने के कारण प्रत्येक वित्तीय वर्ष के अनुसार आगे जांच की जाने लगी.

ठाकुर ने बताया कि भागलपुर जिला में नगर विकास, जिला नजारत, भू-अर्जन, को-आपरेटिव, जिला कल्याण, जिला परिषद एवं स्वास्थ्य विभाग से संबंधित संधारित खातों से कुल 624.86 करोड़ रुपये की राशि के गबन के कुल 09 कांड, सहरसा जिला के भू-अर्जन शाखा से संबंधित कुल 162.92 करोड़ रुपये से संबंधित 01 कांड तथा बांका जिला के भू-अर्जन शाखा से संबंधित कुल 83.10 करोड़ रुपये के अवैध हस्तानान्तरण एवं गबन से संबंधित 01 कांड यानी कुल 11 कांड दर्ज किये जा चुके हैं. अब तक कुल लगभग 870.88 करोड़ रुपये की राशि के अवैध हस्तानांतरण एवं गबन की बात प्रकाश में आयी है. उन्होंने बताया कि भागलपुर जिला में आज एक और मामला दर्ज होने वाला है जिससे कुछ और राशि प्रकाश में आ सकती है.

पीके ठाकुर ने बताया कि इन 11 कांडों में अब तक कुल 18 अभियुक्तों की गिरफ्तारी हुयी है, जिनमें जिला कल्याण पदाधिकारी, भागलपुर, जिला सहकारिता पदाधिकारी, सुपौल सहित 6 सरकारी पदाधिकारी, कर्मी, बैंक आफ बडौदा एवं इण्डियन बैंक के 2 प्रबंधक सहित कुल 8 बैंक पदाधिकारी, कर्मी तथा सृजन के प्रबंधक सहित कुल 03 पदधारकों एवं 01 चालक शामिल हैं. उन्होंने कहा कि सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड की सचिव रजनी प्रिया, उनके पति अमित कुमार एवं राजीव रंजन सिंह, तत्कालीन भू-अर्जन पदाधिकारी, भागलपुर की गिरफ्तारी के लिए विशेष कार्यदल का गठन किया गया है, जिसने पटना, रांची, सुपौल, नवगछिया, बांका, कहलगांव एवं छिपने के अन्य स्थानों पर छापामारी की. इनकी गिरफ्तारी के लिए अन्य राज्यों से भी सहयोग लिया जा रहा है.

डीजीपी पीके ठाकुर ने बताया कि अभियुक्त रजनी प्रिया एवं अमित कुमार देश न छोड सके, इसके लिए उनके पासपोर्ट जब्त करने के लिए क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय से गत 12 अगस्त को अनुरोध किया गया है. उनके संबंध में लुक आउट नोटिस जारी करने हेतु अपराध अनुसंधान विभाग द्वारा केंद्रीय गृह मंत्रालय को गत 16 अगस्त को ही अनुरोध किया गया है. उन्होंने बताया कि अनुसंधान के क्रम में सरकारी कार्यालयों, प्रतिष्ठानों, सृजन के कार्यालय एवं अभियुक्तों के घरों की तलाशी लेते हुए कई महत्वपूर्ण दस्तावेजों एवं सामानों की जब्ती की गयी है.

ठाकुर ने बताया कि गिरफ्तार एवं फरार अभियुक्तों के लगभग डेढ़ दर्जन से अधिक खातों को फ्रीज किया गया है. मामले में त्वरित कार्वाई करते हुए संलिप्त जिला कल्याण पदाधिकारी सहित कुल 05 पदाधिकारी, कर्मियों को निलंबित किया गया है. बैंक से संबंधित अन्य पदाधिकारियों एवं कर्मियों के विरुद्ध संबंधित बैंक द्वारा कार्वाई की जा रही है. ठाकुर ने बताया कि इस पूरे प्रकरण में केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा विभिन्न विकास एवं कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए आवंटित सरकारी राशि का दुरुपयोग किया गया. बैंकों तथा सरकारी पदाधिकारियों एवं कर्मियों की संलिप्तता प्रकाश में आने के बाद जांच सीबीआइ को सौंपने का निर्णय लेते हुए राज्य सरकार द्वारा गत 18 अगस्त को केंद्र सरकार को अनुशंसा भेजी गयी है.

उन्होंने बताया कि इस मामला के प्रकाश में आने पर मुख्य सचिव द्वारा सभी जिला पदाधिकारियों को अपने जिले में संचालित सभी सरकारी बैंक खातों से जमा-निकासी का सत्यापन करने का निर्देश दिया गया है. अभी कुछ देर पहले वित्त विभाग के प्रधान सचिव ने बताया कि इस मामले में निर्देश जारी कर दिया गया है कि सभी खातों का सत्यापन कर उन्हें रिपोर्ट सौंपे.

ठाकुर ने कहा कि जब तक सीबीआई द्वारा विधिवत मामलों का भार ग्रहण नहीं किया जाता तब तक राज्य पुलिस की एजेंसियां जांच को आगे बढाएंगी. इसमें कोई भी संलिप्त हैं उन पर कार्वाई होगी. उन्होंने कहा कि अनुसंधान एवं जांच के क्रम में कुछ ऐसे कागजात हमारे पास उपलब्ध हुए जिससे पता चलता है कि वर्ष 2003 में ही संस्था को राशि मुहैया कराना शुरु कर दिया गया था. इसलिए यह अवधि बहुत लंबी और काफी विस्तारित है. ठाकुर ने कहा कि तीन दिनों पूर्व सुपौल जिला में एक अभियुक्त के घर में छापेमारी के दौरान 2003 का एक पत्र बरामद हुआ है जिसमें एक जिलाधिकारी द्वारा उक्त संस्था में राशि जमा किए जाने निर्देश दिया गया है जिसका सत्यापान कराया जा रहा है वह फर्जी है या सही है.

उन्होंने कहा कि उक्त संस्था का निबंधन संभवत: 1996 में हुआ था और 2001 में उसे प्रखंड में कार्यक्रम आयोजित करने के लिए कहा गया और उसके बाद ट्रायसम भवन और 2003 में 30 साल के लीज पर दिए जाने की बात प्रकाश में आयी है. ठाकुर ने कहा कि इसमें हम सिलसिलेवार आगे बढेंगे और सभी पहलुओं पर हम गहराई से अपनी जांच जारी रख रहे हैं और जैसे ही सीबीआई के अधिकारी आएंगे उन्हें इसे सौंप दिया जाएगा और उन्हें जांच में आवश्यक सहयोग मुहैया करायेंगे.

एक पत्र को लेकर उठाए जा रहे सवालों के बारे में पूछे जाने पर ठाकुर ने कहा कि इसमें आगे की जांच करायी जा रही है पर हमलोगों के पास जो जानकारी प्राप्त हुई है उसमें आयकर विभाग और आरबीआई के निर्देश के अनुसार विभाग द्वारा कार्वाई की गयी थी. यह चेक जमा करने से संबंधित था न कि जालसाजी के जरिए राशि का हस्तांतरण किया गया.

इस मामले में एक मुख्य अभियुक्त महेश मंडल की मौत को लेकर उठाए जा रहे सवाल पर ठाकुर ने कहा कि वे पहले से ही बीमार थे और गिरफ्तारी के बाद भी उनका लगातार इलाज चलता रहा है. उन्होंने बताया कि मृतक के शव का पोस्टमार्टम चिकित्सकों के बोर्ड द्वारा और उसकी वीडियोग्राफी और मौत की न्यायिक जांच की प्रक्रिया अपनायी जा रही है और अगर कहीं कोई लापरवाही की बात सामने आएगी तो कार्वाई होगी.

ठाकुर ने बताया कि अब तक की जांच में सामने आया कि जिला स्तर पर सरकारी खाते से किसी दूसरे खाते में राशि का हस्तांतरण किया गया है और यह संगठित तौर किया जा रहा था. दूसरे राज्य में सृजन की राशि अन्य राज्यों में जाने के बारे में पूछे जाने पर ठाकुर ने इस बिंदु पर स्पष्ट रुप कोई जवाब देने से इंकार करते हुए कहा कि कई जगहों की बात आईं है पर जब तक उसका सत्यापन नहीं हो जाता कुछ भी कहना उचित नहीं होगा.

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