सृजन घोटाला : सीबीआइ ने किया टेक ओवर, भ्रष्ट लोकसेवकों पर लगेगा पीसी एक्ट, संपत्ति होगी जब्त
पटना : सृजन घोटाले को सीबीआइ ने टेक ओवर कर लिया है. इससे संबंधित आदेश विभागीय स्तर पर ले लिया गया है. हालांकि, इसकी आधिकारिक सूचना बिहार सरकार को नहीं मिली है. एक-दो दिनों में इसकी आधिकारिक सूचना राज्य सरकार को दे दी जायेगी. सूत्रों के अनुसार, बुधवार की देर शाम सीबीआइ अधिकारियों की एक […]
पटना : सृजन घोटाले को सीबीआइ ने टेक ओवर कर लिया है. इससे संबंधित आदेश विभागीय स्तर पर ले लिया गया है. हालांकि, इसकी आधिकारिक सूचना बिहार सरकार को नहीं मिली है. एक-दो दिनों में इसकी आधिकारिक सूचना राज्य सरकार को दे दी जायेगी. सूत्रों के अनुसार, बुधवार की देर शाम सीबीआइ अधिकारियों की एक उच्च स्तरीय बैठक हुई, जिसमें इस पर निर्णय किया गया. मालूम हो कि सीएम नीतीश कुमार ने 17 अगस्त को अधिकारियों के साथ बैठक के बाद इसकी जांच सीबीआइ को सौंपने का आदेश दिया.
घोटाला में शामिल भ्रष्ट लोक सेवकों पर अलग से दर्ज होगा पीसी एक्ट के तहत मामला, संपत्ति होगी जब्त
सृजन घोटाले में अब तक जांच के दौरान 900 करोड़ से ज्यादा की गड़बड़ी सामने आ चुकी है. इसमें अब तक डेढ़ दर्जन से ज्यादा अभियुक्तों के नाम सामने आ चुके हैं. इसमें अधिकतर की गिरफ्तारी भी हो चुकी है. अब तक जिन लोगों के नाम सामने आये या गिरफ्तारी हुई है, उसमें सबसे अधिक संख्या सरकारी लोक सेवकों की है. इन भ्रष्ट लोक सेवकों के खिलाफ जल्द ही बिहार पुलिस पीसी (प्रीवेंशन ऑफ करप्शन) एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज करने जा रही है. यह नया मामला इस मामले में चार्जशीट दायर होने के पहले तक तो दर्ज हो ही जायेगी. यानी, इस घोटाले में फंसे भ्रष्ट लोक सेवकों की संपत्ति जब्त होना तय माना जा रहा है. पीसी एक्ट के तहत मामला दर्ज करने के लिए सभी एफआइआर में जिन-जिन भ्रष्ट लोक सेवकों का नाम आ चुका है, उन्हें सम्मिलित करते हुए पीसी एक्ट के अंतर्गत एक नयी एफआइआर दर्ज की जायेगी.
अब तक पीसी एक्ट में दर्ज नहीं हुआ मामला
सृजन घोटाले की जांच बिहार पुलिस की टीम के साथ-साथ आर्थिक अपराध इकाई (इओयू) की टीम संयुक्त रूप से कर रही है. अब तक जितनी भी एफआइआर दर्ज की गयी है, उसमें पीसी एक्ट के तहत एक भी मामला दर्ज नहीं हुआ है. हालांकि, इन मामले में जो धाराएं लगायी गयी हैं, वे सभी गंभीर और गैर जमानती हैं. फिर भी बिना पीसी एक्ट के तहत मामला दर्ज हुए लोक सेवकों की संपत्ति जब्त नहीं की जा सकती है. यह धारा मुख्य रूप से लोक सेवकों पर ही लगाया जाता है. हालांकि, कुछ विशेष परिस्थिति में किसी लोक सेवक के साथ फंसे सामान्य व्यक्ति पर भी यह धारा लगायी जा सकती है. परंतु, राज्य पुलिस की जांच अभी इस ढर्रे पर चल रही है कि पहले इसमें शामिल सभी अभियुक्तों को खोज-खोज कर निकाल लो और इन पर एफआइआर करके अंदर कर दो. फिर भ्रष्ट लोक सेवकों पर अलग से पीसी एक्ट के तहत मामला दर्ज कर संपत्ति जब्ती की कार्रवाई शुरू की जाये. ऐसे भी इस मामले को सीबीआइ के टेक-ओवर करने के बाद पीसी एक्ट के तहत मामला दर्ज हो जायेगा. लोक सेवकों के अलावा इसमें शामिल अन्य स्तर के लोगों की भी संपत्ति बिहार क्रिमिनल लॉ एक्ट, 2005 के अंतर्गत जब्त होगी.
इस मामले में एडीजी (मुख्यालय) एसके सिंघल का कहना है कि घोटाला में शामिल सभी लोक सेवकों पर अलग से संयुक्त रूप से पीसी एक्ट के तहत एक नया मामला दर्ज किया जायेगा. पहले सभी लोक सेवकों के नाम उजागर कर लिये जायें. वर्तमान एफआइआर में पीसी एक्ट इसलिए नहीं लगाया जा सका है कि इसमें लोक सेवकों के साथ-साथ आम लोगों के भी नाम हैं.
कुछ अधिकारियों की पैरवी भी आने लगी अभियुक्तों के लिए
सृजन घोटाले के तार कई अधिकारियों से लेकर बड़े सफेदपोशों तक जुड़े हुए हैं. एमवी राजू या राजू सिंगर की गिरफ्तारी के लिए एसआइटी की टीम कई स्थानों पर छापेमारी कर रही है. वहीं, दूसरी तरफ एक आइपीएस अधिकारी इसकी पैरवी भी करने में जुटे हुए हैं. यह आइपीएस महोदय वर्तमान में वेटिंग फॉर पोस्टिंग पर चल रहे हैं, लेकिन पहले एक जिले के एसपी हुआ करते थे. इन्होंने राजू सिंगर के लिए जिला एसपी और संबंधित जांच अधिकारी को फोन करके कहा कि राजू के मामले में थोड़ी रहम बरती जाये. वह अच्छा आदमी है, उसे परेशान नहीं किया जाये. उनकी पैरवी का कितना असर हुआ, यह तो स्पष्ट नहीं हो पाया है.