नयी दिल्ली/पटना : केंद्र सरकार ने बिहार के चर्चित सृजन घोटाले की जांच सीबीआइ से करानेकी मंजूरी दे दी है. बता दें कि घोटाले की राशि एक हजार करोड़ रुपये से अधिक की है. इससे पहले बिहार में तमाम राजनीतिक दलों ने इसकी सीबीआइ जांच कराने की मांग उठायी थी.इसकेबाद बीते दिनाें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस मामले की जांच सीबीआइ से कराये जाने की अनुशंसा की थी. बादमें सृजन घोटाले को सीबीआइ ने टेक ओवर कर लिया और इससे संबंधित आदेश विभागीय स्तर पर ले लिया गया.
सूत्रों की मानें तो बुधवार की देर शाम सीबीआइ अधिकारियों की एक उच्च स्तरीय बैठक हुई, जिसमें इस पर निर्णय लिया गया. बात दें कि सीएम नीतीश कुमार ने 17 अगस्त को इसकी जांच सीबीआइ को सौंपने का आदेश दिया. इसके अगले ही दिन राज्य सरकार ने इसके लिए केंद्रीय डीओपीटी को पत्र भेजा दिया था. जिसपर मुहर लगाते हुए अब केंद्र सरकार ने इसकी मंजूरी दे दी है.
क्या हैं मामला
बिहार का ये बहुचर्चित घोटाला भागलपुर, बांका और सहरसा जिले में सरकारी फंड के गबन से जुड़ा है, जिसमें कई नौकरशाहों समेत सफेदपोशों की संलिप्तता सामने आ रही है. बिहार सरकार ने इस घोटाले का सच सामने आने के बाद जांच के आदेश दिये थे जिसके बाद एसआइटी की टीम मामले की जांच कर रही थी. इस बहुचर्चित घोटाला मामले में सृजन की सचिव प्रिया कुमार, अमित कुमार और जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी राजीव रंजन सिंह के खिलाफ वारंट जारी किया गया है. इन सभी के खिलाफ भागलपुर के सीजीएम कोर्ट ने ये वारंट जारी किया है.
लालूका आरोप
राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने बुधवार को कहा था कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सृजन घोटाले का सबूत मिटाने में जुट गये हैं. घोटाला सामने आने के बाद उन्होंने अपने स्वजातीय और चहेते अफसरों की जांच टीम गठित की. खुद को बचाने के लिए नीतीश कुमार साक्ष्यों को समाप्त करा रहे हैं. जिस व्यक्ति को एसआइटी में जांच का जिम्मा दिया गया है वह भागलपुर में एसएसपी रहते हुए सृजन के सभी कार्यक्रमों में शामिल होता था. सृजन के कार्यक्रमों में भाग लेने वालों को अच्छी साड़ी और उपहार दिया जाता था. राजद प्रमुख ने हमला तेज करते हुए आगे कहा था कि सृजन घोटाला का नाम अब नीतीश और सुशील मोदी घोटाला हो गया है.
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