पटना : बिहार विधानसभा का मानसून सत्र पूरी तरह सृजन घोटाले की भेंट चढ़ गया. घोटाले को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष में तनातनी चलती रही. इसी क्रम में बिहार के उपमुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने शुक्रवार को मीडिया से बातचीत में बताया कि ऐसा कोई साक्ष्य या प्रमाण नहीं है, जिससे राज्य के मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री को सृजन घोटाले की जानकारी हो. सुशील मोदी ने मीडिया के सामने उन सभी कागजातों को रखा, जिससे यह पता चलता है कि सबसे पहले राबड़ी देवी के शासनकाल में सरकारी पैसा सृजन के खाते में जमा करने का आदेश हुआ. सुशील मोदी ने कहा कि इसके बाद भी इस आधार पर राजद सरकार या राबड़ी देवी या उस समय के वित्त मंत्री पर आरोप नहीं लगाया जा सकता. सुशील मोदी ने साफ कहा कि मामले की जांच के बाद पता चलेगा कि आखिर घोटाले को किस तरह से अंजाम दिया गया.
सुशील मोदी ने कहा कि इस घोटाले के बारे में ऊपर के लोगों का ध्यान जाता, तब यह पकड़ में आ सकता था. अपने ऊपर राजद की ओर से लगाये जा रहे आरोपों पर जवाब देते हुए मोदी ने कहा कि यह तो ऐसे ही है, जैसे चोर मचाये शोर. सुशील मोदी ने कहा कि लालू यादव अपने ऊपर लगे आरोपों का तो जवाब नहीं देते और इनके द्वारा लगाये गये आरोपों की आखिर क्या विश्वसनीयता होगी ? सृजन घोटाले को लेकर मानसून सत्र के अंतिम दिन भी विधानसभा की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी. इससे पूर्व गुरुवार को सुशील मोदी ने मीडिया से कहा था कि मैं इस पर कुछ नहीं कहूंगा. बिहार के लोग मुझे जानते हैं और मुख्यमंत्री को भी जानते हैं. सुशील ने कहा कि बिहार के लोग उन लोगों को भी जानते हैं. क्यों उन्हें सत्ता गंवानी पडी और एक ही बार सत्ता नहीं गंवानी पड़ी बल्कि इससे पहले लालू जी को सत्ता क्यों गंवानी पड़ी थी बिहार के लोग जानते हैं और चारा घोटाले में उन्हें सजा हुई है. उनके खिलाफ केवल आरोप पत्र समर्पित नहीं हुआ बल्कि वे सजायाफ्ता हैं. जो लोग सजायाफ्ता होने के बावजूद बेशर्मी से दूसरे पर पर आरोप लगाते हैं उसका जवाब देने की आवश्यकता नहीं बिहार की जनता बहुत जागरूक है.
गुरुवार को राजद की ओर से आपत्तिजनक शब्द कहे जाने पर सुशील मोदी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि उन्होंने कहा था कि कोई अगर अपशब्द है तो बिहार विधानसभा अध्यक्ष उसे सदन की कार्यवाही से निकालने के लिए सक्षम हैं. भाजपा के वरिष्ठ नेता और मंत्री नंदकिशोर यादव ने गुरुवार को कहा था कि जो लोग भ्रष्टाचार के मामले में स्वयं फंसे हुए हैं, उन्हें इस तरह की टिप्पणी करने से पहले शर्म आनी चाहिए. जदयू के प्रधान महासचिव केसी त्यागी ने इसकी निंदा करते हुए कहा कि अपनी उम्र से दोगुने लोगों के लिए ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किया जाना सही नहीं है. उन्हें इसके बदले उचित शब्द का प्रयोग करना चाहिए था.
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