पटना : राज्य के कृषि मंत्री डॉ प्रेम कुमार ने कहा है कि राज्य में बिक्री होने वाले बीज, उर्वरक एवं कीटनाशी की गुणवत्ता हर हाल में सुनिश्चित होगी. इसकी गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होगा. बीज, उर्वरक एवं कीटनाशी की खरीद पर किसानों को अपनी गाढ़ी कमाई खर्च करनी पड़ती है.
कृषि मंत्री शनिवार को गुण नियंत्रण प्रयोगशाला एवं बीज विश्लेषण प्रयोगशाला की समीक्षा कर रहे थे. समीक्षा के क्रम में संयुक्त निदेशक (रसायन) गुण नियंत्रण प्रयोगशाला ने बताया कि मीठापुर फार्म अवस्थित गुण नियंत्रण प्रयोगशाला राज्य स्तर पर वर्तमान में एकमात्र प्रयोगशाला है. यहां अकार्बनिक उर्वरक, कार्बनिक उर्वरक, जैव उर्वरक एवं कीटनाशी की जांच की जाती है.
इस प्रयोगशाला में सभी अत्याधुनिक मशीनें उपलब्ध हैं. कीटनाशी प्रयोगशाला में 89 प्रकार की कीटनाशी की जांच की जाती है. बताया गया कि उर्वरक, कीटनाशी एवं बीजों के गुणवत्ता की जांच हेतु राज्य स्तर से प्रत्येक वर्ष लक्ष्य निर्धारित किया जाता है. निर्धारित लक्ष्य के आलोक में पूरे राज्य से नमूने एकत्र किये जाते हैं. कृषि मंत्री ने निर्देश दिया कि यदि आवश्यक हो तो प्रमंडल व जिला स्तर पर भी प्रयोगशालाएं स्थापित की जाय ताकि और प्रभावी ढंग से गुणवत्ता की जांच की जा सके.
भूगर्भ जल स्तर व गुणवत्ता की जांच के लिए बनेगा लैब
केंद्र सरकार और वर्ल्ड बैंक की इस महत्वाकांक्षी परियोजना को आठ साल के दौरान कई फेजों में पूरा किया जायेगा. इस पर कुल लागत 30 करोड़ रुपये आने की संभावना है. पहले चरण में इस साल काम करने के लिए तीन करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे. इस दौरान भवन निर्माण किया जायेगा और उपकरण खरीदे जायेंगे.
पटना : भूगर्भ जल का स्तर और उसके गुणवत्ता की जांच के लिए एक उच्च तकनीकी प्रयोगशाला राजधानी में बनाया जायेगा. इसका सीधा फायदा सिंचाई और पेयजल सुविधाओं में होगा. इस परियोजना के निर्माण में केंद्र सरकार और वर्ल्ड बैंक बराबर-बराबर निवेश करेंगे. इस प्रयोगशाला को चलाने के लिए प्रदेश के लघु जल संसाधन विभाग के अंतर्गत एक भूगर्भ जल निदेशालय बनाया जायेगा. लघु जल संसाधन विभाग के सूत्रों की मानें तो प्रदेश में कई जगह खासकर दक्षिणी बिहार में भूगर्भ जलस्तर बहुत नीचे जाने की बहुत शिकायतें मिल रही थीं.
कई जगह तो यह जलस्तर 200 फीट से भी नीचे चला गया है. ऐसे में आने वाले समय में पेयजल और सिंचाई के लिए मिलने वाले पानी की समस्या हो सकती है. इसका निराकरण करने के लिए ही इस नयी परियोजना पर काम शुरू होगा. केंद्र सरकार और वर्ल्ड बैंक की इस महत्वाकांक्षी परियोजना को आठ साल के दौरान कई फेज में पूरा किया जायेगा. इस पर कुल लागत 30 करोड़ रुपये आने की संभावना है. पहले चरण में इस साल काम करने के लिए तीन करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे. इस दौरान भवन निर्माण किया जायेगा और उपकरण खरीदे जायेंगे.
प्रयोगशाला में कैसे होगा काम : प्रयोगशाला में लगाये गये उपकरण उपग्रह से जुड़े होंगे. इसका नाम ऑटोमेटिक डिजिटल ग्राउंड वाटर लेवल रिकॉर्डर है. राज्य के किसी भी जगह के जलस्तर की जांच पटना के इस प्रयोगशाला में ही हो सकेगी. इसके साथ ही राज्य के अलग-अलग जगह से पानी के नमूनों को यहां लाकर जांच की जा सकेगी.
परियोजना में लग रहा बहुत ज्यादा समय: विभागीय सूत्रों की मानें तो इस परियोजना के पूरा होने में आठ साल का समय लगेगा. इस बारे में प्रयोगशाला के जानकारों का कहना है कि यह समय बहुत ज्यादा है. यदि जमीन और पैसे की व्यवस्था हो जाये तो प्रयोगशाला में उपकरण वगैरह लगाकर इसे शुरू करने में छह महीने का समय काफी है. यह बहुपयोगी परियोजना है. इसलिये इसकी समयावधि पर विचार किया जाना चाहिए और इसे जल्द शुरू करना चाहिए.
विभागीय सूत्रों के अनुसार राज्य के 38 जिला कार्यालय और 533 प्रखंड कार्यालय में प्रदेश सरकार भूगर्भ जलस्तर की जांच के लिए उपकरण लगवायेगी. इसके लिए 24 करोड़ रुपये का बजट है. पिछले एक साल के दौरान 298 जगह उपकरण लग चुके हैं. ये सभी उपग्रह से जुड़े हैं. इनमें से 295 जगह से रीडिंग आ रही है. सभी जगह की रीडिंग के आधार पर जलस्तर ठीक करने की योजना पर काम होगा.
ये होंगे फायदे
भूगर्भ जलस्तर की जांच से पता चलेगा कि जमीन में पानी की कितनी मात्रा है. इसमें से सिंचाई व पेयजल के लिए कितना पानी निकाला जाये.
जलस्तर कम होने पर उसे बढ़ाने के उपायों पर विचार किया जायेगा. इसके जल संचयन या अन्य दूसरे स्रोतों की मदद ली जा सकती है.
पानी के गुणवत्ता की जांच रिपोर्ट के अनुसार किसानों को फसलों के लिए पानी के इस्तेमाल और आम लोगों को पेयजल के इस्तेमाल करने या नहीं करने की सलाह दी जायेगी.