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BIHAR : राज्य की ग्रामीण सड़कों की निगरानी अब ‘आरंभ एप’ से
पटना : सूबे की ग्रामीण सड़कों की मरम्मत और उसकी निगरानी आरंभ नामक एप से होगी. जल्द ही ग्रामीण कार्य विभाग के सभी कनीय और सहायक अभियंताओं को इस एप को संचालित करने का प्रशिक्षण मिलेगा. इस एप का एक लाभ यह भी होगा कि संवेदक अब सड़कों की सालाना मरम्मत में कोताही नहीं बरत […]
पटना : सूबे की ग्रामीण सड़कों की मरम्मत और उसकी निगरानी आरंभ नामक एप से होगी. जल्द ही ग्रामीण कार्य विभाग के सभी कनीय और सहायक अभियंताओं को इस एप को संचालित करने का प्रशिक्षण मिलेगा. इस एप का एक लाभ यह भी होगा कि संवेदक अब सड़कों की सालाना मरम्मत में कोताही नहीं बरत सकेंगे.
इस एप का लाभ विभाग को बाढ़ से क्षतिग्रस्त हुई सड़कों के निर्माण में मिलेगा. बाढ़ से क्षतिग्रस्त हुई सड़कों को दुरुस्त करने में विभाग को एक हजार करोड़ से अधिक खर्च करना होगा. ग्रामीण कार्य विभाग का राज्य में सवा लाख किलोमीटर से अधिक सड़कें है. इसमें से 65 हजार किलोमीटर से अधिक सड़क का निर्माण हो चुका है. बची सड़कों को चार साल में बनाने का लक्ष्य रखा गया है.
विभाग के नियम के अनुसार जो संवेदक जिस सड़क को बनायेंगे, उसका देखरेख पांच साल तक उसी संवेदक को करना होता है. सड़क का देखरेख करने में संवेदक काफी लापरवाही और कोताही बरतते हैं. आरंभ एप से इस पर लगाम लगेगा. इससे उच्च गुणवत्ता वाली सड़कों का निर्माण हो सकेगा. ग्रामीण सड़कों की निगरानी के लिए शुरू किये गये आरंभ एप अभी 16 राज्यों से जुड़े हैं. यह एक सर्वर से जुड़ा होगा.
एप पूरी तरह ऑनलाइन है. एप परफोरमेंस बेस्ड मेंटनेंस कांट्रैक्ट है. इसमें काफी फीचर्स दिये गये हैं. इससे सड़क की निगरानी. उसका डीपीआर और बिलिंग सब होगा. पहले सड़क मरम्मत करने के लिए डीपीआर बनाने में ही कई दिन लगे जाते थे. अब यह काम महज दो घंटों में हो जायेगा. इससे समय की भी बचत होगी.
इंजीनियर जैसे ही एप पर खराब सड़क की तस्वीर और पूरी विवरण डालेंगे उसके थोड़ी देर बाद एप के माध्यम से उसका डीपीआर मिल जायेगा. मुख्यालय में बैठे-बैठे पूरी जानकारी मिल मिल जायेगी. अभी रूटीन देखरेख में विभाग प्रति किलोमीटर दो से तीन लाख और पुनर्निमाण पर 25 से 32 लाख खर्च करता है.
प्रदेश के अभियंताओं को दी जा रही है ट्रेनिंग
एप का लाभ विभाग को बाढ़ से क्षतिग्रस्त हुई सड़कों के निर्माण में मिलेगा
ग्रामीण कार्य विभाग की राज्य में सवा लाख किलोमीटर से अधिक सड़कें हैं
अब महज दो घंटों में बनेगी डीपीआर
मुख्यालय में बैठे-बैठे सड़क की मिलेगी पूरी जानकारी, एप पूरी तरह से ऑनलाइन है
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