मुसीबत बना फ्लाईओवर का धीमा निर्माण
सुस्ती. बैरिकेडिंग के कारण सड़कों की चौड़ाई घट कर हुई आधी, जाम से परेशानी पटना : चार-पांच वर्ष पहले टू टीयर ट्रैफिक सिस्टम से पटना के अतिव्यस्त क्षेत्रों को जोड़ने का निर्णय हुआ. इसके अंतर्गत चिरैयाटांड़ पुल के विस्तार की कई योजनाएं बनीं और उसके अनुरूप नये-नये आर्म का निर्माण शुरू हुआ. इनके बन जाने […]
सुस्ती. बैरिकेडिंग के कारण सड़कों की चौड़ाई घट कर हुई आधी, जाम से परेशानी
पटना : चार-पांच वर्ष पहले टू टीयर ट्रैफिक सिस्टम से पटना के अतिव्यस्त क्षेत्रों को जोड़ने का निर्णय हुआ. इसके अंतर्गत चिरैयाटांड़ पुल के विस्तार की कई योजनाएं बनीं और उसके अनुरूप नये-नये आर्म का निर्माण शुरू हुआ. इनके बन जाने से लोग अतिव्यस्त ट्रैफिक की परेशानी झेलने से बच जायेंगे. लेकिन निर्माण से होनेवाली असुविधा लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गयी है. बैरिकेडिंग के कारण सड़कों की चौड़ाई घट कर आधी रह गयी है. भारी ट्रकों व मशीनों के आने-जाने से उस पर छोटे-बड़े गड्ढे भी बन गये हैं. हर दिन जाम भी लग रहा है, जिसे हटाने में ट्रैफिक पुलिस के पसीने छूट रहे हैं. धीमे निर्माण की अवधि बढ़ती जा रही है.
चिरैयाटांड़ से जीपीओ गोलंबर को जोड़ने वाले फ्लाईओवर के 1462 मीटर केबल स्टे ब्रिज में 146 मीटर का निर्माण अभी बचा है. दिसंबर, 16 तक इसका निर्माण कार्य पूरा होना था, जो बाद में बढ़ कर जून और फिर अगस्त, 17 हो गया. काम की वर्तमान गति को देख कर लगता है कि उसमें कम-से-कम दो-तीन महीने का अतिरिक्त समय लगेगा. प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारी इसके लिए ट्रैफिक की व्यस्तता को जिम्मेदार बताते हैं, जिसके कारण रात में 11.30 बजे से लेकर सुबह चार बजे तक ही काम हो पाता है. उस दौरान भी काम की गति उतनी तेज नहीं होती, जितनी जरूरत है क्योंकि भारी स्टील बॉक्स सिगमेंट को रखते समय आते-जाते वाहनों और लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखना पड़ता है.