नेपाल में भारी बारिश से आयी बाढ़ तो वहां से बहकर आये जानवरों की शरणस्थली बना बिहार
कृष्ण कुमार पटना : अधिक बारिश और बाढ़ आमतौर पर विपदा के रूप में सामने आती है, लेकिन इस साल वाल्मीकि नगर टाइगर रिजर्व (वीटीआर) के लिए यह लाभदायक साबित हुआ है. इस बार यहां रह-रहकर बारिश होने के कारण पिछले साल की तुलना में आगजनी की बहुत कम वारदात हुई. इस कारण वन्य प्राणी, […]
कृष्ण कुमार
पटना : अधिक बारिश और बाढ़ आमतौर पर विपदा के रूप में सामने आती है, लेकिन इस साल वाल्मीकि नगर टाइगर रिजर्व (वीटीआर) के लिए यह लाभदायक साबित हुआ है. इस बार यहां रह-रहकर बारिश होने के कारण पिछले साल की तुलना में आगजनी की बहुत कम वारदात हुई.
इस कारण वन्य प्राणी, पेड़-पौधों और पर्यावरण को बहुत कम नुकसान हुआ. जंगल का यह इलाका इन दिनों बाढ़ में नेपाल से बहकर आये जानवरों की शरणस्थली बना हुआ है. वहां से कई गैंडे, हिरण, चीतल आदि जानवर यहां आ गये हैं. इनमें से छह गैंडे वापस भेजे जा चुके हैं. पिछले करीब 18 दिनों से अन्य जानवरों की तलाश जारी है. वीटीआर से जुड़े सूत्रों की मानें तो इस समय नेपाल से आये कम से कम छह गैंडे, कुछ हिरण और चीतल अब भी जंगल में मौजूद हैं.
इनकी खोज में करीब एक सौ लोगों की टीम लगी हुई है. इसमें नेपाल के चितवन नेशनल पार्क के करीब 25 लोग शामिल हैं. यह टीम 11 अगस्त 2017 से लगातार इनकी तलाश कर रही है. यह टीम नेपाल से लाये गये पांच हाथी, जानवरों को बेहोश करने वाले विशेष बंदूक, जाल और दवाइयों से लैस है. इसी टीम ने पिछले दिनों छह गैंडों को बेहोश कर पकड़ा था. उन्हें वापस नेपाल के चितवन नेशनल पार्क भेज दिया गया.
नेपाल से वीटीआर में कैसे आये जानवर
नेपाल में नारायणी, सोनहा और
पंचनद नदियां हैं, जो वीटीआर के पास त्रिवेणी में आकर मिल जाती हैं. चितवन नेशनल पार्क का ज्यादातर इलाका नारायणी नदी से घिरा है. इस नदी में करीब 40 टापू हैं, जो इस नेशनल पार्क का हिस्सा हैं. इनमें से कुछ टापू 40 वर्ग किमी के तो कई 20 से 25 वर्ग किमी के हैं. इन पर जानवर रहते हैं. नेपाल में अगस्त के पहले सप्ताह में लगातार भारी बारिश हुई, जिससे इन नदियों में अचानक बाढ़ आ गयी. इस कारण कई टापू डूब गये औरवहां के जानवर बहकर वीटीआर में चले आये.
बारिश होने से बहुत कम लगी आग
वीटीआर करीब 901 वर्ग किमी के इलाके में फैला है. पिछले साल यहां करीब 20 फीसदी हिस्से में आगजनी की घटनाएं हुयीं. इस कारण यहां की कीमती लकड़ियां जल गयीं और जंगल का पर्यावरण भी प्रदूषित हो गया था. सूत्रों की मानें तो सतर्कता के लिए इस बार यहां पुख्ता इंतजाम किये गये थे. आग बुझाने के लिए दमकल, पानी और बालू की व्यवस्था की गयी थी. कई टोलियां बनायी गयी थीं. लेकिन यहां रह-रहकर बारिश होती रही जिससे कि आगजनी की बहुत कम वारदात हुयी. जंगल के करीब एक फीसदी हिस्से में ही आग लगी.
बाढ़ से वीटीआर को हुआ आंशिक नुकसान
वीटीआर की बनावट ऐसी है जिससे कि बाढ़ का इस पर ज्यादा असर नहीं हुआ. सूत्रों के अनुसार वीटीआर में इस समय करीब 32 बाघ हैं. इसके साथ ही अन्य जानवर हैं जो सुरक्षित हैं. साथ ही नेपाल से आये जानवरों के शरणस्थली बने हुए हैं.
यहां से जुड़े सूत्रों की मानें तो बाढ़ के कारण यहां आंशिक नुकसान हुआ है. जंगल में घास का मैदान बनाया गया था उस पर बाढ़ में आया बालू फैल गया जिससे कि यह बर्बाद हो गया. वहीं इसके पूर्वी हिस्से में पंडई नदी बहती है. उसके किनारे एक एंटी कोचिंग कैंप लगाया गया था जो कि जलस्तर बढ़ने से बह गया.