पूर्व विधायक रणवीर यादव को चचेरे भाई की हत्या मामले में पटना हाई कोर्ट से मिली बड़ी राहत
पटना:बिहारमें खगड़िया के वर्तमान जदयू विधायक पूनम देवी के पति एवं पूर्व विधायक रणवीर यादव को अपने चचेरे भाई की हत्या के मामले में मुंगेर के अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम द्वारा दिये गये आजीवन कारावास की सजा को दरकिनार करते हुए पटना हाई कोर्ट ने सजा को परिवर्तित करते हुए 10 वर्ष की सजा और […]
पटना:बिहारमें खगड़िया के वर्तमान जदयू विधायक पूनम देवी के पति एवं पूर्व विधायक रणवीर यादव को अपने चचेरे भाई की हत्या के मामले में मुंगेर के अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम द्वारा दिये गये आजीवन कारावास की सजा को दरकिनार करते हुए पटना हाई कोर्ट ने सजा को परिवर्तित करते हुए 10 वर्ष की सजा और 50 हजार रुपये का जुर्माना का फैसला दिया है.
जस्टिस केके मंडल एवं जस्टिस मधुरेश कुमार की खंडपीठ ने पूर्व विधायक रणवीर यादव की ओर से दायर आपराधिक याचिका पर गत 12 जुलाई को सुनवाई पूरी कर सुरक्षित रखे गये अपने आदेश में मंगलवार को फैसला सुनाया. साथ ही साथ अदालत ने जुर्माने की राशि अदा नहीं करने पर दो वर्ष की अतिरिक्त सजा का फैसला सुनाया. गौरतलब है कि जमुई के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रथम पीसी चौधरी ने सत्रवाद संख्या 184/89 में सुनवाई करते हुए न्यायाधीश ने उपलब्ध साक्ष्य व गवाहों के बयान के आधार पर आरोपित पूर्व विधायक रणवीर को भादवि की धारा 302 के तहत दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनायी थी.
क्या हैं मामला
घटना के संदर्भ में बताया जाता है कि छह दिसंबर 1988 को रणवीर यादव अपने गांव खगड़िया जिले के चुकती में चचेरे भाई सुनील यादव को दो मंजिला घर की छत पर से फेंक दिया था. साथ ही साथ राइफल से भी हमला कर दिया था. बाद में इलाज के दौरान सुनील की मौत हो गयी थी. सुनील यादव ने घायलावस्था में ही पुलिस के समक्ष अपना फर्द बयान दर्ज कराया था. जिसमें मात्र एक अभियुक्त रणवीर यादव पर गोली मारने का आरोप था. सुनील के बयान पर चौथम (मानसी) थाना पुलिस ने कांड संख्या 192/88 दर्ज की थी.
बाद में अनुसंधान के दौरान रणवीर के भाई कैलू यादव का भी नाम घटना को अंजाम देने में आया था, लेकिन मामले की सुनवाई के दौरान ही कैलू यादव की मौत हो गयी. सुनील यादव हत्याकांड की सुनवाई पूरी होने में 27 साल गुजर गये. खगड़िया से होते हुए सुनवाई की फाइल मुंगेर न्यायालय पहुंची और लगभग 22 वर्षों तक मुंगेर न्यायालय के विभिन्न जिला एवं सत्र न्यायाधीश तथा अपर सत्र न्यायाधीश के न्यायालय में मामलों की सुनवाई का दौर चलता रहा, लेकिन इस हाइलेवल मामले में बार-बार अभियुक्त रणवीर यादव द्वारा व्यवहार न्यायालय के आदेश के विरुद्ध उच्च न्यायालय में मामले को ले जाने के कारण सुनवाई की गति काफी धीमी रही.
अप्रैल 2016 में जब मुंगेर के जिला एवं सत्र न्यायाधीश के न्यायालय में सुनवाई का कार्य पूर्ण किया गया और निर्णय के स्टेज में आया तो पुन: आरोपित रणवीर यादव ने हाइकोर्ट में एक पीटिशन फाइल कर दिया था. इस कारण जिला एवं सत्र न्यायाधीश के न्यायालय से यह मामला स्थानांतरित होकर अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम के न्यायालय में भेज दिया गया. पूर्व विधायक रणवीर यादव मुंगेर जिले के बहुचर्चित तौफिर नरसंहार कांड का आरोपित रहा है. उस मामले में उसे न्यायालय द्वारा आजीवन कारावास की सजा हुई थी. वह लगभग नौ वर्षों तक जेल में भी रहा.
मामले में रणवीर यादव उच्च न्यायालय से लेकर उच्चतम न्यायालय तक दौड़ लगाते रहे. बाद में राज्य सरकार से सजा माफी के बाद वह जेल से निकला था. करीब 27 वर्षों की लंबी सुनवाई के बाद निचली अदालत ने 24 दिसम्बर 2016 को रणवीर यादव को दोषी करार दिया था. वहीं 3 जनवरी 2017 को निचली अदालत ने इस मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनायी थी.
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