लालू के करीबी राजद विधायक की बढ़ी मुश्किलें, अवैध बालू खनन मामले में FIR दर्ज

पटना : लालू प्रसाद यादव केकरीबी राजद विधायक भाई वीरेंद्र की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.बिहार में अवैध बालू खनन मामले दर्ज एफआइआर में भाई वीरेंद्र का नाम भी शामिल किया गया हैं. खनन विभाग ने पटना पुलिस को प्राथमिकी में नौ अन्य लोगों का नाम जोड़ कर जांच करने को कहा है. इसको लेकर जिन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 31, 2017 11:25 AM

पटना : लालू प्रसाद यादव केकरीबी राजद विधायक भाई वीरेंद्र की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.बिहार में अवैध बालू खनन मामले दर्ज एफआइआर में भाई वीरेंद्र का नाम भी शामिल किया गया हैं. खनन विभाग ने पटना पुलिस को प्राथमिकी में नौ अन्य लोगों का नाम जोड़ कर जांच करने को कहा है. इसको लेकर जिन लोगों की सूची सौंपी गयी है, उनमें भाई वीरेंद्र का नाम भी शामिल है. मिली जानकारी के अनुसार, एसआइटी नेराजद विधायक की गिरफ्तारी के लिए कोर्ट में वारंट की अर्जी दायर की है.

विदित हो कि खनन विभाग के सहायक निदेशक ने 30 जुलाई को बिहटा थाने के कांड संख्या 520/17 में गिरफ्तार अभियुक्तों से पूछताछ की थी. पूछताछ में ज्ञात हुआ कि राजद विधायक भाई वीरेंद्र के संरक्षण में बालू का अवैध खनन, भंडारण और आपूर्ति का काम चल रहा है. इसके बाद विधायक पर यह कार्रवाई की गयी है.

विधायक के भतीजे के शामिल होने के पक्ष में छापेमारी दल ने दर्ज कराया बयान
अवैध रूप से बालू उत्खनन के मामले में अनुसंधान लगातार जारी है. बुधवार को विधायक भाई वीरेंद्र के भतीजे सोनू के शामिल होने के संबंध में खनन व पुलिस विभाग के पदाधिकारियों ने अनुसंधानकर्ता के समक्ष अपना बयान दर्ज कराया. इसमें उन लोगों ने जानकारी दी है कि सोनू के निर्देश पर ही बालू खनन होता था. ये वे पदाधिकारी हैं, जो छापेमारी के समय मौके पर मौजूद थे. इस बयान के बाद अब विधायक के भतीजे सोनू की मुश्किलें और बढ़ गयी हैं.

गायब पोकलेन के संबंध में भी हो रही जांच
पिछले साल बरामद हुए 23 पोकलेनों में से 13 के गायब होने के मामले में भी जांच चल रही है. साथ ही इस साल बरामद हुए पोकलेन के मालिकों के संबंध में भी जानकारी ली जा रही है. कई पोकलेन के ऊपर के नंबर को बालू माफियाओं ने मिटा दिया था, जिसके कारण गाड़ी मालिकों को चिह्नित करने में परेशानी हो रही है. हालांकि, पोकलेन मशीन के संबंधित कंपनी के इंजीनियरों ने मशीन के चेचिस नंबर को नोट कर लिया है और उसका रजिस्ट्रेशन नंबर निकाला जा रहा है. रजिस्ट्रेशन नंबर मिलने पर पुलिस आसानी से उनके मालिकों तक पहुंच सकती है. फिलहाल इंजीनियरों ने उन पोकलेन का रजिस्ट्रेशन नंबर पुलिस को नहीं सौंपा है.

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