पटना : पत्रकार हत्याकांड में चार्जशीटेड मो शहाबुद्दीन को चर्चित तेजाब कांड में निचली अदालत से मिली सजा को हाईकोर्ट ने बरकरार रख कर जता दिया है कि ऐसे अपराधी को किसी तरह की रियायत नहीं दी जा सकती है. शहाबुद्दीन 45 से ज्यादा संगीन मामलों में आरोपित और अब तक 7 मामलों में सजायफ्ता है. वर्षों तक सीवान सहित पूरे बिहार का आतंक रहे शहाबुद्दीन को पार्टी से निकालना तो दूर, निलंबित करने तक की हिम्मत भी राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद नहीं दिखा पाये हैं. क्या शहाबुद्दीन जैसे अपराधी को लालू प्रसाद अब भी अपनी पार्टी की सर्वोच्च राष्ट्रीय कार्यकारिणी का सम्मानित सदस्य बनाए रखेंगे?
सीवान के व्यवसायी चंद्रकेश्वर प्रसाद सिंह उर्फ चंदा बाबू के दो निर्दोष बेटों गिरिश और सतीश को 2004 में तेजाब से नहला कर ईंट-भट्ठा में फेंकने जैसी घटना को अंजाम देनेवाले शहाबुद्दीन को लालू प्रसाद अब तक संरक्षण क्यों देते रहे हैं. तेजाब कांड के एक मात्र गवाह चंदा बाबू के छोटे बेटे राजीव की भी हत्या दिनदहाड़े करानेवाले शहाबुद्दीन को अपनी पार्टी से निकालने का लालू प्रसाद साहस दिखाएं.
नाबालिग से बलात्कार के आरोपित राजबल्लभ यादव, रोड रेज में आदित्य सचदेवा की हत्या करनेवाले रॉकी यादव और उसके पिता बिंदी यादव, आपराधिक रिकॉर्ड वाले सुरेंद्र यादव जैसों को संरक्षण देनेवाली पार्टी राजद को कभी भी अपराधियों से परहेज नहीं रहा है. हाईकोर्ट के फैसले के बाद अब तो लालू प्रसाद शहाबुद्दीन जैसे आपराधिक सरगना को पार्टी से निकाल दें.