पक्षियों से बढ़ी समस्या : जानिए क्‍यों पटना एयरपोर्ट पर हर महीने 50 हजार से अधिक के फोड़े जा रहे पटाखे

कभी 10 तो कभी 100 से अधिक पक्षी आ जाते हैं रनवे के आसपास पटना : पटना एयरपोर्ट पर पक्षियों का जमावड़ा एक बड़ी समस्या है. इससे निबटने के लिए हर दिन कम-से-कम 10-15 बार पटाखे फोड़ने पड़ते हैं. एक पटाखे की कीमत 100 रुपये है. ऐसे में हर दिन हजार-डेढ़ हजार से अधिक पटाखे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 2, 2017 8:38 AM
कभी 10 तो कभी 100 से अधिक पक्षी आ जाते हैं रनवे के आसपास
पटना : पटना एयरपोर्ट पर पक्षियों का जमावड़ा एक बड़ी समस्या है. इससे निबटने के लिए हर दिन कम-से-कम 10-15 बार पटाखे फोड़ने पड़ते हैं. एक पटाखे की कीमत 100 रुपये है. ऐसे में हर दिन हजार-डेढ़ हजार से अधिक पटाखे पर खर्च होते हैं. पूरे महीने का व्यय देखें, ताे हर महीने इस पर पचास हजार से अधिक खर्च होते हैं. इन सबके बावजूद इस बात की आशंका बनी रहती है कि कहीं थोड़ी-सी चूक होने पर रनवे पर उतरते या उड़ते समय विमानों से पक्षी न टकरा जाएं व बड़ी दुर्घटना न हो जाये.
मंडरानेवाले पक्षियों में चील के साथ कौए और कबूतर भी : रनवे के आसपास मंडरानेवाले पक्षियों में सबसे अधिक कौए होते हैं. लेकिन ये इंजन से निकलनेवाले तेज शोर को सुन कर ही भाग जाते हैं. कबूतर अधिक खतरनाक साबित होते हैं क्योंकि ये झुंड में उड़ते हैं. इनसे बचने का प्रयास करने के बावजूद इनके विमानों से टकराने की आशंका अधिक रहती है.
सबसे खतरनाक चील साबित होते हैं. कौवा और कबूतर अधिक ऊंचाई पर नहीं उड़ते हैं, जिसके कारण विमानों से इनके टकराने की आशंका कम रहती है. इसलिए इनकी गतिविधि पर सबसे अधिक ध्यान दिया जाता है.
संवेग बढ़ने से बढ़ जाता है नुकसान : पक्षियों के टकराव से विमान को होने वाला नुकसान विमान और पक्षी दोनों के उड़ने की गति और उनके वजन पर निर्भर करती है.
संवेग संरक्षण के सिद्धांत के अनुसार जितना अधिक उनका संवेग (द्रव्यमान और गति का गुणनफल) होता है, टकराव के दौरान एक दूसरे पर उतना ही अधिक जोर लगाते हैं. यही वजह है कि एक छोटे पक्षी के टकराने से भी विमान को बड़ा नुकसान हो जाता है, जो कई बार भीषण दुर्घटना की वजह बन जाता है.
विमानों के नोज से पक्षियों का टकराव सबसे खतरनाक
टकराव से होनेवाला नुकसान टकराव की जगह पर भी निर्भर करता है. सबसे ज्यादा नुकसान विमान के नोज से पक्षियों के टकराने से होती है. यह विमान को पूरी तरह असंतुलित कर सकता है. विंड स्क्रीन से पक्षियों का टकराना भी खतरनाक हो सकता है और उससे यह टूट सकती है. इंजन से टकराने पर यह अचानक बंद हो सकती है. हालांकि दो इंजन वाले बड़े विमानों के लिए यह स्थिति बहुत खतरनाक नहीं होती, लेकिन सिंगल इंजन वाले छोटे विमान इससे दुर्घटनाग्रस्त हो सकते हैं.
कंट्रोल टावर से रखी जाती है नजर : रनवे और उसके आसपास के क्षेत्रों में पक्षियों के जमावड़े पर एटीसी के कंट्रोल टावर से लगातार नजर रखी जाती है. पक्षियों की संख्या 10-15 के आसपास पहुंचते ही संवेदक एजेंसी को सूचना दी जाती है, जिसके कर्मी तेज आवाजवाले पटाखे छोड़ कर चिड़ियों को भगा देते हैं. सुबह विमानों का आवागमन शुरू होने के कुछ मिनट पहले से लेकर शाम में सूर्यास्त तक यह सिलसिला चलता रहता है.

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