3 वर्ष पहले आया था तोड़ने का फैसला, अब कार्रवाई शुरू, 7 सितंबर को होटल नेश इन पर चलेगा हथौड़ा

पटना : शहर में इनकम टैक्स के किदवईपुरी स्थित होटल नेश इन को हाईकोर्ट से राहत नहीं मिलने के बाद अब नगर निगम ने कार्रवाई की शुरुआत कर दी है.कुछ दिन पहले नगर निगम ने नेश इन होटल को अपने अवैध निर्माण तोड़ने के लिए 15 दिनों का समय दिया था. इसके बावजूद बिल्डर ने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 2, 2017 8:54 AM
पटना : शहर में इनकम टैक्स के किदवईपुरी स्थित होटल नेश इन को हाईकोर्ट से राहत नहीं मिलने के बाद अब नगर निगम ने कार्रवाई की शुरुआत कर दी है.कुछ दिन पहले नगर निगम ने नेश इन होटल को अपने अवैध निर्माण तोड़ने के लिए 15 दिनों का समय दिया था. इसके बावजूद बिल्डर ने अवैध निर्माण को तोड़ने की कार्रवाई नहीं की. अब नगर निगम इसको तोड़ने की कार्रवाई करेगा. नगर आयुक्त अभिषेक सिंह ने आदेश जारी कर इसको तोड़नेवाली टीम का गठन कर दिया है.
सात सितंबर को सुबह नौ बजे से कार्रवाई की जायेगी. गौरतलब है कि नगर आयुक्त कोर्ट के फैसले के विरोध में हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. बाद में इसे कोर्ट ने खारिज कर दिया.
ट्रिब्यूनल और हाईकोर्ट ने नगर आयुक्त काेर्ट के फैसले को रखा था बरकरार
तीन वर्ष पहले आया था तोड़ने का फैसला, अब कार्रवाई शुरू
होटल नेश इन पर वर्ष 2014 की जुलाई में कार्रवाई करने का फैसला नगर आयुक्त की कोर्ट से आया था. इसके बाद कानूनी पेंच का सहारा लेकर बिल्डर ट्रिब्यूनल और हाईकोर्ट में मामले को ले जाता रहा, लेकिन इस बार हाईकोर्ट से भी राहत नहीं मिलने के बाद नगर निगम को मजबूरन कार्रवाई करनी पड़ रही है. नगर आयुक्त ने बताया कि भले ही संबंधित बिल्डर सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की कोशिश करें, लेकिन नगर निगम उस से पहले ही कार्रवाई को अंजाम देगा. 30 दिनों के भीतर ऊपरी दो तल्लों को तोड़ना था
आयकर गोलंबर के पास अपार्टमेंट के नक्शा पर होटल का निर्माण किया गया है. मामले पर नगर निगम ने संज्ञान लेते हुए अवैध निर्माण पर निगरानीवाद 139 ए/2013 दायर किया गया था. जांच में नक्शे से लेकर सहकारी गृह निर्माण समिति की भूमि पर बहुमंजिली इमारत बनाने का मामला आया. वहीं अपार्टमेंट की जगह होटल (नेश इन) बनाने का मामला भी बना. साथ ही जी प्लस छह की जगह जी प्लस आठ का निर्माण किया गया है.
इसकी सुनवाई करते हुए नगर आयुक्त कोर्ट ने जुलाई, 2014 में निर्माण कार्य तत्काल रोकते हुए ऊपरी दो तल्ले व सेटबैक विचलन को 30 दिनों के भीतर तोड़ने का आदेश दिया था. आदेश के खिलाफ बिल्डर ट्रिब्यूनल कोर्ट में भी गये, जहां पर उनकी अपील खारिज कर दी गयी और अवैध हिस्से को तोड़ने का आदेश बहाल रखा गया.
अवैध हिस्से तोड़ने व ट्रिब्यूनल से सुनवाई के बीच के हिस्से में चोरी-छिपे भवन निर्माण कार्य लगभग पूरा कर लिया गया.पहले सिंगल बेंच फिर एलपीए ने नगर आयुक्त के फैसले को ठहराया वैध : नगर आयुक्त के कोर्ट के फैसले के बाद मामला ट्रिब्यूनल से होते हुए हाईकोर्ट तक पहुंच गया. इसके बाद बीते वर्ष जुलाई माह में हाईकोर्ट के सिंगल बेंच ने नगर आयुक्त के कोर्ट के फैसले को वैध ठहराया. हाईकोर्ट के फैसले के बाद भी नगर निगम ने निर्माण के अवैध हिस्से को तोड़ने की कार्रवाई शुरू नहीं की. अब कोर्ट ने रिव्यु में पुराने फैसले को ही बरकरार रखा है.

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