शराबबंदी के डेढ़ साल बाद : शराब छूटी, घर में अब झगड़ा बंद, बेटा भी जाने लगा स्कूल
वेदी झा अररिया : शहर के जयप्रकाश नगर में दलित व महादलितों की घनी आबादी बसती है. गाहे-बगाहे शराब पीकर, शराब बेचने के आरोप में पुलिस की छापेमारी में लोग गिरफ्तार होते रहे हैं. ऐसी जगह पर शराबबंदी के बाद अगर शराब नहीं पीने वाले मिलते हैं, तो सुखद आश्चर्य होता है. जब अपने दरवाजे […]
वेदी झा
अररिया : शहर के जयप्रकाश नगर में दलित व महादलितों की घनी आबादी बसती है. गाहे-बगाहे शराब पीकर, शराब बेचने के आरोप में पुलिस की छापेमारी में लोग गिरफ्तार होते रहे हैं. ऐसी जगह पर शराबबंदी के बाद अगर शराब नहीं पीने वाले मिलते हैं, तो सुखद आश्चर्य होता है.
जब अपने दरवाजे पर बालेश्वर ऋषिदेव मिले, तो उनके चेहरे पर शांति की लकीरें थीं. उन्होंने बताया कि हमें तीन बेटी व एक पुत्र विक्रम कुमार है. तीनों पुत्रियों की शादी हो चुकी है. पुत्र विक्रम कुमार इन दिनों उत्क्रमित मध्य विद्यालय, जयप्रकाश नगर में पांचवीं कक्षा में पढ़ता है.
पत्नी माधुरी देवी बेटे को समय पर स्कूल भेजने को लेकर समय पर नाश्ता भी खिलाती हैं. उन्होंने अतीत के दिनों की याद करते हुए बताया कि शराबबंदी लागू होने के बाद शराब पीना बंद कर दिया.
गिरफ्तारी का भय सताने लगा.
पहले तो मजदूरी के पैसे शराब पीकर उड़ा देते थे. इससे परिवार चलाना कठिन होता था. घर में रोज लड़ाई-झगड़ा होता था, लेकिन शराबबंदी के बाद जेल जाने के भय से ही सही जब शराब छूटी, तो तरक्की का द्वार खुल गया. अब मजदूरी में जो पैसे मिलते हैं, उनसे बेहतर जीवन चलता है.
स्वयं अनपढ़ होने की बात कहते हुए बालेश्वर ने बताया कि शिक्षा की महत्ता समझ कर अपने इकलौते पुत्र विक्रम कुमार को बेहतर शिक्षा देने की इच्छा रखता हूं. अब पति-पत्नी में झगड़ा नहीं होता है, मधुर संबंध है.
पुत्र विक्रम कुमार ने बताया कि स्कूल से पढ़ने के बाद घर आने पर शुबह-शाम घर में भी पढ़ता हूं. पढ़-लिख कर कुछ बनना चाहता हूं. अब पिता जी समय पर कपड़ा, किताब, कॉपी, कलम के लिए पैसा भी देते हैं. हम पढ़ते हैं, तो वे कहते हैं जोर-जोर से पढ़ो. हम भी सुनेंगे-समझेंगे. बालेश्वर ऋषिदेव ने कहा कि शराब पीना छोड़ देना चाहिए.
परिवार का भविष्य सुनहरा बनाने के लिए शराब को तोबा करना चाहिए. शराब छोड़ने के बाद अब यह एहसास होने लगा है. बहरहाल, बालेश्वर तो एक उदाहरण मात्र है. ऐसे कई लोग हैं, जो शराब के नशे में डूबे रहते थे. आज शराब छोड़ कर खुशहाल जिंदगी जी रहे हैं.