आशुतोष कुमार पांडेय @ पटना
पटना : केंद्र सरकार में पीएम नरेंद्र मोदी के कैबिनेट का विस्तार होने जा रहा है. हाल में बदले बिहार के सियासी समीकरण के बाद यह तय है कि जदयू के दो चेहरे मोदी के मंत्रिमंडल का हिस्सा बनेंगे. उनमें से एक चेहरे पर लगभग मुहर लग चुकी है, बस औपचारिक ऐलान बाकी है. वह चेहरा है जदयू के राज्यसभा सांसद आरसीपी सिंह का. मीडिया और बिहार की समकालीन सियासत में बहुत कम चर्चा में रहने वाले आखिर कौन हैं, आरसीपी सिंह? आरसीपी सिंह का पूरा नाम रामचंद्र प्रसाद सिंह है. वे बिहार से जेडीयू कोटे से राज्यसभा सांसद हैं. नीतीश के जिले नालंदा के रहने वाले आरसीपी सिंह पहले यूपी कैडर में आइएएस अफसर थे और नीतीश सरकार में प्रिंसिपल सेक्रेटरी रह चुके हैं. 59 वर्षीय आरसीपी सिंह, अवधिया कुर्मी जाति से आते हैं. नीतीश के जिले नालंदा के मुस्तफापुर के रहने वाले हैं. सिविल सर्विस के दौरान आरसीपी सिंह यूपी सरकार में काफी अहम विभागों में काम चुके हैं. उन्हें नीतीश का खास माना जाता है. बिहार में नीतीश सरकार के साथ वे पहले प्रिंसिपल सेक्रेटरी के रूप में जुड़े. फिर सियासत में आये और अब राज्यसभा में सांसद हैं.
आरसीपी सिंह का परिचय
बिहार के नालंदा जिले के मुस्तफापुर में 6 जुलाई 1958 को जन्में आरसीपी सिंह के पिता का नाम स्वर्गीय श्री सुखदेव नारायण सिंह है. माता का नाम स्वर्गीय श्रीमती दुख लालो देवी है. आरसीपी सिंह दिल्ली में 402, स्वर्ण जयंती सदन, डॉ. बीडी मार्ग दिल्ली में रहते हैं. उनका स्थायी पता, मुस्तफापुर टोला, माल्टी, पोस्ट ऑफिस और पुलिस स्टेशन-अस्थावां, जिला नालंदा है. आरसीपी सिंह ने 21 मई 1982 को श्रीमती गिरिजा सिंह से शादी की. आरसीपी सिंह की दो बेटियां हैं. आरसीपी सिंह की शुरुआती शिक्षा हाइस्कूल, हुसैनपुर, नालंदा और पटना साइंस कॉलेज से हुई है. बाद में जेएनयू में पढ़ने के लिए गये. राजनीति में शामिल होने से पहले आरसीपी सिंह कृषक थे. सिविल सेवा में आने के बाद वह 1986-88 उप-विभागीय अधिकारी / मजिस्ट्रेट, खलीलाबाद, उत्तर प्रदेश रहे. 1988-90 मुख्य विकास अधिकारी, कानपुर, उत्तर प्रदेश रहे. 1990-92 तक संयुक्त सचिव, नियुक्ति विभाग, लखनऊ, उत्तर प्रदेश सरकार में रहे. उसके बाद 1993- 97 तक कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट रामपुर, बाराबंकी, हमीरपुर और फतेहपुर रहे.
वह जुलाई 1997-मार्च 1998 संचार मंत्री के निजी सचिव रहे. मार्च 1998-मई 2004 भूतल परिवहन मंत्री के निजी सचिव रहे. उसके बाद रेलवे मंत्री के जुलाई 2004-दिसंबर 2005 अतिरिक्त सचिव रहे. बाद में सीईओ, ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी, उत्तर प्रदेश रहे. दिसंबर, 2005 से मई 2010 बिहार के मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव रहे. जुलाई 2010 को उन्हें राज्यसभा के लिए चुना गया.
आरसीपी सिंह की रेल मंत्री बनने की चर्चा
जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दाहिने हाथ माने जाने वाले आरसीपी सिंह को मोदी के मंत्रिमंडल का हिस्सा बनाया जायेगा. सूत्रों के मुताबिक आरसीपी सिंह को रेल मंत्री सुरेश प्रभु के विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है. दरअसल रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने हाल में हुई रेल दुर्घटनाओं की ‘पूरी नैतिक जिम्मेदारी’ लेते हुए गत बुधवार को मंत्रिमंडल की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर इस्तीफे की पेशकश की थी. इसके बाद से ही आरसीपी सिंह को मंत्रिमंडल में रेल मंत्रालय मिलने की चर्चा चल रही है. बताया जा रहा है कि आरसीपी सिंह को रेल मंत्रालय का अनुभव भी है और वह राजद सुप्रीमो लालू यादव के रेल मंत्री रहते हुई गड़बड़ियों का खुलासा भी कर सकते हैं. आरसीपी सिंह के रेल मंत्रालय मिलने से भाजपा और जदयू के संबंधों को मजबूती मिलने की बात कही जा रही है. इसलिए भाजपा आरसीपी सिंह को रेल मंत्रालय सौंपे जाने के पक्ष में बतायी जा रही है. आरसीपी सिंह नीतीश के रेल मंत्री और मुख्यमंत्री रहते हुए उनके साथ काम कर चुके हैं. सिंह के आईएएस से रिटायर होने के बाद जदयू ने दो बार उनका नाम राज्यसभा के लिए नोमिनेट किया था. सिंह के अलावा जेडीयू के पूर्णिया सांसद संतोष कुमार कुशवाहा को भी कोई मंत्री पद दिया जा सकता है.
नीतीश के खासमखास हैं आरसीपी सिंह
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खासमखास माने जाते हैं रामचंद्र प्रसाद सिंह. बिहार में शायद ही ऐसा कोई फैसला हो, जो नीतीश कुमार ने बिना आरसीपी सिंह की सलाह के लिया हो. आरसीपी सिंह नीतीश कुमार के मित्र, राजनीतिक रणनीतिकार और सियासी सलाहकार हैं. आरसीपी सिंह को केंद्र की ताजपोशी की सारी तैयारियां पूरी कर ली गयी हैं. इसके साथ ही रामनाथ ठाकुर और संतोष कुशवाहा के नाम की भी चर्चा है, इन्हें राज्यमंत्री बनाया जा सकता है. संतोष कुशवाहा पूर्व में भाजपा से ही जुड़े हुए थे. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उन्होंने जेडीयू का दामन थामा और पूर्णिया से लोकसभा का चुनाव जीत गए. संतोष कुशवाहा को रालोसपा अध्यक्ष, उपेंद्र कुशवाहा के विकल्प के तौर पर भी देखा जा रहा है. बिहार से मोदी मंत्रिमंडल में कुल 7 मंत्री थे. जिनमें कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, खाद्य आपूर्ति मंत्री रामविलास पासवान,ग्रामीण विकास राज्य मंत्री रामकृपाल यादव, मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा. कौशल विकास मंत्री राजीव प्रताप रूडी और कृषि मंत्री राधामोहन सिंह, सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्यम राज्यमंत्री गिरिराज सिंह. राजीव प्रताप रूडी इस्तीफा दे चुके हैं.
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