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BIHAR : डीएम साहब की बात को भी गंभीरता से नहीं लेते निजी स्कूल, कर रहे मनमानी

पटना : डीएम के निर्देश को निजी स्कूल गंभीरता से नहीं लेते हैं. यही कारण है कि निजी स्कूलों की मनमानी पर अंकुश नहीं लग पा रहा है. काफी हो-हल्ला के बाद पिछले साल अगस्त में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में निजी स्कूल संचालकों की बैठक हुई थी. इस बैठक में बच्चों की सुरक्षा से लेकर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 4, 2017 7:40 AM
पटना : डीएम के निर्देश को निजी स्कूल गंभीरता से नहीं लेते हैं. यही कारण है कि निजी स्कूलों की मनमानी पर अंकुश नहीं लग पा रहा है. काफी हो-हल्ला के बाद पिछले साल अगस्त में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में निजी स्कूल संचालकों की बैठक हुई थी. इस बैठक में बच्चों की सुरक्षा से लेकर कई अन्य बिंदुओं पर डीएम ने निर्देश जारी किया था. लेकिन, साल भर बाद भी डीएम का आदेश फाइलों में ही है और निजी स्कूल संचालकों की मनमानी जारी है. स्कूल संचालकों का पूरा ध्यान मोटी कमाई करने पर है.
नहीं बना शिकायत सेल : स्कूलों की मनमानी का आलम यह है कि अभिभावक चाह कर भी स्कूल प्रबंधन की शिकायत नहीं कर पाते हैं. स्कूल प्रबंधन की शिकायत करने के लिए जिला प्रशासन व स्कूल कैंपस में सेल नहीं बनाया गया है. लेकिन, जब भी स्कूल स्तर पर कोई घटना घटती है, तो प्रशासन कहती है कि हमारे पास कोई शिकायत करने आयेगा, तो ही हम स्कूल के खिलाफ कार्रवाई करेंगे.
फीस वृद्धि को लेकर नहीं बनी कमेटी : स्कूलों में फीस हर साल बढ़ जाती है, लेकिन इसको लेकर कोई ऐसी मॉनिटेरिंग सेल नहीं बना है, ताकि फीस वृद्धि पर अंकुश लग सके.
पिछले साल अगस्त में ही डीएम ने निजी स्कूलों को दिये थे कई निर्देश, पर अब भी हो रही मनमानी
स्कूल परिसर में लगे बस और वैन
अब भी राजधानी के सभी बड़े स्कूलों की गाड़ी सड़कों पर ही लगती है. ऐसे में बच्चों को छुट्टी होने पर परिसर से बाहर निकल कर जाना पड़ता है. इस वजह से जाम तो लगता ही है. सड़क दुर्घटना होने की भी आशंका बनी रहती है.
बसों में जीपीएस सिस्टम
स्कूलों को जीपीएस सिस्टम लगाने को कहा गया था. लेकिन अधिकतर स्कूली बसों में यह सिस्टम नहीं लगा है.
फर्स्ट एड बॉक्स
बस में प्राथमिक उपचार व फायर सिस्टम की कोई व्यवस्था नहीं है. ऐसे में अगर कोई दुर्घटना हो जाये, तो उसे रोकने के लिए कोई उपाय बस चालक के पास नहीं है.
पीले रंग की हो स्कूल बस
स्कूल बस को पीला कलर का रखना है. इसको लेकर भी सभी स्कूल में काम नहीं हुआ है. सिटी राइड बसों को भी स्कूल सेवा में लगाया गया है.
अभिभावक सूचना केंद्र
अभिभावकों की परेशानी का ध्यान रखा जाये. उनकी बात भी सुनी जाये. लेकिन, स्कूल में अभिभावकों को बुला कर डांटा जाता है कि आपका बच्चा अच्छा नहीं कर रहा है. पर जब स्कूल से कोई शिकायत करनी हो, तो इसके लिए उपयुक्त व्यवस्था नहीं हो सकी है.
सीसीटीवी : इस दिशा में भी कोई पहल नहीं हुई है. कुछ स्कूलों में ही इसकी व्यवस्था हो सकी है.
एसएमएस
स्कूल संबंधित कोई भी जानकारी अभिभावकों को देने के लिए एसएमएस सिस्टम लागू हुआ. लेकिन, कुछ स्कूलों ने ही इस सिस्टम को लागू किया है. बाकी स्कूलों में इसको लेकर काम नहीं हुआ है.
स्कूल ड्रेस
स्कूल बैग, बुक व ड्रेस के लिए अभिभावकों को यह नहीं कहें कि वह स्कूल से ही खरीदें. लेकिन, हर स्कूल में स्टॉल लगता हैं, जहां मनमाने दाम पर खरीदनी पड़ती हैं.
वैन की सूचना
स्कूल का अपना वैन हो या जिस वैन से बच्चे जा रहे हैं उसकी जानकारी स्कूल प्रबंधन के पास भी होनी चाहिए. इसका भी पालन नहीं हो रहा है.
बच्चों का बैग अधिक भारी नहीं रहे और छोटे बच्चों की कुछ किताबें स्कूल में ही सुरक्षित रखा जाये, लेकिन अब भी बच्चों के बैग पांच किलो से अधिक होते हैं.
कमियां मिलेंगी, तो कार्रवाई होगी
स्कूलों को दिये गये निर्देश पर दोबारा से रिपोर्ट मांगी जायेगी कि स्कूलों में निर्देश का कितना पालन हुआ है. अगर स्कूल में कमियां मिलेंगी, तो उनके खिलाफ कार्रवाई होगी. इसकी एक कॉपी संबंधित बोर्ड को भी भेजा जायेगा. फीस वृद्धि पर अंकुश लगाने के लिए सरकार स्तर पर काम हो रहा है.
संजय कुमार अग्रवाल, डीएम, पटना

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