नयी दिल्ली : जदयू के भाजपा से हाथ मिलाने के फैसले के खिलाफ बिगुल फूंकने वाले पार्टी के असंतुष्ट नेता शरद यादव ने आज कहा कि उन्होंने किसी व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं बल्कि ‘देश की विकट परिस्थित’ को देखते हुए यह निर्णय किया है. साथ ही शरद यादव ने नोटबंदी के प्रतिकूल प्रभावों का उल्लेख करते हुए कहा कि सरकार के इस कदम से देश की अर्थव्यवस्था की कमर टूट गयी है.
शरद यादव ने आज संवाददातओं से कहा, ‘यह कदम मैंने कोई सहसा नहीं उठाया है. मैं पिछले तीन साल से इस बात की कोशिश में लगा था कि पार्टी सही रास्ते पर चले. पर अब जो कुछ हुआ (जदयू) उसके लिए मेरे अंत:करण ने गवाही नहीं दी.’ पार्टी के फैसले के खिलाफ बोलने के कारण उनकी राज्यसभा सदस्यता पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, मेरा लिबरेशन (मुक्ति) हो गया है. अब यह सब उन्हें तय करना है.’
जदयू के भाजपा से हाथ मिलाने के निर्णय का विरोध करने के अपने फैसले का जिक्र करते हुए शरद यादव ने कहा कि उन्होंने किसी व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं बल्कि ‘देश की विकट परिस्थिति’ को देखते हुए यह निर्णय किया है. उन्होंने कहा कि साझा विरासत के तहत एक ही मकसद है कि इस देश कि विविधतापूर्ण संस्कृति की रक्षा की जाए.
शरदयादव ने कहा कि वह संसद सदस्यता की अधिक परवाह नहीं करते. उन्होंने पहले भी लोकसभा सदस्यता से इस्तीफा दिया था. उन्होंने कहा, ‘मेरी राष्ट्रीय राजनीति में भूमिका है. एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर संकेत करते हुए कहा, सूबे का मुख्यमंत्री बनाने में हमने काफी मदद की थी. साथ ही यह बात भी है कि उन्होंने भी हमारी कई बार मदद की. राजनीति में परस्पर मदद चलती रहती है.
मोदी मंत्रिपरिषद मेंरविवारको हुए विस्तार में जदयू को शामिल नहीं करने के बारे में पूछे जाने पर शरद ने कहा, यह प्रश्न आप उनसे (जदयू) से पूछिए. मैं मंत्रिमंडल विस्तार का स्वागत करता हूं. सरकार ने काले धन, दो करोड़ रोजगार देने समेत जो तमाम वादे किये थे, उस दिशा में कोई काम पिछले तीन साल में नहीं हुआ. हो सकता है कि ये नये चेहरे इन वादों को पूरा करने के लिए कुछ काम करें. उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल की तुलना में आज का राजग बहुत अलग है. उन्होंने कहा, ‘ ‘इसमें यदि शिवसेना को निकाल दिया जाए तो बाकी अन्य सहयोगी दल दुअन्नी-चवन्नी पार्टियां हैं, यानी इनमें बहुत कम सांसद हैं.
शरदयादव ने कहा कि सरकार के नोटबंदी फैसले के कारण देश की अर्थव्यवस्था विशेष दैनिक मजदूरी करने वाले तीन करोड़ लोगों की कमर बुरी तरह टूट गयी है. उन्होंने कहा कि इससे सब्जी आदि उगाने वाले किसान, मध्यम एवं लघु इकाइयां चलाने वाले उद्यमी और छोटे व्यवासियों पर बहुत प्रतिकूल असर पड़ा है. उन्होंने कहा कि नोटबंदी की ऐसी प्रक्रिया का क्या अर्थ जब 16000 करोड़ रुपये के नोटों को वापस लाने के लिए 8000 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ गये. उन्होंने कहा कि इस नोटबंदी के कारण देश में लाखों लोगों के रोजगार छिन गये.
जदयू के बागी नेता ने कहा कि नोटबंदी के प्रभावों से अर्थव्यवस्था अभी तक उबर नहीं पायी है तथा इसमें अभी कितना समय और लगेगा, यह कोई नहीं बता सकता. उन्होंने कहा कि नोटबंदी के प्रभाव के कारण बैंकों के ऋण विकास की दर पिछले साठ साल के सबसे निचले स्तर पर आ गयी है. आॅटोमोबाइल क्षेत्र की बिक्री 16 साल के सबसे निचले स्तर पर आ गयी तथा रियल एस्टेट क्षेत्र पर 44 प्रतिशत तक प्रभाव पड़ा है.
शरद यादव ने कहा कि नोटबंदी के जरिये काला धन आने के बारे में सरकार ने जो बड़े-बड़े दावे किये, वैसा कुछ भी नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि सरकार का यह कदम बुरी तरह विफल रहा तथा देश के सारे कामकाज को पूरी तरह से ठप करने के अलावा इससे कोई और मकसद हासिल नहीं हुआ.