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अब सुप्रीम कोर्ट करेगी प्राइवेट टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेजों के मामले की सुनवाई

पटना : सूबे के विभिन्न प्राइवेट टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेजों की जांच में नियमों की अवहेलना किये जाने के मामले की सुनवाई अब उच्चतम न्यायालय करेगी. अब तक इस मामले की सुनवाई पटना हाईकोर्ट के जस्टिस चक्रधारीशरण सिंह की एकलपीठ कर रही थी. गौरतलब है कि सुनवाई के क्रम में यह बात सामने आयी थी कि […]

पटना : सूबे के विभिन्न प्राइवेट टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेजों की जांच में नियमों की अवहेलना किये जाने के मामले की सुनवाई अब उच्चतम न्यायालय करेगी. अब तक इस मामले की सुनवाई पटना हाईकोर्ट के जस्टिस चक्रधारीशरण सिंह की एकलपीठ कर रही थी. गौरतलब है कि सुनवाई के क्रम में यह बात सामने आयी थी कि पटना हाईकोर्ट की एकलपीठ द्वारा जांच कार्य से संबंधित दिशा निर्देश जारी किये गये थे.
इसके तहत एक कमेटी का गठन किया जाना था, जिसमें संबंधित जिले के डीएम, एनसीटीई द्वारा मनोनीत सदस्य के अलावा जिस काॅलेज से संबंधित विवि हो उसे छोड़ कर दूसरे विवि के प्रतिनिधि को शामिल किया जाना था. लेकिन, एनसीटीई द्वारा उक्त दिशा-निर्देशों को दरकिनार करते हुए अपने स्तर से कमेटी गठित कर दी गयी.
साथ ही उक्त जांच कमेटी में ऐसे लोगों को शामिल किया गया, जो निर्धारित योग्यता नहीं रखते हैं. उक्त कमेटी का गठन अदालत के निर्देश व एनसीटीई अधिनियम के तय प्रावधानों के विरुद्ध कर दिया गया था. अदालत ने इस पर नाराजगी व्यक्त करते हुए एनसीटीई के चेयरमैन को उनके पद से हटाने से संबंधित जवाब केंद्र सरकार से तलब किया था.
उद्योग विभाग के प्रधान सचिव के विरुद्ध जमानतीय वारंट पर रोक : पटना. हाईकोर्ट ने उद्योग विभाग के प्रधान सचिव और हैंडलूम एंड सिल्क विभाग के निदेशक के विरुद्ध जारी जमानती वारंट पर चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने रोक लगाते हुए याचिकाकर्ता को निर्देश दिया कि वे अगली तिथि में एकलपीठ के समक्ष उपस्थित होकर अदालती कार्रवाई का अनुपालन करने का शपथ पत्र दायर करें. चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन व जस्टिस डाॅ अनिल कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने प्रधान सचिव एस सिद्धार्थ की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया.
गौरतलब है कि जस्टिस राकेश कुमार की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष चल रहे एक मामले में उपस्थित नहीं होने से नाराज अदालत ने उद्योग विभाग के प्रधान सचिव व हैंडलूम एंड सिल्क विभाग के निदेशक एस सिद्धार्थ के विरुद्ध जमानतीय वारंट जारी करते हुए उन्हें छह को अदालत में हाजिर कराने का निर्देश दिया था.
एकलपीठ के उक्त आदेश के विरुद्ध चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष याचिका दायर कर प्रधान सचिव ने न्याय की गुहार लगायी थी. जिस पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस ने जमानत वारंट पर रोक लगा दी.

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