पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को कहा कि बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने से नौवीं कक्षा में लड़कियों की संख्या अब लड़कों के बराबर हो गयी है. शिक्षक दिवस के अवसर पर पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हाल में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नीतीश ने कहा कि प्रदेश में पूर्व में 12.5 फीसदी बच्चे स्कूल से बाहर थे. हमारी सबसे पहली प्राथमिकता थी कि राज्य के बच्चों को स्कूल तक पहुंचाना. उन्होंने कहा कि अब हमारी सबसे बड़ी चुनौती शिक्षा की गुणवता में सुधार लाना है. शिक्षा की गुणवता पर ध्यान दिया जायेगा कि बेहतर शिक्षा कैसे प्रदान कर सकें.
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उन्होंने कहा कि इस दिशा में हमने काम करना शुरू कर दिया. 20 हजार से अधिक प्राथमिक विद्यालय खोले गये. प्राथमिक विद्यालयों को मध्य विद्यालय के रूप में उत्क्रमित किया गया. मध्य विद्यालयों को उच्च विद्यालय में उत्क्रमित किया गया. अनेक कदम उठाये गये. स्कूल का नया भवन बना. नये क्लासरूम बनाये गये. सब कुछ किया गया. साथ ही बड़े पैमाने पर शिक्षकों का नियोजन किया गया.
सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि वर्ष 2006 में स्कूल से बाहर बच्चों की संख्या जो 12.5 फीसदी थी, वह अब एक फीसदी से भी कम हो गयी है. उन्होंने कहा कि स्कूल जाना भी अपने आप में एक शिक्षा है. इससे शिक्षा का एहसास बच्चों में होने लगा. उन्होंने कहा कि पहले 5वीं कक्षा के आगे लड़कियां नहीं पढ़ पाती थीं, जिसका मुख्य कारण गरीबी था.
उन्होंने कहा कि राज्य की गरीबी को देखते हुए 2007 में बालिका पोशाक योजना की शुरुआत की गयी. लड़कियों के लिए पोशाक, थैला, जूता के लिए पैसे दिये गये. लड़कियों में एक उत्साह आया और मध्य विद्यालयों में उनकी संख्या बढ़ गयी. नीतीश ने कहा कि 8वीं से आगे पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए बालिका साइकिल योजना की शुरुआत की गयी.
उन्होंने कहा कि पहले पटना शहर में भी बच्चियां साइकिल चलाते हुए नहीं देखी जाती थी. अब गांव-गांव से लड़कियां समूह में साइकिल चलाकर स्कूल जाते हुए दिखायी देती है. पूरा माहौल बदल गया. लोगों की मानसिकता में बदलाव आया. सामाजिक सोच में बदलाव आया. वे भी अब सोचने लगी कि हम किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ सकते हैं.
नीतीश ने कहा कि उच्च विद्यालयों में पढ़ने वाली लड़कियों की संख्या बढ़ गयी. शुरुआत में 9वीं में पढ़ रही लड़कियों की संख्या एक लाख 70 हजार थी. अब बहुत खुशी होती है कि आज यह संख्या नौ लाख हो गयी है. अब लड़के और लड़की की संख्या बराबर हो गयी है. उन्होंने कहा कि अगर लड़की नहीं पढ़ेगी, तो समाज कैसे तरक्की करेगा.
प्रजनन दर का उदाहरण देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले बिहार का प्रजनन दर 3.9 था, जो अब 3.2 पर आया है. उन्होंने कहा कि इस के लिए मिशन मानव विकास बनाया गया. प्रजनन दर के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन किया गया. अध्ययन के दौरान यह तथ्य सामने आया कि देश के किसी भी हिस्से में अगर पत्नी मैट्रिक पास है, तो प्रजनन दर 2 है. बिहार में भी ऐसी स्थिति में प्रजनन दर 2 ही है.
उन्होंने कहा कि अगर पत्नी इंटर तक पढ़ी है, तो देश में प्रजनन दर 1.7 है. वहीं, बिहार में यह 1.6 है. इन तथ्यों के आधार पर लगा कि समाधान मिल गया है. अगर बिहार की हर लड़की को 12वीं तक पढ़ा देंगे, तो हम प्रजनन दर में राष्ट्रीय औसत को प्राप्त कर लेंगे या उससे भी अधिक बेहतर हो जायेंगे.
नीतीश ने कहा कि इसके लिए हर ग्राम पंचायत में प्लस टू तक उच्चतर माध्यमिक स्कूल खोलने का निर्णय लिया गया. आज पांच हजार से ज्यादा ग्राम पंचायतों में उच्चतर माध्यमिक स्कूल खोले जा चुके है. शेष में भी उच्चतर माध्यमिक स्कूल स्थापित करके ही हम दम लेंगे, यह हमारा संकल्प है. उन्होंने कहा कि प्लस टू से आगे उच्च शिक्षा में बिहार का सकल पंजीयन अनुपात मात्र 13.9 फीसदी है. हमें इसे राष्ट्रीय औसत से भी आगे ले जाना है. इसलिए ‘स्टुडेंट क्रेडिट कार्ड ‘ योजना शुरू की गयी है.
नीतीश ने कहा कि पोस्ट मैट्रिक छात्रवृति जितने प्रकार की थी, वह सभी योजना चालू रहेगी, इसके साथ-साथ स्टुडेंट क्रेडिट कार्ड भी चालू रहेगा. हमारा मुख्य मकसद है कि बच्चे अपने अभिभावकों पर आर्थिक बोझ बने बिना उच्च शिक्षा प्राप्त करें. उन्होंने कहा कि इन सभी के साथ-साथ माध्यमिक शिक्षा के गुणवत्ता के लिए भी कार्ययोजना बनायी जा रही है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा का विकास में सबसे अहम योगदान है. अगर शिक्षा का विस्तार नहीं हो, तो किसी प्रकार के विकास का मायने नहीं होगा. उन्होंने कहा कि हमने सर्वोच्च प्राथमिकता शिक्षा को दी है. शिक्षा के लिए राज्य के बजट का 20 फीसदी से ज्यादा हिस्सा दिया गया है.