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लोगों की सुविधा को भाड़े पर बस चलायेगा पटना नगर निगम

पहल : परिवहन विभाग में प्रस्ताव पर हो रहा मंथन, बसों के मेंटेनेंस से लेकर चलाने का जिम्मा एजेंसी की होगी पटना : लोगों को सुलभ व सस्ते किराया पर परिवहन सेवा उपलब्ध कराने के लिए सरकार द्वारा भाड़े पर बस लेने की संभावना है. भाड़े पर बस लेने के संबंध में परिवहन विभाग में […]

पहल : परिवहन विभाग में प्रस्ताव पर हो रहा मंथन, बसों के मेंटेनेंस से लेकर चलाने का जिम्मा एजेंसी की होगी
पटना : लोगों को सुलभ व सस्ते किराया पर परिवहन सेवा उपलब्ध कराने के लिए सरकार द्वारा भाड़े पर बस लेने की संभावना है. भाड़े पर बस लेने के संबंध में परिवहन विभाग में प्रस्ताव पर मंथन हो रहा है. मुख्यमंत्री के परिवहन विभाग की समीक्षा में परिवहन निगम में बसों की संख्या बढ़ाने की बात कही गयी थी.
इसके बाद परिवहन निगम भाड़े पर बस लेकर चलाने संबंधी प्रस्ताव दिया है. इसमें रेंट एग्रीमेंट के तहत बसें संचालित होगी. बसों के मेंटेनेंस से लेकर चलाने का जिम्मा एजेंसी की होगी. निगम की ओर से यात्रियों से भाड़ा वसूल किया जायेगा. निगम के प्रस्ताव पर परिवहन विभाग में मंथन होने के बाद मुख्य सचिव से स्वीकृति ली जायेगी. इसके बाद कैबिनेट से प्रस्ताव पर मंजूरी लेनी होगी.
पांच सौ बसें चलाने की योजना
रेंट एग्रीमेंट के तहत एसोसिएशन ऑफ स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट अंडरटेकिंग से पांच सौ बस लेकर चलाने की योजना है. योजना के तहत बस मालिक द्वारा ड्राइवर उपलब्ध कराने के साथ-साथ बसों के संचालन के दौरान मेंटेनेंस व रिपेयर पर होनेवाला खर्च वहन करेगा.
बस के टायर, बैट्री के मेंटेनेंस व रिप्लेसमेंट के साथ-साथ अन्य पार्टस को बदलने का काम बस मालिक अपने खर्च पर करेगा. बसों के संचालन के दौरान निगम द्वारा कंडक्टर, डीजल के अलावा अन्य खर्च वहन करेगा.
एग्रीमेंट के अनुसार
प्रति किलोमीटर रेंट का भुगतान निगम द्वारा बस मालिक को किया जायेगा. मिली जानकारी के अनुसार रेंट एग्रीमेंट के तहत अन्य राज्यों में भाड़े पर लेकर बसों का संचालन हो रहा है. आधिकारिक सूत्र ने बताया कि प्रस्ताव पर विभाग में निर्णय लिया जा रहा है.
निगम खस्ताहाल
परिवहन निगम की हालत वर्तमान में खस्ताहाल है. कर्मचारियों की संख्या कम होने के साथ बसें भी कम है. निगम के पास वर्तमान में अपनी लगभग 110 बसें चल रही है. इसके अलावा पीपीपी मोड पर लगभग 270 बसें हैं. निगम को नुरुम योजना से 356 बसें मिली.
यह बसें लंबी दूरी की चलनेवाली नहीं है. निगम को लंबी दूरी चलनेवाली बसों की आवश्यकता है. सत्तर के दशक में निगम के पास एक हजार से अधिक बसें थी. निगम में कार्यरत कर्मचारियों की संख्या साढ़े सात हजार से ऊपर थी. अस्सी के दशक से निगम का पतन शुरू हुआ.
राष्ट्रीयकृत मार्गों पर प्राइवेट बसों को 40 किलोमीटर तक चलने की छूट सरकार से मिलने के बाद प्राइवेट बस संचालकों ने इसका नाजायज फायदा उठाया. राज्य सरकार से प्राप्त होनेवाली पूंजी अंशदान की राशि 1993-94 से बंद होने का असर निगम पर पड़ा.

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