BIHAR : कैबिनेट फैसला: बिहार औद्योगिक सुरक्षा बल के गठन को मंजूरी, 2698 पदों पर होगी बहाली

पटना : राज्य सरकार ने बैंकों और अन्य सभी औद्योगिक संस्थाओं में सुरक्षा को दुरुस्त करने के लिए बिहार राज्य औद्योगिक सुरक्षा बल (एसआइएसएफ) के गठन को मंजूरी दे दी है. बुधवार को राज्य कैबिनेट की विशेष बैठक में 30 मामलों पर सहमति बनी. बैठक के बाद कैबिनेट विभाग के प्रधान सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा ने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 7, 2017 8:41 AM
पटना : राज्य सरकार ने बैंकों और अन्य सभी औद्योगिक संस्थाओं में सुरक्षा को दुरुस्त करने के लिए बिहार राज्य औद्योगिक सुरक्षा बल (एसआइएसएफ) के गठन को मंजूरी दे दी है. बुधवार को राज्य कैबिनेट की विशेष बैठक में 30 मामलों पर सहमति बनी.
बैठक के बाद कैबिनेट विभाग के प्रधान सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा ने बताया कि इस बल के गठन के लिए 2698 पदों की स्वीकृति दी गयी है. अब इन पदों पर बहाली के अलावा एसआइएसएफ को समुचित आकार देने के लिए व्यापक स्तर पर तैयारी शुरू कर दी जायेगी. इसका गठन केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआइएसएफ) के तर्ज पर किया जा रहा है. इसके अलावा िवधान परिषद की एक मनोनयन वाली सीट पर मनोनीत करने के िलए मुख्यमंत्री को अिधकृत िकया गया है.
बाढ़पीड़ितों के लिए अब तक 2600 करोड़ जारी
राज्य सरकार बाढ़ की विभीषिका से लोगों को राहत देने के लिए अब तक 2600 करोड़ रुपये जारी कर चुकी है. इस राशि में से करीब 75% रुपये लोगों के बैंक खातों में सीधे ट्रांसफर कर दिये गये हैं. बचे हुए लोगों के बैंक खातों में भी रुपये जल्द ही ट्रांसफर कर दिये जायेंगे. प्रति बाढ़पीड़ित परिवार को करीब 10 हजार रुपये की दर से अनुदान दिया जा रहा है. राज्य आपदा रिस्पांस फंड के जरिये ये रुपये तीन चरणों में जारी किये गये हैं.
इनमें 1935 करोड़ और 516 करोड़ रुपये दो अलग-अलग किस्त में जारी किये गये हैं. बाढ़पीड़ितों को तमाम सुविधाएं देने के लिए सरकार ने ये रुपये जारी किये हैं. इसकी मदद से सामुदायिक भोजन की व्यवस्था, खाद्यान्न, तिरपाल समेत अन्य तमाम सामग्री और सुविधाएं मुहैया करायी जा रही हैं.
शिक्षक ले सकेंगे सवैतनिक ट्रेनिंग
कैबिनेट के एक अन्य फैसले में बिहार जिला पर्षद माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक शिक्षक (नियोजन एवं सेवा शर्तें) नियमावली- 2017 में दूसरे संशोधन को मंजूरी दी गयी. इसके तहत नियोजित हुए अप्रशिक्षित शिक्षक सवैतनिक ट्रैनिंग ले सकते हैं. शर्त यह है कि उन्हें राज्य की तरफ से अधिकृत या सरकारी ट्रेनिंग कॉलेजों में ही ट्रेनिंग लेनी होगी.
साथ ही ट्रेनिंग के बाद पांच वर्ष तक शिक्षक के रूप में राज्य सरकार में ही सेवा देना अनिवार्य होगा. अगर पांच वर्ष के पहले वे नौकरी छोड़ कर चले जाते हैं, तो उन्हें ट्रेनिंग के दौरान दिये गये सभी वेतन और भत्तों को सरकारी कोष में वापस जमा करना पड़ेगा. यह सुविधा शैक्षणिक सत्र 2015-17 से मुहैया करायी जायेगी. पहले ऐसे शिक्षकों को तीन वर्षों के अंदर ट्रेनिंग लेने की अनिवार्यता थी.

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