पटना : मात्र27 साल की उम्र में 30 संपत्ति के मालिक बने पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को जमीन-मकान का इतना लोभ है कि सरकारी मकान छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं. हजार करोड़ की बेनामी संपत्ति खड़ा कर लेने के बावजूद हवस में बदल चुकी लालच की वजह से सीबीआई का चक्कर लगाना पड़ रहा है. मगर, इससे अब भी सबक लेने को तैयार नहीं हैं.आखिर रहने के लिए तेजस्वी को कितने मकान चाहिए?
बालू माफियाओं से एक ही दिन आठ फ्लैट बेच देने के बावजूद राबड़ी देवी 10 फ्लैट की मालकिन हैं. कांति सिंह ने मंत्री बनने के लिए जो जमीन सहित मकान गिफ्ट किया, वह भी तेजस्वी यादव के नाम से है. प्रभुनाथ यादव से लिखवाये गये जमीन-मकान कालेधन को सफेद करने के लिए एके इंफोसिस्टम को बेच कर और फिर कंपनी के मालिक बन कर तेजस्वी ने उसे हासिल कर लिया.
एमएलए को-ऑपरेटिव में एक प्लॉट आवंटित कराने के बावजूद लालू प्रसाद ने बादशाह प्रसाद आजाद से दूसरा प्लॉट लिखवा लिया. साथ ही अब्दुल बारी सिद्दिकी से राबड़ी देवी को एक प्लॉट दिलवा दिया. अवैध तरीके से हथियाए को-ऑपरेटिव के आधे दर्जन प्लॉट और मकान को किराये पर लगा कर वर्षों से लाखों रुपये की कमाई कर रहे हैं.
आखिर पटना में इतने मकान होते हुए भी तेजस्वी यादव को सरकारी मकान से इतना मोह क्यों है? सरकार ने जो मकान आवंटित किया है, वह भी काफी बड़ा है, जिसे उन्हें सहर्ष स्वीकार कर लेना चाहिए.