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बिहार के बगावती कांग्रेसी विधायकों के साथ राहुल की बैठक के मायने, निकलकर आया है यह बड़ा परिणाम

पटना : बिहार प्रदेश कांग्रेस के भीतर चल रहे अंदरूनी कलह का प्रभाव इतना तगड़ा है कि उसे केंद्रीय नेतृत्व भी शांत नहीं कर सका है. जानकारी के मुताबिक नयी दिल्ली में कांग्रेस के शीर्ष नेताओं से बिहार के नेताओं की मुलाकात केबेहतर नतीजे सामने नहीं आये हैं. राहुल गांधी से कांग्रेसी विधायकों की मुलाकात […]

पटना : बिहार प्रदेश कांग्रेस के भीतर चल रहे अंदरूनी कलह का प्रभाव इतना तगड़ा है कि उसे केंद्रीय नेतृत्व भी शांत नहीं कर सका है. जानकारी के मुताबिक नयी दिल्ली में कांग्रेस के शीर्ष नेताओं से बिहार के नेताओं की मुलाकात केबेहतर नतीजे सामने नहीं आये हैं. राहुल गांधी से कांग्रेसी विधायकों की मुलाकात के बाद यह माना जा रहा था कि पार्टी में सबकुछ ठीक-ठाक हो जायेगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. ऊपर से पार्टी के विधायकों ने राहुल गांधी को ही एक टास्क थमा दिया, जिसमें राजद से अपनी राह अलग कर लेने की बात शामिल थी. राहुल गांधी से मिलने वाले विधायकों ने स्पष्ट कहा है कि लालू यादव के साथ अब कोई संबंध नहीं रखना चाहिए. साथ ही, पार्टी के कुछ विधायकों नेयहांतक कह दिया कि लालू यादव हमेशा कांग्रेस को कम करके आंकते हैं, जिसका परिणाम जमीनी स्तर पर कांग्रेस को भुगतना पड़ता है.

सबकुछ ठीक नहीं

बिहार के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चौधरी भी केंद्रीय नेतृत्व से पूरी तरह नाराज हो गये हैं. अशोक चौधरी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उनके खिलाफ ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के बड़े-बड़े नेता साजिश रच रहे हैं. अशोक चौधरी ने अपने कांग्रेस में दिये गये 25 वर्षों का हवाला देते हुए, आंखों में आंसू लिए हुए कहा कि अब उनकी वफादारी पर सवाल उठाया जा रहा है. अशोक चौधरी ने यह भी कहा कि उन्होंने बिहार में मात्र चार साल में पार्टी को खड़ी कर दी. अब मुझ पर सवाल उठाये जा रहे हैं. पार्टी के अंदर वरिष्ठ नेता सदानंद सिंह भी गाहे-बगाहे सवाल उठाते हुए अपनी बात कहते हैं, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व से मिलने के बाद उनका सुर बदल जाता है और वह दिल्ली में हुई बैठक को राजनीतिक मुद्दों पर बस चर्चा करार देते हैं.

राहुल से मिलने का नहीं हुआ फायदा

उधर, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के साथ बैठक करने के बाद लौटे कुछ विधायकों ने शुक्रवार को कहा कि उन्होंने पार्टी उपाध्यक्ष को सुझाव दिया कि पार्टी को इस समय राष्ट्रीय जनता दल के साथ कोई संबंध नहीं रखने चाहिए और जमीनी स्तर पर पार्टी को मजबूत बनाने के लिए काम किया जाना चाहिए. गांधी ने बुधवार और गुरुवार को बिहार के 27 विधायकों में से 20 से अधिक विधायकों से मुलाकात की थी. इस मुलाकात को इसलिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है. क्योंकि इस समय कांग्रेस के कुछ विधायक जनता दल की ओर आकर्षित हो रहे है और कुछ लालू प्रसाद यादव के साथ. विधायकों की मानें, तो पूर्व में खराब अनुभव के कारण अब राजद के साथ जाने के खिलाफ है. भागलपुर के विधायक अजीत शर्मा ने मीडिया को बताया कि उन्होंने गांधी से अनुरोध किया कि पार्टी को इस समय अकेले काम करना चाहिए और आम चुनाव तथा राज्य विधानसभा चुनावों में भाजपा को हराने के लिए अन्य धर्म निरपेक्ष ताकतों के साथ गठबंधन करके अपनी ताकत का आकलन करना चाहिए. उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद ने हमेशा विधानसभा चुनाव में 10-15 सीटों और संसदीय चुनाव में कम सीटों की पेशकश करके कांग्रेस को कम आंका है. कांग्रेस के एक अन्य विधायक अमित कुमार ने भी लालू के साथ खडे होने के खिलाफ अपनी बात रखी.

भाजपा-जदयू के संपर्क में हैं विधायक

बिहार के राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा जोरों पर है कि कांग्रेसी विधायक जदयू और भाजपा नेताओं के संपर्क में हैं. सूत्रों के मुताबिक, बिहार में इस वक्त कांग्रेस के 27 एमएलए हैं. इस वक्त 9 विधायक जदयू-बीजेपी गठबंधन के संपर्क में हैं. एक विश्वसनीय सूत्र ने बताया कि कुछ नेता बिहार में बीजेपी के बड़े नेताओं से संपर्क में हैं. कुछ ऐसे भी विधायक हैं जो नयी सरकार के गठन के बाद से ही नीतीश कुमार की पार्टीजदयू के संपर्क में हैं. भाजपा नेताओं की मानें, तो कांग्रेस के विधायक इस वक्त बहुत दयनीय स्थिति में हैं. राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस का कद लगातार घट ही रहा है. इस वजह से बिहार के कांग्रेसी विधायक काफी असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. इस वजह से कुछ विधायक जदयू के संपर्क में हैं और कुछ ने हमसे संपर्क किया है.

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