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राज्यसभा की अपनी सदस्यता पर मंडराते संकट पर बोले शरद, पहाड़ से लड़ रहे हैं तो चोट तो लगेगी ही

नयी दिल्ली : जनता दल यूनाइटेट (जदयू) के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव ने पार्टी और राज्यसभा की अपनी सदस्यता पर मंडराते संकट पर अपना पक्ष रखते हुये कहा है कि उनकी लड़ाई पद की नहीं सिद्धांत और संविधान बचाने की है. शरद यादव ने आज कहा कि उन्हें राज्यसभा से सदस्यता खत्म करने को लेकर […]

नयी दिल्ली : जनता दल यूनाइटेट (जदयू) के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव ने पार्टी और राज्यसभा की अपनी सदस्यता पर मंडराते संकट पर अपना पक्ष रखते हुये कहा है कि उनकी लड़ाई पद की नहीं सिद्धांत और संविधान बचाने की है. शरद यादव ने आज कहा कि उन्हें राज्यसभा से सदस्यता खत्म करने को लेकर नोटिस मिला है जिसका वह माकूल जवाब देंगे. उन्होंनेमंगलवारको चुनाव आयोग द्वारा पार्टी पर यादव गुट के दावे पर संज्ञान नहीं लेने और राज्यसभा का नोटिस मिलने के बाद अपना पक्ष रखते हुये यह बात कही.

जदयू के बागी नेता शरद यादव ने कहा कि इन कानूनी पहलुओं को उनके वकील देख रहे हैं, वह देश की साझी विरासत पर आधारित संविधान को बचाने की बड़ी लड़ाई के निकल पड़े हैं. राज्यसभा की सदस्यता जाने के खतरे के सवाल पर उन्होंने कहा कि हम पहाड़ से लड़ रहे हैं तो यह सोच कर ही लड़ रहे हैं कि चोट तो लगेगी ही. राज्यसभा की सदस्यता बचाना बहुत छोटी बात है, हमारी लड़ाई साझी विरासत बचाने की है. सिद्धांत के लिये हम पहले भी संसद की सदस्यता से दो बार इस्तीफा दे चुके हैं.

शरद यादव ने स्पष्ट किया कि चुनाव आयोग में उन्होंने नहीं बल्कि जदयू से निकाले गये महासचिवों ने अपना दावा पेश किया है, इसमें वह महासचिवों के साथ हैं. जदयू के भविष्य के सवाल पर उन्होंने कहा कि 17 सितंबर को पार्टी कार्यकारिणी और8 अक्टूबर को राष्ट्रीय परिषद की बैठक के बाद जदयू बड़े रूप में सामने आयेगी.

अपनी भविष्य की रणनीति के बारे में शरद यादव ने कहा कि वह सिद्धांत और संविधान को बचाने की राह पर है और उनके विरोधी इसकी उलट राह पर हैं. उन्होंने जदयू अध्यक्ष नीतीश कुमार पर तंज कसते हुये कहा कि हमारे मुख्यमंत्री मित्र ने खुद राजद प्रमुख लालू प्रसाद से जब महागठबंधन बनाने की पहल की थी तब भी वह भ्रष्टाचार के आरोपों से बाहर नहीं थे. जबकि महागठबंधन की सरकार बनने के बाद अचानक शुचिता के नाम पर गठजोड़ तोड़ दिया.शरद यादव ने कहा कि यह बिहार के 11 करोड़ मतदाताओं के साथ धोखा है, हमने सिद्वांत के आधार पर ही इसका विरोध किया. शरद यादव ने कहा कि हम सिद्धांत और संविधान के साथ खड़े हैं और साझी विरासत के मंच से इसे लड़ा जायेगा.

उल्लेखनीय है कि महागठबंधन से अलग होकर भाजपा के साथ दोबारा से मिलकर बिहार में नयी सरकार के गठन केनीतीश कुमार के फैसले से नाराज चल रहे जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव को बुधवार को दोहरा झटका लगा है. एक ओर चुनाव आयोग ने जहां जनता दल यूनाइटेट पर शरद यादव के दावे काे खारिज करते हुए नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले जदयू को ही असली करार दिया है. वहीं दूसरी ओर राज्यसभा सचिवालय ने जदयू के बागी सांसदों शरद यादव और अली अनवर से स्पष्टीकरण मांगा है और पूछा है कि पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में क्यों न दोनों सांसदों की सदस्यता रद्द कर दी जाएं. राज्यसभा ने दोनों सांसदों से एक सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है.

ये भी पढ़ें… नीतीश के खिलाफ लड़ाई में शरद को दोहरा झटका, JDU पर दावा खारिज, अब राज्यसभा सदस्यता भी जायेगी!

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