BIHAR : गंगा में प्रदूषण से जीवों को खतरा, डॉल्फिन भी संकट में

पटना :गंगा में प्रदूषण से इसके पानी में ऑक्सीजन की मात्रा कम होती जा रही है. इस कारण डॉल्फिन सहित गांगेय जीवों का अस्तित्व खतरे में है. हालांकि, हर साल आने वाली बाढ़ के ठीक बाद और नदी में तेज बहाव की वजह से हानिकारक तत्वों में करीब 30 से 40 फीसदी कमी आ जाती […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 14, 2017 7:21 AM
पटना :गंगा में प्रदूषण से इसके पानी में ऑक्सीजन की मात्रा कम होती जा रही है. इस कारण डॉल्फिन सहित गांगेय जीवों का अस्तित्व खतरे में है. हालांकि, हर साल आने वाली बाढ़ के ठीक बाद और नदी में तेज बहाव की वजह से हानिकारक तत्वों में करीब 30 से 40 फीसदी कमी आ जाती है.
इस साल भी ऐसा ही हुआ है, लेकिन दो-तीन महीने में नदी की धारा में ठहराव आते ही फिर से यह समस्या शुरू हो जायेगी. प्रदूषण नियंत्रण विभाग के सूत्रों की मानें तो नदी में यदि हमेशा बहाव बना रहे तो प्रदूषण की दिक्कत काफी हद तक कम हो जायेगी. ऐसा नहीं होने की वजह से डॉल्फिन का अस्तित्व संकट में है. बिहार के विक्रमशिला में डॉल्फिन के लिए एक मात्र गांगेय अभ्यारण्य बनाया गया है.
जहाज से जीवों को खतरा
विशेषज्ञों का कहना है कि केंद्र सरकार ने गंगा में बनारस से हल्दिया तक परिवहन के लिए जहाज चलाने का फैसला लिया है, जो सराहनीय है. लेकिन, इससे गंगा के जलीय जीवों पर विपरीत असर पड़ेगा.
– गंगा के तटीय इलाकों में 100 मिलीलीटर पानी में कॉलिफॉर्म बैक्टीरिया की संख्या 500 एमपीएन से कम होनी चाहिए, लेकिन यह 10,000 एमपीएन तक पहुंच गया है.
-इस कारण चर्मरोग और कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा है
गंगा में डॉल्फिन की संख्या में बढ़ोतरी नहीं
नवंबर 2016 तक की गयी गणना के अनुसार इस जीव की संख्या करीब 260 थी. साल 2015 में करीब 250 थी. हर साल इनकी संख्या में 30-40 की बढ़ोतरी की संभावना जतायी जा रही थी, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा. पटना के पास गंगा में करीब दस साल पहले यह जीव अक्सर दिख जाया करते थे. हिलसा सहित मछलियों की कई प्रजातियां, मगरमच्छ, कछुये आदि की संख्या में भी कमी आयी है.
बिहार में गंगा कम प्रदूषित
बिहार में गंगा का इलाका मुख्य रूप से बक्सर से कटिहार जिले तक है. बक्सर के पास गंगा जब प्रवेश करती है तो उसके पानी में प्रदूषण लेवल बहुत ज्यादा होता है. यूपी की अपेक्षा बिहार में कम प्रदूषण है.
स्वास्थ्य का प्रतीक है डॉल्फिन
डॉल्फिन एक तरह से स्वच्छता का मीटर हैं. इसके शरीर कई ऐसे खतरनाक रसायनों की जानकारी सहज मिलती है, जो पानी के नमूने में नहीं मिलता.
बढ़ रहा प्रदूषण
बिहार राज्य पर्यावरण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य व एसईएसी के चेयरमैन डॉ एके घोष ने कहा कि गंगा के पानी का प्रदूषण लेवल बढ़ रहा है.
बोले विशेषज्ञ
विक्रमशिला डॉल्फिन अभ्यारण्य रिसर्च
सेंटर के इंचार्ज प्रो सुनील चौधरी का कहना है कि यह जीव नदी की गहराई में रहना पसंद करता है. नदी में गाद बढ़ने से गहरायी कम हो रही है. इस कारण डॉल्फिन का लाइफ स्टाइल प्रभावित हो रहा है.

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