कांग्रेस विधान पार्षद का बगावती सुर, प्रदेश कांग्रेस में बिखराव का ठीकरा आलाकमान पर फोड़ा
पटना : बिहार में बने महागठबंधन के 20 माह के सरकार के बाद सत्ता से अलग होने सबसे ज्यादा बेचैनी कांग्रेसी विधायकों को है. कांग्रेस में टूट की खबर पहले भी जमकर उठी थी. कांग्रेस आलाकमान ने दिल्ली में बिहार के कांग्रेसी विधायकों और विधान पार्षदों की बैठक बुलायी. एक साथ 19 विधायक जाकर आलाकमान […]
पटना : बिहार में बने महागठबंधन के 20 माह के सरकार के बाद सत्ता से अलग होने सबसे ज्यादा बेचैनी कांग्रेसी विधायकों को है. कांग्रेस में टूट की खबर पहले भी जमकर उठी थी. कांग्रेस आलाकमान ने दिल्ली में बिहार के कांग्रेसी विधायकों और विधान पार्षदों की बैठक बुलायी. एक साथ 19 विधायक जाकर आलाकमान से मिल कर महागठबंधन तोड़ कर राजद से अलग होने की बात भी रखी. लेकिन, आलाकमान राजद से करीब दो दशक पुरानी दोस्ती तोड़ने को तैयार नहीं हुआ. लिहाजा, कांग्रेस के नेताओं में अंदर ही अंदर खलबली तो है ही. इसका ट्रेलर शनिवार को उससमय देखने को मिला, जब कांग्रेस के विधान पार्षद दिलीप चौधरी का बगावती सुर मीडिया के सामने आया.
दिलीप चौधरी ने कहा है कि आलाकमान के कारण ही प्रदेश कांग्रेस में गलतफहमी पैदा हो रही है. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी की ओर बिना नाम लिये इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि प्रदेश कांग्रेस में जो भी बिखराव हो रहा है, वह केंद्रीय नेतृत्व के कारण ही हो रहा है. साथ ही उन्होंने कहा कि बिहार में किसी ऐसे व्यक्ति को अध्यक्ष बनाया जाये, जो सूबे में पार्टी को आगे लेकर जाये. किसी ऐसे व्यक्ति को नहीं, जो दुकानदारी चलाना शुरू कर दे. क्योंकि ऐसा करने से प्रदेश कांग्रेस की स्थिति और खराब हो जायेगी. दिलीप चौधरी के बयान के बाद प्रदेश कांग्रेस में एक बार फिर सुगबुगाहट शुरू हो गयी है.
विधायकी बरकरार रखने के लिए 18 विधायकों का एक साथ होना जरूरी
विधायकों को अपनी विधायकी बरकरार रखने के लिए 18 विधायकों को एक साथ आना जरूरी है. क्योंकि, प्रदेश में कुल 27 विधायक हैं. दल-बदल कानून के मुताबिक, पार्टी से अलग होने के लिए दो-तिहाई विधायकों का एक साथ आना जरूरी है. अगर इससे कम विधायक पार्टी छोड़ कर जाते हैं, तो उनकी विधायकी समाप्त हो जायेगी और उन्हें कोई लाभ नहीं मिलेगा. विधायकों का मानना है कि अगर कांग्रेस आलाकमान द्वारा राजद का साथ छोड़ने पर निर्णय नहीं लिया जाता है, तो प्रदेश कांग्रेस के विधायक इस पर निर्णय लेंगे. विधायकों का कहना है कि कब तक राजद का जिंदाबाद करते रहेंगे.
अगड़ी-पिछड़ी की राजनीति के पेच में फंसे कांग्रेसी विधायक
कांग्रेस के अगड़ी जाति के विधायकों को आशंका की है कि राजद के साथ रहने पर उन्हें अगले चुनाव में अगड़ी जाति का समर्थन नहीं मिलने का नुकसान उठाना पड़ सकता है. अभी अगड़ी जाति के कुल 11 विधायक हैं. यही नहीं, ज्यादातर कांग्रेसी विधायकों का मानना है कि पिछले विधानसभा चुनाव में अधिकतर विधायकों ने भाजपा प्रत्याशियों को ही हरा कर चुनाव में जीत हासिल की थी. ऐसे में दूसरे नंबर पर रहनेवाले भाजपा प्रत्याशी अगले विधान सभा चुनाव में अपनी सीट छोड़ने को तैयार नहीं होंगे. बक्सर से कांग्रेस के टिकट पर पहली बार विधायक बने संजय कुमार तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी ने कहा कि कांग्रेस को महागठबंधन से अलग होकर बिहार में पार्टी के विस्तार की बात सोचनी चाहिए. उन्होंने कहा कि अपनी बातों को कांग्रेस उपाध्यक्ष के सामने रखा जा चुका है, अब उन्हें फैसला करना है कि वे क्या चाहते हैं. वहीं, पार्टी के दूसरे गुट का मानना है कि राजद के साथ रहने पर पिछड़ी जातियों सहित अल्पसंख्यकों का भी समर्थन मिलेगा. सीमांचल के अधिकतर विधायक राजद के साथ रहना पसंद कर रहे हैं.