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JDU पर कब्जे की लड़ाई अब सतह पर, नीरज ने कहा- लालू का लालटेन थामकर शरद लगायें जयकारा

पटना : बिहार की राजनीति में हाल की सबसे बड़ी सियासी घटना महागठबंधन का टूटना है. महागठबंधन टूटने के तुरंत बाद जदयू भी दो खेमे में बंट गया. माना जाये तो जदयू में भी टूट हो गयी और शरद गुट से जुड़े नेता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार के गुट से पूरी तरह अलग […]

पटना : बिहार की राजनीति में हाल की सबसे बड़ी सियासी घटना महागठबंधन का टूटना है. महागठबंधन टूटने के तुरंत बाद जदयू भी दो खेमे में बंट गया. माना जाये तो जदयू में भी टूट हो गयी और शरद गुट से जुड़े नेता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार के गुट से पूरी तरह अलग हो गये. जुबानी जंग जारी हो गयी और शरद यादव गुट पर नीतीश गुट ने हमला जारी रखा. शरद यादव खेमे द्वारा नीतीश कुमार को जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटाने की कार्रवाई को नीतीश खेमे ने हताशा का परिचायक बताया है. नीतीश कुमार समर्थकों का मानना है कि चुनाव आयोग के पास उपलब्ध सूची के तहत जद यू के अधिकांश पदाधिकारी नीतीश कुमार के साथ हैं. जद यू प्रवक्ता नीरज कुमार और अजय आलोक ने कहा है कि पिछले साल राजगीर की राष्ट्रीय परिषद की बैठक के बाद 193 सदस्यों की सूची चुनाव आयोग को सौंपी गयी थी. 193 सदस्यों में तीन चौथाई तो नीतीश कुमार के साथ हैं फिर शरद यादव किस औकात से अपने को सुपर बॉस समझ रहे हैं. शरद राजनीतिक शरणार्थी हैं और वो न तीन में हैं न तेरह में. लालू यादव के ललटेन को थामकर शरद यादव को अब उनका जयकारा लगाना चाहिए.

पार्टी पर कब्जे की लड़ाई में पलड़ा नीतीश कुमार का भारी दिख रहा है. जद यू के राष्ट्रीय महासचिव आरसीपी सिंह चुनाव आयोग के पास जब नीतीश कुमार को जद यू का असली अधिकारी बताया था तो पर्याप्त कागजात थे. आरसीपी सिंह राष्ट्रीय परिषद के 145 सदस्यों का समर्थन पत्र लेकर गये थे. केरल के राज्यसभा सदस्य वीरेन्द्र कुमार के पास 35 या 40 सदस्यों का समर्थन हैं लेकिन जदयू पर वर्चस्व की इस लड़ाई में वे न तो नीतीश के साथ हैं और न शरद के. ऐसे में नीतीश की पार्टी पर पकड़ साफ दिखाई दे रही है. कब्जे को लेकर लड़ाई अब पूरी तरह सतह पर आ गई है. पार्टी पर कब्जे की लड़ाई इतनी तेज हो गयी है कि शरद यादव खेमे ने नीतीश कुमार को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से बर्खास्त कर दिया. शरद यादव गुट ने नीतीश कुमार को करारा झटका देते हुए न सिर्फ पार्टी से हटाया बल्कि उन पर कार्रवाई के लिए अनुशासन समिति का गठन भी कर दिया है. शरद यादव खेमे की कार्रवाई से साफ है कि शरद और नीतीश खेमे में अभी जंग और तेज होगी.

जद यू पर कब्जे की लड़ाई की पंचायत अब भारत निर्वाचन आयोग में होगी. चुनाव आयोग ही अब तय करेगा कि जद यू पर शरद यादव गुट का दावा बनता है या नीतीश कुमार का. किसी पार्टी में जब वर्चस्व और कब्जे के लिएआपसीलड़ाई होती है तो चुनाव आयोग यह देखता है कि पार्टी के ज्यादा डेलिगेट किसके साथ हैं.पार्टी सदस्य, पदाधिकारी, विधायक सांसद का बहुमत जिस नेता की तरफ होता है चुनाव आयोग उसी को मान्यता देता है. नीतीश कुमार का पलड़ा शरद यादव पर इसी कारण से भारी है. दो लोकसभा सदस्य, छह राज्यसभा सदस्य, सत्तर विधायक, विधान पार्षद और पार्टी के अधिकांश पदाधिकारी नीतीश के साथ हैं. पिछले साल राजगीर में पार्टी की राष्ट्रीय परिषद हुई थी. उसी बैठक में शरद यादव के जगह पर नीतीश कुमार को राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया था. उस बैठक के 193 सदस्यों की सूची चुनाव आयोग को सौंपी गयी थी जिनमें अधिकांश नीतीश कुमार के साथ हैं. पार्टी के अधिकांश पदाधिकारी नीतीश के साथ हैं इसलिए इस आधार पर भी जदयू पर उनका दावा ज्यादा बनता है.

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