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जानिए, सीमांचल गांधी के रूप में मशहूर सांसद तस्लीमुद्दीन की पूरी राजनीतिक यात्रा और जीवन के बारे में

पटना : बिहार के अररिया से राजद सांसद स्व. तस्लीमुद्दीन को सीमांचल गांधी के तौर पर भी जाना जाता था. तस्लीमुद्दीन ने छात्र राजनीति के जरिये देश की सियासत में कदम रखा था. देवगौड़ा सरकार में गृह राज्यमंत्री रहे तस्लीमुद्दीन का लंबी बीमारी के बाद 74 वर्ष की आयु में चेन्नई के अपोलो अस्पताल में […]

पटना : बिहार के अररिया से राजद सांसद स्व. तस्लीमुद्दीन को सीमांचल गांधी के तौर पर भी जाना जाता था. तस्लीमुद्दीन ने छात्र राजनीति के जरिये देश की सियासत में कदम रखा था. देवगौड़ा सरकार में गृह राज्यमंत्री रहे तस्लीमुद्दीन का लंबी बीमारी के बाद 74 वर्ष की आयु में चेन्नई के अपोलो अस्पताल में निधन हो गया. तस्लीमुद्दीन के निधन पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी शोक संवेदना व्यक्त की और कहा कि उनके निधन से सामाजिक क्षेत्र में अपूरणीय क्षति हुई है. स्व. तस्लीमुद्दीन अररिया से राजद के वर्तमान सांसद थे. इससे पूर्व किशनगंज से तीन बार सांसद और पूर्णिया से एक बार सांसद रहे. अररिया के कई विधानसभा क्षेत्रों से उन्होंने कई बार विधायक का चुनाव जीता, वे बिहार सरकार के कई विभागों सहित, केंद्र में भी एक बार मंत्री रहे. तस्लीमुद्दीन के परिवार में उनके पीछे तीन बेटियां और दो बेटे हैं. राजद के वरिष्ठ नेता तस्लीमुद्दीन ने हाल में कई बार बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ बड़ा बयान दिया था. 16वीं लोकसभा चुनाव में राजद के टिकट पर वह अररिया से सांसद चुने गये थे. तस्लीमुद्दीन क्रमशः सात बार विधायक और पांच बार सांसद चुने जाचुके थे.

तस्लीमुद्दीन ने सीमांचल में अपने राजनीति की शुरूआत 1954 से की और सबसे पहले छात्र हित की लड़ाई के लिए आगे आए. उसके बाद 1959 में तस्लीमुद्दीन ने सरपंच का चुनाव जीता और अपने बलबूते गृह राज्यमंत्री तक का सफर तय किया. सरपंच के बाद तस्लीमुद्दीन 1964 में मुखिया बने. तस्लीमुद्दीन 1969 से 1996 के बीच सात बार बिहार विधानसभा के सदस्य चुने गये और 1989 में पहली बार वह 09वीं लोकसभा के सदस्य चुने गये. उन्होंने 1996 में 11वीं, 1998 में 12वीं, 2004 में 14वीं और 2014 में 16वीं लोकसभा के सदस्य रहे. तस्लीमुद्दीन ने एक से अधिक बार अररिया जिले के जोकिहाट और किशनगंज विधानसभा क्षेत्रों से लगातार चुनाव जीतकर अपना वर्चस्व स्थापित किया. 1989 में पहली बार जनता दल के टिकट पर तस्लीमुद्दीन पूर्णिया से सांसद चुने गये और 1991 में किशनगंज लोकसभा सीट से वह चुनाव हार गये थे. 1995 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर जोकीहाट विधानसभा का चुनाव जीता था और किशनगंज लोकसभा सीट पर 1996 में हुए आम चुनावों में तस्लीमुद्दीन ने जीत दर्ज की थी.

तस्लीमुद्दीन कई बार अपने बयानों को लेकर विवाद में भी रहे और उनके ऊपर कई तरह के मुकदमें भी दर्ज थे. देवगौड़ा की सरकार में गृह राज्य मंत्री बने तस्लीमुद्दीन ने राम मंदिर और बाबरी मस्जिद को लेकर एक ऐसा बयान दिया, जिसके बाद बड़ा विवाद खड़ा हो गया और उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा. तस्लीमुद्दीन को सीमांचल की जनता पूरी तरह सपोर्ट करती थी. चुनाव में हमेशा उन्हें जीत मिली. हाल के दिनों में तस्लीमुद्दीन बीमारी की वजह से राजनीति में कम सक्रिय हो गये थे, हालांकि उन्होंने कई बार बिहार सराकर और नीतीश कुमार के खिलाफ बड़ा बयान दिया था. बिहार में महागठबंधन को लेकर तस्लीमुद्दीन हमेशा तंज कसते रहते थे. उन्होंने महागठबंधन टूटने के बारे में पहले बयान देते हुए कहा था कि नीतीश कुमार किसी के प्रति वफादार नहीं हुए हैं, लालू के प्रति क्या होंगे. यह महागठबंधन आज नहीं, तो कल टूटना ही है. तस्लीमुद्दीन ने महागठबंधन टूटने के बाद कहा था कि धोखा देना कोई नीतीश कुमार से सीखे, वह उनकी पुरानी आदत है. उन्होंने अपने एक और बयान में कहा था कि लालू का एक बेटा फालतू है और जो अच्छा लड़का है,उसके सुशील मोदी ने फंसा दिया.

तस्लीमुद्दीन का जन्म बिहार के अररिया जिले में 4 जनवरी 1943 को हुआ था. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने निधन के तत्काल बाद स्व. सांसद के बेटे सरफराज आलम से फोन पर बातचीत की. राज्य सरकार सांसद मोहम्मद तस्लीमुद्दीन के पार्थिव शरीर को चेन्नई से पटना ला रही है, उसके बाद राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जायेगा. सरफराज आलम ने मीडिया से बातचीत में कहा है कि आगामी 19 सितंबर को तस्लीमुद्दीन के पैतृक गांव अररिया जिले के जोकीहाट प्रखंड में स्थित सिसौन गांव में अंतिम संस्कार किया जायेगा. बिहार सहित देश के अन्य पार्टी के नेताओं ने तस्लीमुद्दीन के निधन पर शोक-संवेदना व्यक्त करते हुए, उन्हें एक जमीन से जुड़ा हुआ नेता बताया है.

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