पटना : शरद यादव पर राज्यसभा की सदस्यता को लेकर खतरा मंडराने लगा है. राज्यसभा के महासचिव द्वारा सात दिनों के अंदर जवाब देने की जारी नोटिस के आखिरी दिन जदयू के बागी नेताओं शरद यादव और अली अनवर ने जवाब देने के लिए एक महीने का समय मांगा है. राज्यसभा सदस्यता खत्म करने को लेकर बीते 12 सितंबर को राज्यसभा के महासचिव ने नोटिस भेज कर सात दिनों में जवाब मांगा था. नोटिस में पूछा गया है कि ‘क्यों नही आपकी सदस्यता को रद्द कर दिया जाये?’
राज्यसभा के महासचिव ने यह कार्रवाई नीतीश कुमार के करीबी और पार्टी के संसदीय दल के नेता आरसीपी सिंह और महासचिव संजय झा द्वारा उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू को शरद यादव की सदस्यता को लेकर भेजे गये पत्र पर की है. मालूम हो कि शरद यादव को जदयू की ओर से एक पत्र जारी कर लालू की पटना के गांधी मैदान में आयोजित राजद की रैली में शामिल नहीं होने के लिए कहा गया था. इसके बावजूद शरद यादव के शामिल होने पर इसे पार्टी गतिविधियों के खिलाफ करार दिया गया था. इससे पहले चुनाव आयोग ने चुनाव आयोग ने नीतीश गुट को ‘असली जदयू’ का तमगा दे चुकी है.
अपने अधिवक्ता के साथ आज अली अनव राज्यसभा के महासचिव से मिलने पहुंचे थे. उनका कहना है कि राज्यसभा सचिवालय से जारी नोटिस का जवाब देने के लिए और समय चाहिए. साथ ही कहा कि जो कागजात दिये गये हैं, उनकी सत्यता की जांच करायी जानी है. कानूनी तरीके से चीजों को देखना-समझना है. ऐसे में राज्यसभा महासचिव द्वारा दिया गया एक सप्ताह का समय बहुत कम है. इसलिए अवधि का विस्तार कर एक माह का और समय दिया जाये.
लालू की रैली के समय जदयू की ओर से भेजे गये पत्र में शरद यादव से कहा गया था कि यदि सूचना देने के बाद भी आप रैली में शामिल होते हैं, तो इसे उनका पार्टी को स्वेच्छा से छोड़ना माना जायेगा. पार्टी नेता संजय झा की मानें, तो यह स्पष्ट तौर पर लालू यादव के कुनबे की रैली थी और शरद यादव ने इसमें हिस्सा लेकर पार्टी के सिद्धांतों का उल्लंघन किया. शरद यादव ने पार्टी की ओर से मना करने के बाद भी रैली में जाकर भाषण दिया और यह बेहद निराशाजनक था. महागठबंधन टूटने के बाद शरद यादव और अली अनवर नीतीश कुमार से और पार्टी से नाराज चल रहे हैं. शरद यादव ने आयोग से मिल कर जदयू के चुनाव चिह्न पर अपना दावा भी पेश किया था.