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शरद और अली अनवर को राज्यसभा से राहत, जवाब देने के लिए मिला एक सप्ताह का वक्त

पटना / नयी दिल्ली : राज्यसभा ने जदयू के बागी नेताओं शरद यादव और अली अनवर को राज्यसभा की सदस्यता से उन्हें अयोग्य ठहराने की मांग करने वाली पार्टी की अर्जी पर जवाब देने के लिये एक सप्ताह का और वक्त दिया. इससे पहले दोनों नेताओं ने राज्यसभा के नोटिस का जवाब देने के लिए […]

पटना / नयी दिल्ली : राज्यसभा ने जदयू के बागी नेताओं शरद यादव और अली अनवर को राज्यसभा की सदस्यता से उन्हें अयोग्य ठहराने की मांग करने वाली पार्टी की अर्जी पर जवाब देने के लिये एक सप्ताह का और वक्त दिया. इससे पहले दोनों नेताओं ने राज्यसभा के नोटिस का जवाब देने के लिए आज एक महीने का समय दिए जाने की मांग की थी. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि राज्यसभा के महासचिव देश दीपक वर्मा ने उन्हें सूचित किया कि उन्हें राज्यसभा के नोटिस का जवाब देने के लिये एक सप्ताह का समय और दे दिया गया है. राज्यसभा सचिवालय ने शरद यादव और अनवर से एक सप्ताह के अंदर जवाब मांगा था. यह अवधि आज समाप्त हो गयी. दोनों सांसदों ने कहा कि वे राजनीतिक कार्यक्रमों में व्यस्त हैं और उन्हें अपना जवाब तैयार करने के लिए और समय की जरूरत है.

राज्यसभा महासचिव से मुलाकात करने के बाद अनवर ने संवाददाताओं से कहा कि कोई भी फैसला जल्दबाजी में नहीं किया जाना चाहिए और उन्हें प्राकृतिक न्याय मिलना चाहिए. उन्होंने कहा, जल्दबाजी क्या है? हमें अपना स्पष्टीकरण देने के लिए एक मौका मिलना चाहिए. प्राकृतिक न्याय होना चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने मांग की कि मामले को सदन की आचार समिति को सौंपा जाना चाहिए. अनवर ने कहा कि समिति का अब तक गठन नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि उन्होंने जवाब देने के लिए एक महीने का समय मांगा है. जदयू महासचिव संजय झा ने आरोप लगाया कि बागी नेता देर करने की रणनीति अपना रहे हैं ताकि कथित पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण अयोग्य ठहराए जाने को टाल सकें.

राजनीतिक जानकारों की मानें तो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव के बीच मतभेद का दौर राष्ट्रपति चुनावों के साथ ही शुरू हो गया था. एनडीए द्वारा रामनाथ कोविंद को प्रत्याशी घोषित किये जाने के बाद, कांग्रेस की अगुवाई में करीब 18 दलों के गठबंधन ने साझा उम्मीदवार उतारने का एलान किया था, लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री सह जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने रामनाथ कोविंद को समर्थन देने का एलान किया था, जिसके बाद पार्टी के अंदर खींचतान शुरू होने की बात बतायी जाती है. इसके साथ-साथ भ्रष्टाचार के मुद्दे पर नीतीश कुमार और लालू के रिश्तों में तल्खी आ रही थी. जिसके बाद जदयू के भीतर अंदरूनी कलह तेजी से बढ़ने की चर्चा जोर पकड़ने लगी.

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