नवरात्र का दूसरा दिन है युवाओं के लिए सबसे खास, जो कैरियर को लेकर चिंतित रहते हैं, पढ़ें

पटना : बिहार के चर्चित ज्योतिष डॉ. श्रीपति त्रिपाठी ने नवरात्र के दूसरे दिन मां दुर्गा की पूजा का विशेष महत्व बताया है. उन्होंने कहा कि नवरात्र में दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणीकी हृदय से आत्मात्सात करके पूजा की जाती है. नवरात्रोंमें दूसरे दिन मां शक्ति के ब्रह्मचारिणी रूप की पूजा होती है. ब्रह्म का अर्थ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 22, 2017 1:21 PM

पटना : बिहार के चर्चित ज्योतिष डॉ. श्रीपति त्रिपाठी ने नवरात्र के दूसरे दिन मां दुर्गा की पूजा का विशेष महत्व बताया है. उन्होंने कहा कि नवरात्र में दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणीकी हृदय से आत्मात्सात करके पूजा की जाती है. नवरात्रोंमें दूसरे दिन मां शक्ति के ब्रह्मचारिणी रूप की पूजा होती है. ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी यानी आचरण करने वाली. इस प्रकार ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली. इस दिन राहु शांति के लिये पूजा की जाती है. मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से राहु ग्रह की शांति होती है. डॉ. श्रीपति त्रिपाठी ने इस दिन की विशेषता यह बतायी कि इस दिन पढ़ने लिखने में रुचि और प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी करने वाले के लिए खास है.

उन्होंने बताया कि मां के इस रूप का नाम ब्रह्मचारिणी होने के पीछे धार्मिक कथा है. दरअसल जब मां शक्ति ने धरती के राजा हिमालय के घर पुत्री के रूप में जन्म लिया और भगवान शिव को वर स्वरूप पाने के लिए तपस्या की,तब उनकी गहन तपश्चर्या के कारण ही इन्हें ब्रह्मचारिणी और तपश्चारिणी का नाम मिला. अपने इस स्वरूप में मां ने हजार वर्षों तक भोलेनाथ का ध्यान किया. फिर कई हजार वर्षों तक तप के दौरान मां ने सिर्फ फल-फूल ग्रहण किये. कठिन तप और उपवास किये. मां की महिमा वर्णित करते कई धर्मग्रंथों में बताया गया है कि मां ने धूप,तेज वर्षा और आंधी-तूफान में भी निरंतर आराधना की. इस पर भी जब प्रभु प्रसन्न नहीं हुए तो मां ने सूखे बिल्व पत्र खाकर और कई हजार साल तक निर्जला हरकर खुद को प्रभु भक्ति में लीन रखा.

उन्होंने आगे बताते हुए कहा कि इस गहन तपस्या के कारण मां बहुत कमजोर हो गयी. तब मां को भगवान शिव के पति रूप में प्राप्त होने का वरदान मिला. मां तपस्या पूर्ण कर अपने पिता के घर लौट गयी. मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से विद्यार्थियों और साधु-संतों को विशेष लाभ प्राप्त होता है. अगर आप पढ़ाई-लिखाई के क्षेत्र से जुड़े हैं तो आपको इस विशेष दिन मां का अर्चन जरूर करना चाहिए. मां का यह रूप तप और आराधना का प्रतीक है. मां ब्रह्मचारिणी यह दिव्य स्वरूपसे समाज में यह संदेश जाता है की आप अपना आचरण जो मानसिक भौतिक एवं आध्यत्मिक है उसे शुद्धरखें साथ ही बालिकाओ एवं औरतो का सम्मान करें।यह आपकीमानसिक पूजा मां जगजननी के लिए सस्नेह अर्पणएवं समर्पण होगा उनके प्रति.

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