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CBI ने भेजा RJD सुप्रीमो लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव को समन, 25-26 को हाजिर होने का आदेश

पटना : केंद्रीय जांच ब्यूरो ने रेलवे टेंडर मामले में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और उनके छोटे बेटे व बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को क्रमश: 25 और 26 सितंबर को पेश होने का समन भेजा है. मालूम हो कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने रेलवे होटलों के अनुबंध में गड़बड़ी के […]

पटना : केंद्रीय जांच ब्यूरो ने रेलवे टेंडर मामले में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और उनके छोटे बेटे व बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को क्रमश: 25 और 26 सितंबर को पेश होने का समन भेजा है. मालूम हो कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने रेलवे होटलों के अनुबंध में गड़बड़ी के संबंध में 11 और 12 सितंबर को पेश होने को कहा था. लेकिन, दोनों नेताओं ने भागलपुर में आयोजित रैली का हवाला देते हुए मामले में निजी पेशी से छूट देने की अपील की थी.

कौन-कौन हैं आरोपित

सीबीआई ने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के रेलमंत्री के कार्यकाल (2004-2009) में हुई गड़बड़ी को लेकर लालू प्रसाद, पूर्व मुख्यमंत्री व उनकी पत्नी राबड़ी देवी और लालू प्रसाद के छोटे बेटे व बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला जुलाई 2017 में दर्ज किया था.

क्या है मामला

सीबीआई के मुताबिक, झारखंड के रांची और ओड़िशा के पुरी स्थित रेलवे के दो होटलों को चलाने का ठेका सुजाता होटल्स कंपनी को देने के एवज में बिहार की राजधानी स्थित भू-खंड के रूप में रिश्वत लेने के बाद दिया गया था. लालू प्रसाद ने पटना में तीन एकड़ भूखंड के बदले इन दोनों होटलों के विकास, रखरखाव और संचालन का जिम्मा सुजाता होटल्स को देने के लिए निविदा प्रक्रिया से छेड़छाड़ कर सौंप दिया था, जहां अब एक मॉल का निर्माण किया जा रहा है.

सीबीआई ने पांच जुलाई को मामले में धारा-420 और 120 (बी) के तहत और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 और 13 (1) (बी) के तहत मामला दर्ज किया था. सीबीआई का यह भी दावा है कि राजद सांसद प्रेमचंद गुप्ता की पत्नी सरला गुप्ता के स्वामित्व वाली कंपनी के जरिये रिश्वत का भुगतान किया गया. सीबीआई ने प्राथमिकी में यह भी आरोप लगाया है कि सुजाता होटल्स के मालिक विनय कोचर ने पटना में तीन एकड़ जमीन डिलाइट मार्केटिंग कंपनी को 1.47 करोड़ रुपये में 10 सेल डीड्स के जरिये 25 फरवरी, 2005 को बेच दी थी, जिसकी सरला गुप्ता निदेशक थी.

साथ ही स्टैंप ड्यूटी बचाने के लिए इस भू-खंड को कृषि भूमि दिखा कर सर्कल दर और बाजार दर से नीचे की कीमत पर खरीदी गयी थी. सीबीआई ने कथित तौर पर पाया है कि कोचरों द्वारा डिलाइट मार्केटिंग को यह जमीन बेची गयी थी, जिसका भुगतान अहलूवालिया कांट्रैक्टर और उसके प्रमोटर बिक्रमजीत सिंह अहलूवालिया के जरिये किया गया.

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