नवरात्र : चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा से इन चीजों में होती है वृद्धि, इस मंत्र का करें जाप, जानें

पटना : शारदीय नवरात्र का नौ दिनमांदुर्गाकी भक्ति में लीन होने का दिनहै.इन दिनोंमेंआस्था कीएकऐसी आराधना होती है, जिससे जगत का कल्याण होता है.ज्योतिषविद्डॉ. श्रीपति त्रिपाठी कहते हैं कि इन नौ दिनों में मां दुर्गा के हर रूप काएकअलग ही महत्व है. उन्होंने कहा कि भक्तों को सभी रूपों की निष्ठा और नवरात्र केचौथे केदिन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 23, 2017 10:54 AM

पटना : शारदीय नवरात्र का नौ दिनमांदुर्गाकी भक्ति में लीन होने का दिनहै.इन दिनोंमेंआस्था कीएकऐसी आराधना होती है, जिससे जगत का कल्याण होता है.ज्योतिषविद्डॉ. श्रीपति त्रिपाठी कहते हैं कि इन नौ दिनों में मां दुर्गा के हर रूप काएकअलग ही महत्व है. उन्होंने कहा कि भक्तों को सभी रूपों की निष्ठा और नवरात्र केचौथे केदिन जगजननी मां कूष्माण्डा देवी के स्वरूप की आराधनाउपासना अभ्यर्चनाकी जाती है. शास्त्रानुसारजब सृष्टि का अस्तित्व नहीं थातब कुष्माण्डा देवी ने ब्रह्मांड की रचना की थी. अपनी मंद-मंद मुस्कान भर से ब्रह्मांड की उत्पत्ति करने के कारण ही इन्हें कुष्माण्डा के नाम से जाना जाता है इसलिए यह सृष्टि की आदि-स्वरूपा,आदि शक्ति हैं.

मां कुष्‍माण्‍डा की दिव्य अलौकिकआठ भुजाएं हैं. इसलिए मां कुष्मांडा को अष्टभुजा देवी के नाम से भी जाना जाता हैं. मां केसात हाथों में क्रमशः कमंडल,धनुष,बाण,कमल-पुष्प,अमृतपूर्ण कलश,चक्र तथा गदा है. आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जपमाला है. मां सिंह परवाहन सवार रहती हैं. देवी कुष्मांडा का निवास सूर्यमंडल के भीतर के लोक में है, जहां निवास कर सकने की क्षमता और शक्ति केवल इन्हीं में है.

इनकी भक्ति से आयु,यश,बल और आरोग्य की वृद्धि होती है. आज के दिन साधक का मन‘अनाहत’चक्र में अवस्थित होता है. मां तो मां है.यह कभी भी कुमार्ग परनहीं ले जा सकती, तो क्यों इनके संतान अपने पूर्वजों को एवं सदेह माता के साथ दुर्व्यवहार करते हैं.मां तो केवल देने का ही नाम है, वो जगतजननी हैंजन्मजननी हैंएवं सुखों को भी देने वाली माता हैं. माताके इसकूष्माण्डा देवी के स्वरूप की आराधना करते हुए आज के परिवेश मेंप्रण लेना आवश्यक है कि हम उनकी रक्षा सुरक्षा एवं वचन बद्धता इनके प्रति रखेंगे. यही सच्ची पूजा-पाठ एवंआराधना होगी. इससे मां अपनेभक्तों पर सर्वदा अपनी अमृतमयी दृष्टि की वर्षा करेंगी. इस मंत्र से मां करें-या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता. नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

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