एनओयू में अब तक के सबसे बुजुर्ग छात्र ने रचा इतिहास
98 वर्ष के एक बुजुर्ग ने उतीर्ण की स्नातकोत्तर की परीक्षा
पटना : यदि मन में कोई किसी काम को करने की ठान ले तो फिर कोई भी उसका रास्ता नहीं रोक सकता है. कहा भी गया है कि सीखने या पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती. दरअसल उम्र के जिस पड़ाव में अधिकतर लोग जीने की चाह छोड़ देते हैं उसी उम्र में एक बुजुर्ग ने ऐसी मिसाल पेश कर दी जिसकी अब चारों ओर इन्हीं की चर्चा हो रही है.
हम बात कर रहे हैं एक ऐसे शख्स के बारे में जिन्होंने 98 की उम्र में न केवल अपनी पढ़ाई पूरी की बल्कि सामान्य छात्रों के साथ बैठ कर परीक्षा दी और अपना स्नातकोत्तर का कोर्स भी पूरा किया. इसलिए नालंदा खुला विश्वविद्यालय के इतिहास में सोमवार का दिन स्वर्णिम दिवस के रूप में मनाया गया.
समाज के लिए हैं प्रेरणाश्रोत
हम बात कर रहे हैं राज कुमार वैश्य के बारे में. जो 98 वर्ष के हैं, इन्होंने एनओयू से एमए अर्थशास्त्र में नामांकन कराया था और अब ये द्वितीय श्रेणी से उत्तीर्णता प्राप्त कर चुके हैं.
यह न सिर्फ शैक्षिक जगत में एक विस्मयकारी एवं चमत्कारी कदम माना जा रहा है, बल्कि यह कदम नौजवानों तथा वैसे व्यक्तियों को भी प्रेरित करने वाला है जो किसी कारण से शिक्षा से विमुख हो चुके हैं. उन्होंने समाज को एक शिक्षा दी है कि, सीखने और पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती अब उसके प्रति ललक होना चाहिए.
श्री वैश्य जो मूलत: उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के निवासी हैं इनका जन्म 1 अप्रैल, 1920 में हुआ था. इन्होंने मैट्रिक की परीक्षा वर्ष 1934 में, गवर्नमेंट हाई स्कूल, बरेली से द्वितीय श्रेणी से पास की थी. श्री वैश्य ने बैचलर ऑफ आर्ट्स की परीक्षा, वर्ष 1938 में तथा बैचलर ऑफ लॉ की परीक्षा, आगरा विश्वविद्यालय से पास की थी. श्री वैश्य के तीनों पुत्र जो भारत सरकार के बड़े पदों से सेवानिवृत्त हो चुके हैं.
नालंदा खुला विश्वविद्यालय ने उनके नामांकन में अधिक रुचि दिखाते हुये अपने पदाधिकारियों को यह निर्देश दिया था कि श्री वैश्य के घर जाकर नामांकन की प्रक्रिया पूरी की जाये. फलस्वरूप, नालंदा खुला विश्वविद्यालय के कुलसचिव, डाॅ एसपी सिन्हा, संयुक्त कुलसचिव एएन पांडेय एवं नामांकन पदाधिकारी डाॅ. पल्लवी ने राज कुमार वैश्य के राजेंद्र नगर स्थित आवास पर जाकर नामांकन की प्रक्रिया पूरी की थी.
नामांकन के बाद श्री वैश्य को उपलब्ध कराये गये प्रवेशपत्र, जब उनके हाथ में दी गई तो उन्होंने हर्ष व्यक्त करते हुए यह टिप्पणी की थी कि 96 वर्ष की उम्र में मैंने पहली बार देखा है कि किसी शिक्षण संस्थान ने नामांकन के दिन ही साल भर बाद होने वाली परीक्षा की तिथि, समय एवं स्थान से परिचय करवाया है. रिजल्ट पाकर ये बेहद खुश हैं.