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2020 तक देश के टॉप 20 विवि में शामिल होगा पटना यूनिवर्सिटी

पीयू : शताब्दी वर्ष पर विवि़ के विकास को लेकर तय हुआ लक्ष्य नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआइआरएफ) रैंकिंग के लिए भेजा अपना आवेदन पटना : 2020 तक पटना यूनिवर्सिटी देश के 20 सर्वश्रेष्ठ यूनिवर्सिटीज में शामिल हो जाएगी. इसे लेकर विवि ने कवायद शुरू कर दी है. विवि ने शताब्दी वर्ष पर विकास के […]

पीयू : शताब्दी वर्ष पर विवि़ के विकास को लेकर तय हुआ लक्ष्य
नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआइआरएफ) रैंकिंग के लिए भेजा अपना आवेदन
पटना : 2020 तक पटना यूनिवर्सिटी देश के 20 सर्वश्रेष्ठ यूनिवर्सिटीज में शामिल हो जाएगी. इसे लेकर विवि ने कवायद शुरू कर दी है. विवि ने शताब्दी वर्ष पर विकास के लिए न सिर्फ एक रूपरेखा तय की है बल्कि इसके लिए लक्ष्य भी निर्धारित किया गया है.
पीयू देश का सातवां सबसे पुराना विश्वविद्यालय और राज्य का टॉप विवि है़ इसके के बावजूद भी अब तक इस विवि की देश में न तो कोई रैंकिंग थी और न ही विवि इसके लिए कभी आवेदन करता था लेकिन इस वर्ष से विवि के कुलपति प्रो रास बिहारी सिंह के पहल पर विवि ने नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआइआरएफ) के तहत रैंिकंग के लिए अपना आवेदन दिया है.
केंद्रीय विवि को लेकर भी शुरू हुआ प्रयास
टॉप 20 में शामिल होने के साथ ही विवि का एक दूसरा लक्ष्य है केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा लेना. इसके लिए भी विवि ने पहल की है और इस संबंध में प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर मांग की गयी है.
14 अक्तूबर को पीएम के शताब्दी समारोह में आने की संभावना है और लोग ऐसा कयास लगा रहे हैं कि पीएम इसकी घोषणा कर सकते हैं. इसके अतिरिक्त शिक्षकों की ओर से भी इस संबंध में हस्ताक्षर अभियान चलाने पर विचार चल रहा है. वैसे विवि लंबे समय से पीयू को केंद्रीय विवि का दर्जा दिये जाने की मांग कर रहा है लेकिन इसके लिए ठोस पहल नहीं की गयी.
सरकार भी नहीं करती पहल
सरकार की ओर से इसके लिए कभी पहल नहीं की जाती है़ वहीं विवि भी कभी कोई बड़ी पहल करता नहीं दिखा. विवि के सौ वर्ष पूरे होने पर एक बार फिर उम्मीद जगी है कि विवि को यह दर्जा मिले. हालांकि यह पहल कितना कारगर होगा यह तो वक्त ही बतायेगा.
पूर्ववर्ती छात्रों से भी ली जायेगी मदद
विवि इस दिशा में भी कदम उठा रहा है कि पूर्ववर्ती छात्रों को भी विवि से जोड़ा जाये और इसके विकास के लिए कुछ काम किया जाये. इसको लेकर काम किया जा रहा है.
यही वजह है कि विवि के स्मारिका में भी इनके यादों को छापने का निर्देश दिया गया है. वहीं जो छात्र काफी आगे बढ़े हैं और विवि की भलाई के लिए कुछ करना चाहते हैं उनसे भी मदद लेने की योजना है. विवि के वेबसाइट के जरिये भी इन्हें विवि से जोड़ा जायेगा. वहीं समय समय पर उन्हें यहां बुलाये जाने की भी योजना है.

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