पटना: फर्जी बैंक गारंटी पर 13 करोड़ का गोदाम निर्माण का काम हुआ. बिहार राज्य भंडार निगम के अधिकारियों की संलिप्तता से ठेका लेनेवाली कंपनी को फायदा दिया गया. मामला उजागर होने पर आर्थिक अपराध इकाई ने जांच की, तो कई तथ्य सामने आये. इसके आधार पर वरीय पुलिस अधीक्षक ने कोतवाली थानाध्यक्ष को केस दर्ज कर रिपोर्ट समर्पित करने को कहा, लेकिन मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है. दस माह बीतने पर भी फर्जी तरीके से गोदाम निर्माण में सहयोग करने वाले भंडार निगम के अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं हुई है.
निगरानी महानिदेशक को दिया गया था पत्र
लोक चेतना मंच के संयोजक मिथलेश कुमार सिंह ने 27 लाख का जाली बैंक गारंटी पर 13 करोड़ का कार्य आवंटन की जांच कराने के लिए 13 फरवरी 2013 को पत्र दिया था. पत्र में भंडार निगम के तत्कालीन प्रबंध निदेशक उमेश चंद्र शर्मा, वर्तमान प्रबंध निदेशक दिलीप कुमार, कार्यपालक अभियंता शेखर सिन्हा व मेसर्स शांति कंस्ट्रक्शन के प्रबंधक दीपक कुमार शर्मा पर कार्रवाई की मांग की गयी थी.
पत्र के आधार पर आर्थिक अपराध इकाई के अवर निरीक्षक आलोक कुमार ने जांच की. वरीय पदाधिकारी को सौंपे पत्र में उसने उल्लेख किया कि निगम की टेंडर कमेटी व अधिकारी ने शर्त को नजर अंदाज करते हुए बिना सत्यापित उक्त निविदा मेसर्स शांति कंस्ट्रक्शन को आवंटित की गयी.
कंपनी द्वारा भंडार निगम को उपलब्ध कराये गये एसेसमेंट 2008 में आयकर शून्य दर्शाया गया तथा वार्षिक आय अंकित नहीं किया गया.जबकि कंपनी द्वारा निगम में ही करोड़ों का पेमेंट लिया गया व आयकर को सही सूचना नहीं दी गयी.
गोदाम निर्माण के लिए निकला था टेंडर
बिहार राज्य भंडार निगम ने जनवरी 2009 में 9 शहरों में फतुहा, छपरा, मोहनिया, मोतिहारी, समस्तीपुर, सासाराम, आरा, कसबा व मुजफ्फरपुर में गोदाम निर्माण के लिए टेंडर निकाला था. टेंडर में फर्जी बैंक गारंटी भरने वाली कंपनी को बिहार राज्य भंडार निगम ने बगैर छानबीन के ठेका दिया. ठेका मिलने के बाद कंपनी ने जमील फै ब्रीकेटर्स प्राइवेट लिमिटेड के साथ काम किया.
गोदाम निर्माण के बाद बिहार राज्य भंडार निगम ने वर्ष 2009 में विभिन्न तिथियों में चेक द्वारा राशि भुगतान किया. निगम ने जमील फै ब्रीकेटर्स प्राइवेट लिमिटेड को साढ़े 6 करोड़ व मेसर्स शांति कंस्ट्रक्शन को साढ़े 5 करोड़ का भुगतान किया.