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रेलवे होटल टेंडर घोटाला : लालू प्रसाद और तेजस्वी को CBI ने तीसरी बार भेजा समन, 3-4 अक्तूबर को किया तलब

पटना : राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष व राजद नेता तेजस्वी यादव को सीबीआई ने क्रमश: तीन व चार अक्तूबर को आईआरसीटीसी होटल लीज घोटाला मामले में पूछताछ के लिए तीसरी बार तलब किया है. सीबीआई सूत्रों के मुताबिक, लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव को क्रमश: 25 व […]

पटना : राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष व राजद नेता तेजस्वी यादव को सीबीआई ने क्रमश: तीन व चार अक्तूबर को आईआरसीटीसी होटल लीज घोटाला मामले में पूछताछ के लिए तीसरी बार तलब किया है. सीबीआई सूत्रों के मुताबिक, लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव को क्रमश: 25 व 26 सितंबर को पूछताछ के लिए दिल्ली तलब किया था. मालूम हो कि लालू प्रसाद यादव 25 सितंबर (सोमवार) को सीबीआइ के समक्ष उपस्थित नहीं हुए थे. उनके स्थान पर उनके अधिवक्ता सीबीआई मुख्यालय पहुंचे और दो हफ्ते का वक्त देने की मांग की थी. वहीं, 26 सितंबर को तेजस्वी यादव भी सीबीआई के सामने पेश नहीं हुए और उपस्थित होने के लिए 15 दिनों का वक्त सीबीआई से मांगा. इसके बाद सीबीआई ने एक सप्ताह का वक्त देते हुए लालू प्रसाद यादव को तीन अक्तूबर और तेजस्वी यादव को चार अक्तूबर को पेश होने का समन जारी कर दिया.

क्या है मामला

सीबीआई के मुताबिक, झारखंड के रांची और ओड़िशा के पुरी स्थित रेलवे के दो होटलों को चलाने का ठेका सुजाता होटल्स कंपनी को देने के एवज में बिहार की राजधानी स्थित भू-खंड के रूप में रिश्वत लेने के बाद दिया गया था. लालू प्रसाद ने पटना में तीन एकड़ भू-खंड के बदले इन दोनों होटलों के विकास, रखरखाव और संचालन का जिम्मा सुजाता होटल्स को देने के लिए निविदा प्रक्रिया से छेड़छाड़ कर सौंप दिया था, जहां अब एक मॉल का निर्माण किया जा रहा है.

सीबीआई ने पांच जुलाई को मामले में धारा-420 और 120 (बी) के तहत और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 और 13 (1) (बी) के तहत मामला दर्ज किया था. सीबीआई का यह भी दावा है कि राजद सांसद प्रेमचंद गुप्ता की पत्नी सरला गुप्ता के स्वामित्व वाली कंपनी के जरिये रिश्वत का भुगतान किया गया. सीबीआई ने प्राथमिकी में यह भी आरोप लगाया है कि सुजाता होटल्स के मालिक विनय कोचर ने पटना में तीन एकड़ जमीन डिलाइट मार्केटिंग कंपनी को 1.47 करोड़ रुपये में 10 सेल डीड्स के जरिये 25 फरवरी, 2005 को बेच दी थी, जिसकी सरला गुप्ता निदेशक थी.

साथ ही स्टैंप ड्यूटी बचाने के लिए इस भू-खंड को कृषि भूमि दिखा कर सर्कल दर और बाजार दर से नीचे की कीमत पर खरीदी गयी थी. सीबीआई ने कथित तौर पर पाया है कि कोचरों द्वारा डिलाइट मार्केटिंग को यह जमीन बेची गयी थी, जिसका भुगतान अहलूवालिया कांट्रैक्टर और उसके प्रमोटर बिक्रमजीत सिंह अहलूवालिया के जरिये किया गया.

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