सीवान : शराब छोड़ने के बाद संवर गयी जिंदगी, घर में लौटीं खुशियां

आलोक कुमार सिंह सीवान : शहर से सटे पचरुखी प्रखंड के झुनापुर गांव के भावनाथ साह की जिंदगी अब बदल गयी है. पहले ताड़ी बेचने वाले भावनाथ हमेशा नशे में धुत रहते थे. वे अपनी पत्नी व बच्चों के साथ मारपीट भी अक्सर किया करते थे. लेकिन शराबबंदी ने उनके जीवन में बदलाव की बयार […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 28, 2017 7:24 AM
आलोक कुमार सिंह
सीवान : शहर से सटे पचरुखी प्रखंड के झुनापुर गांव के भावनाथ साह की जिंदगी अब बदल गयी है. पहले ताड़ी बेचने वाले भावनाथ हमेशा नशे में धुत रहते थे. वे अपनी पत्नी व बच्चों के साथ मारपीट भी अक्सर किया करते थे. लेकिन शराबबंदी ने उनके जीवन में बदलाव की बयार बहा दी है.
अब भावनाथ के जीवन में खुशहाली है. ताड़ी व्यवसाय छोड़कर अब उन्होंने इज्जत के साथ गांव के ही हनुमान मोड़ पर चाय-नाश्ते की दुकान खोलकर अपनी जिंदगी सवार ली है. उनकी दुकान पर सुबह से शाम तक ग्राहकों की भीड़ रहती है और पत्नी मालती देवी भी इसमें हाथ बंटाती है. पहले दिन-रात शराब के नशे में धुत रहने वाले भावनाथ के बच्चों की भी स्थिति दयनीय थी. अब उसके तीन बेटे व दोनों बेटियां स्कूल जा रहे हैं. करीब डेढ़ वर्ष पूर्व शराब पर पूर्ण प्रतिबंध के बाद भावनाथ की रोजी छिन गयी और घर में कलह बढ़ता गया. परिवार को खाने के लाले पड़ गये. इसी बीच नशे के आदी हो चुके भावनाथ की तबीयत भी बिगड़ गयी और उसके एक पैर में लकवा मार दिया.
इसी बीच उसकी पत्नी मजदूरी कर अपने परिवार का पेट पालना शुरू किया. लेकिन स्थिति नहीं सुधर रही थी. इसी बीच मालती को अपने बीमार पति की सेवा के साथ ही अपने परिवार का पेट भी पालना था, जिसके कारण दूर जाकर मजदूरी करना संभव नहीं हो रहा था. तब मालती ने अपने पति की सलाह पर घर की बगल में हनुमान मोड़ पर चाय-नाश्ते की एक छोटी-सी दुकान खोल दी. धीरे-धीरे यह कारोबार बढ़ता गया.
भावनाथ की शराब की लत पूरी तरह छूटने व इलाज के बाद उसने पूरी तरह स्वस्थ होकर इस दुकान को संभाल लिया है. उनकी दुकान ताजी पकौड़ी, मिठाई व अन्य नाश्ते के लिए क्षेत्र में प्रसिद्ध हो चुकी है.
वहां सुबह छह बजे से रात नौ बजे तक लोगों की भीड़ रहती है. शराबबंदी ने भावनाथ साह की जिंदगी सवार दी है. भावनाथ की पत्नी मालती बताती हैं कि शराबबंदी उनके परिवार के लिए वरदान बन कर आयी है.
अब उनके पति शराब के धंधे व नशे को छोड़कर खुशहाल की जिंदगी बीता रहे हैं. दुकान खुलने के बाद उनकी माली हालत भी सुधरी है. वहीं, भावनाथ शराबबंदी को अपनी जिंदगी में आये बदलाव का श्रेय देते हैं. साथ ही कहते हैं कि उनकी पत्नी के प्रयास व प्रेरणा ने उनकी जिंदगी बदल दी है.

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